क्या अब लालू की जगह संभालेंगे जगदानंद सिंह?

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जगदानंद सिंह लालू यादव की जगह यानी अध्यक्ष पद संभाल सकते हैं! देर से ही सही, लालू यादव ने जगदानंद सिंह को मना ही लिया। जगदा बाबू बिहार आरजेडी के अध्यक्ष बने रहेंगे। गुरुवार को जगदानंद सिंह लालू यादव से दिल्ली में मिले थे। दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे। लालू यादव की बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती के आवास पर तीनों नेताओं के बीच लगभह 90 मिनट तक बातचीत हुई। इस दौरान आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि मीटिंग के दौरान लालू यादव ने साफ-साफ कहा ‘जगदा भाई सब कुछ तोहरे के देखे के बा’। इसके बाद जगदानंद सिंह लालू यादव की बात काट नहीं सके और हामी भर दी।अब सवाल उठता है कि जगदानंद ही क्यों? इस सवाल का जवाब लालू यादव से बेहतर कोई और नहीं बता सकता है। लालू यादव जानते हैं कि कब, किस नेता को कहां ‘इस्तेमाल’ करना है। आरजेडी की मदद से बिहार में महागठबंधन की सरकार चल रही है। नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) इस सरकार के मुखिया हैं। लालू यादव सियासी गुणा-गणित जानते हैं और समझ भी रहे हैं। बिहार में कब सियासी खेला हो जाए, कोई नहीं जानता। अगर भविष्य में कुछ ऐसा होता है तो आरजेडी के लिए जगदनंद सिंह ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। यही नहीं, तेजस्वी के A टु Z सियासत के लिए जगदा बाबू जरूरी और मजबूरी, दोनों हैं।

जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखना आरजेडी का सवर्ण कार्ड है। मुस्लिम-यादव वाली पार्टी का ये फैसला अपकमिंग इलेक्शन को देखते हुए लिया गया है। शायद आरजेडी प्रमुख का यही मास्टरस्ट्रोक है। दरअसल, बेटे को मंत्री पद से हटाए जाने से ज्यादा जगदा बाबू इस बात से नाराज थे कि निर्णय से पहले उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। जगदा बाबू शुरू से ही नीतीश विरोधी रहे हैं। कहा तो ये भी जाता है कि नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने के पक्ष में कभी नहीं थे। लेकिन जब पार्टी ने निर्णय लिया तो भारी मन से ही सही लेकिन विरोध नहीं किया।

जानकार कहते हैं कि बिहार में बदली राजनीतिक परिस्थितियों में नीतीश कुमार कभी पलटी मारते हैं तो जगदा बाबू जैसे नेता की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। लालू यादव बिहार की राजनीतिक और सामाजिक स्थाति को अच्छी तरह समझते हैं। नीतीश कुमार को अच्छी तरह जानते हैं। जगदानंद सिंह नीतीश कुमार के राजनीति के विरोधी हैं। समय आने पर नीतीश कुमार को सियासी करंट दे सकते हैं। नीतीश कुमार को काउंटर कर सकते हैं। यही नहीं, नीतीश सरकार में आरजेडी के एजेंडे को आगे बढ़ाते रहेंगे ।

जानकार कहते हैं कि आज की तारीख में माइनस लालू आरजेडी की बात की जाए तो लालू के समानानंतर कोई भारी भरकम शख्सियत है, तो वह हैं जगदानंद सिंह। सबसे बड़ी बात ये है कि लालू और उनके परिवार प्रति लॉयल हैं। हर अच्छे-बुरे वक्त में साथ रहे। यही नहीं, जगदा बाबू न तो तेज प्रताप के आदमी हैं, न ही तेजस्वी यादव के। सिर्फ और सिर्फ लालू यादव के आदमी हैं। इससे साफ है कि 2024 लोसकभा चुनाव और 2025 विधानसभा चुनाव के लिए लालू यादव को ऐसे ही निष्पक्ष और निष्ठावान लोगों की जरूरत है। शायद यही कारण है कि लालू यादव ने सिंगापुर जाने से पहले अपने पुराने यार को मनाया।

जगदानंद सिंह कैमूर जिला के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से 6 बार विधायक रहे हैं। लालू यादव के मंत्रिमंडल भी शामिल रहे। बक्सर से सांसद भी रहे हैं। 15वीं लोकसभा चुनाव में बक्सर में बीजेपी नेता लालमुनि चौबे को हराया। बक्सर जिले में जगदानंद सिंह को लेकर एक किस्सा मशहूर है।आज की तारीख में माइनस लालू आरजेडी की बात की जाए तो लालू के समानानंतर कोई भारी भरकम शख्सियत है, तो वह हैं जगदानंद सिंह। सबसे बड़ी बात ये है कि लालू और उनके परिवार प्रति लॉयल हैं। हर अच्छे-बुरे वक्त में साथ रहे। यही नहीं, जगदा बाबू न तो तेज प्रताप के आदमी हैं, न ही तेजस्वी यादव के। सिर्फ और सिर्फ लालू यादव के आदमी हैं। इससे साफ है कि 2024 लोसकभा चुनाव और 2025 विधानसभा चुनाव के लिए लालू यादव को ऐसे ही निष्पक्ष और निष्ठावान लोगों की जरूरत है। शायद यही कारण है कि लालू यादव ने सिंगापुर जाने से पहले अपने पुराने यार को मनाया। बताया जाता है कि जब वे लालू सरकार में ऊर्जा मंत्री थे, तब बक्सर के गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए जबरदस्त काम किया। गांव-गांव बिजली पहुंचने से लोग इतना खुश हुए कि उन्हें प्यार से ‘बिजुलिया बाबा’ कहने लगे।