यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या महाराष्ट्र की तरह हिमाचल प्रदेश में भी खेला होगा या नहीं! देश की राजनीति थोड़ी-थोड़ी टी20 मैच की तरह हो चली है। बाजी किस वक्त किधर पलट जाए कहा नहीं जा सकता। अब देखिए न, पूरे दिन हिमाचल प्रदेश की जिस राज्यसभा सीट पर कांग्रेस और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू जीत का दंभ भर रहे थे वह तो बीजेपी के खाते में चली गई। 40-25 से शुरू हुआ मुकाबला देर शाम नतीजे आने के बाद 34-34 में तब्दील हो गया। इसके बाद टाई ब्रेकर और लकी ड्रॉ की मदद से विजेता भाजपा ही हुई। मुकाबला कांग्रेस के प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी के हर्ष महाजन के बीच था। क्रॉस वोटिंग का भी खेल हार-जीत का अंतर पैदा कर गया। कांग्रेस और सीएम सुक्खू के लिए यह किसी शॉक से कम नहीं था। अब कयास यह लगाए जा रहे हैं कि हिमाचल की सरकार भी बहुत दिनों की मेहमान नहीं है। विजेता सांसद हर्ष महाजन का भी यही दावा है। हालांकि अभी ऐसा होता नहीं दिख रहा है, इसलिए सिर्फ कयासों का बाजार गर्म है। लेकिन इस घटना ने 2 साल पहले जून 2022 में महाराष्ट्र की तत्कालीन उद्धव सरकार के गिरने की याद दिला दी। तब भी राज्यसभा चुनाव थे और नतीजे आने के बाद एकनाथ शिंदे ने अपने विधायकों संग पाला बदलकर बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी। तब बीजेपी ने महाविकास अघाड़ी को सत्ता से बेदखल कर गहरी चोट पहुंचाई थी। महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम की चर्चा करने से पहले आज हिमाचल प्रदेश में क्या कुछ हुआ उस बारे में बात कर लेते हैं। मंगलवार को 3 राज्यों की 15 सीटों के लिए चुनाव हुए। वैसे तो राज्यसभा की 56 सीटों पर चुनाव होने थे लेकिन 41 सीटों पर निर्विरोध सांसद चुने जाने के बाद बची 15 सीटों पर वोटिंग कराई गई। सबसे तगड़ा मुकाबला पहाड़ी इलाके हिमाचल प्रदेश में हुआ। ठंड और बर्फबारी के बाद भी वहां सियासी गर्माहट साफ दिखी। कांग्रेस और भाजपा के दो उम्मीदवारों के बीच आसान दिख रहा मुकाबला कब कांटे का हो गया खुद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी नहीं समझ पाए। वह तो यह भी नहीं समझ पाए कि कब उनके नाक के नीचे से कांग्रेस के 6 विधायक खिसक गए और बीजेपी को वोट कर आए। 3 निर्दलीय विधायक मिलाकर कुल 9 वोट बीजेपी को पड़ गए। 40-25 का मुकाबला 34-34 का हो गया। बाद में टाई ब्रेकर के बाद अभिषेक मनु सिंघवी बीजेपी को हर्ष महाजन के हाथों हार मिली और हारी बाजी बीजेपी ने जीत ली। हार के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने उन 9 विधायकों का धन्यवाद किया और इशारों में बीजेपी को बता दिया कि वह फिर वापसी करेंगे। तो क्या इस हार से हिमाचल सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं? बीजेपी के हर्ष महाजन की मानें तो सुक्खू सरकार ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं है। हालांकि ऐसा तुरंत कोई संकट इस सरकार पर नहीं दिखता। बीजेपी द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जब विधानसभा सत्र चलेगा तो हम देखेंगे। जो लोग गए हैं उनके परिवार के लोग उनसे पूछ रहे हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? तो अगर परिवार के लोग खुद ही सवाल कर रहे हैं तो शायद उनमें से कुछ लोग ‘घर वापसी’ के बारे में सोचेंगे।
साल 2022 और जून का महीना चल रहा था। बढ़ती तपिश ने महाराष्ट्र के सियासी पारे को भी बढ़ा दिया था। प्रदेश की कमान शिवसेना के सर्वेसर्वा उद्धव ठाकरे के हाथों में थी। गठबंधन के साथी एनसीपी और कांग्रेस भी थे। सबकुछ सही चल रहा था। सीएम पद की जिद के बाद बीजेपी का साथ छोड़कर सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे अपनी सरकार सही चला रहे थे। कोरोना का भी कहर साथ था। जून के महीने में ही यानी 2022 में राज्यसभा का चुनाव हुआ। 6 सीटों के लिए बीजेपी और महाविकास अघाड़ी के बीच मुकाबला था। भाजपा ने बाजी मारते हुए 6 में से 3 सीटें जीत लीं। नतीजों से सत्तारूढ़ शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के गठबंधन को बड़ा झटका लगा। एमवीए (महाराष्ट्र विकास अघाड़ी) ने वोटों की गिनती में 8 घंटे की देरी पर सवाल उठाया। भाजपा के जीतने वालों में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, पूर्व राज्य मंत्री अनिल बोंडे और धनंजय महाडिक शामिल थे। महाविकास अघाड़ी से शिवसेना के संजय राउत, राकांपा के प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी ने चुनाव जीता था। कुल 284 वैध मतों में से गोयल को 48, बोंडे को 48, महाडिक को 41.56, राउत को 41, प्रतापगढ़ी को 44 और पटेल को 43 मत मिले थे। यह तो हो गई नतीजों की बात। लेकिन असली खेला 6वीं सीट से शुरू हुआ।
छठी सीट के लिए बीजेपी के धनंजय महाडिक और शिवसेना के संजय पवार थे। संजय पवार को अंतिम में हार मिली और यहीं से सियासी उथल-पुथल भी मची। महाडिक और पवार पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर से आते हैं। छठी सीट के लिए हुए चुनाव बहुत ही रोमांचक रहा। कांग्रेस और बीजेपी ने एक दूसरे पर आरोप लगाए और चुनाव आयोग तक भी गए। बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने तब ट्वीट किया था कि चुनाव सिर्फ लड़ने के लिए नहीं, बल्कि जीतने के लिए लड़े जाते हैं। जय महाराष्ट्र। यहां से ही जैसे उद्धव सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। राज्यसभा चुनाव में वोटों की गिनती 8 घंटे देरी से शुरू हुई। इसकी वजह भाजपा और सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा एक-दूसरे पर क्रॉस वोटिंग और नियम तोड़ने का आरोप लगाना था। दोनों ही पक्षों ने चुनाव आयोग से शिकायत की और वोट रद्द करने की मांग की। चुनाव आयोग ने शिवसेना विधायक सुहास कांडे के वोट को खारिज करने का आदेश दिया, जिसके बाद रात 1 बजे के बाद मतगणना शुरू हुई। पहला परिणाम दो घंटे में सामने आ गया।
18 महीने और 18 दिनों के बाद शिंदे गुट के 16 विधायकों पर 2024 की जनवरी को फैसला भी आ गया। महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने मुख्यमंत्री शिंदे समेत उनके गुट के 16 विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी। स्पीकर ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना बताया था। अभी के समीकरण की बात करें तो महाराष्ट्र में बीजेपी की महायुति सरकार है। भाजपा के पास 106 विधायक, शिवसेना(शिंदे गुट) के 39, एनसीपी(अजित पवार गुट) के 41 विधायक हैं। वहीं महाविकास अघाड़ी के पास कांग्रेस के पास 44, शिवसेना उद्धव गुट के पास 13 और एनसीपी(शरद पवार गुट) क पास 13 विधायक हैं। बता दें कि पिछले साल अजित पवार अपने 41 विधायकों के साथ बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था।