मोदी सरकार अब ईसाई धर्म को भी एक नया रास्ता देने जा रही है! क्रिसमस के बहाने भारतीय जनता पार्टी ने ईसाई समुदाय में ‘जिंगल बेल’ बजाई है। इसकी सुरीली धुन समुदाय के लोगों के कानों में कितनी पड़ेगी यह वक्त बताएगा। लेकिन, यह बीजेपी के रुख में बड़े बदलाव की तरफ इशारा करता है। भगवा पार्टी की छवि कट्टर हिंदूवादी की रही है। पार्टी के तमाम नेता मुखरता से धर्मांतरण को लेकर ईसाई धर्म गुरुओं पर निशाना साधते रहे हैं। लेकिन, सोमवार को क्रिसमस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कर दिया कि नई बीजेपी पुरानी रवायतों को तोड़कर आगे बढ़ने वाली है। प्रधानमंत्री ने सोमवार को क्रिसमस के मौके पर अपने आधिकारिक आवास पर ईसाई समुदाय के लोगों से संवाद किया। उनके साथ खास रिश्ता होने की बात बोली। देश के लिए ईसाई समुदाय के योगदान को सराहा। ईसाई नेताओं के साथ दोपहर का भोजन किया। इसी दिन पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजधानी के सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल चर्च का दौरा किया। ईसा मसीह को मानवता के लिए प्रेरणा बताया। केरल में स्नेह यात्रा के जरिये बीजेपी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों को क्रिसमस की बधाई दी। लोकसभा चुनाव से पहले इसे ईसाई समुदाय को अपने साथ जोड़ने की बीजेपी की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को क्रिसमस के मौके पर अपने आधिकारिक आवास पर ईसाई समुदाय के लोगों से संवाद किया। पीएम बोले कि उनके साथ उनका बहुत पुराना और आत्मीय नाता रहा है। केंद्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार सुनिश्चित कर रही है कि विकास का फायदा हर किसी तक पहुंचे। कोई इससे अछूता न रहे। प्रधानमंत्री ने मत्स्य पालन मंत्रालय बनाए जाने के अपने कदम को याद करते हुए कहा कि ईसाई समुदाय ने इसकी सार्वजनिक रूप से सराहना की थी।
प्रधानमंत्री ने ईसाई समुदाय के विचारकों का जिक्र करते हुए स्टीफंस कॉलेज सुशील कुमार रुद्र का नाम लिया। उनके बारे में खुद महात्मा गांधी ने बताया था कि असहयोग आंदोलन की प्रेरणा उन्हीं की छत्रछाया में प्राप्त हुई थी। प्रधानमंत्री ने इस संवाद के दौरान ईसाइयों के साथ अपने पुराने और आत्मीय संबंधों को याद किया। उन्होंने कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब ईसाई समुदाय के गुरुओं से मिला करते थे। वह जिस मणिनगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया करते थे वहां अच्छी खासी संख्या में ईसाई रहते थे। पीएम बोले कि ईसा मसीह का जीवन संदेश करुणा और सेवा पर केंद्रित था। उन्होंने एक समावेशी समाज के लिए काम किया जहां न्याय सभी के लिए हो। मोदी ने कुछ साल पहले ‘द होली पोप’ से हुई मुलाकात का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन का एक बहुत ही यादगार पल था। क्रिसमस पर उपहार देने की परंपरा का जिक्र कर उन्होंने कहा कि इस अवसर पर यह विचार किया जाना चाहिए कि कैसे आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर धरती का उपहार दिया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के ‘वोकल फोर लोकल’ अभियान में भी ईसाई समुदाय से बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। उन्होंने कामना की कि यह त्योहार एक राष्ट्र के रूप में देश को और मजबूत करे, सभी देशवासियों को और करीब लाए, हमारी विविधता में भी हमें एकजुट रखने वाले बंधन को मजबूत करे।
इसके पहले प्रधानमंत्री ने देशवासियों को क्रिसमस की बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं! मेरी कामना है कि त्योहारों का यह मौसम सभी के लिए खुशी, शांति और समृद्धि लेकर आए।’ उन्होंने कहा, ‘आइए! सद्भाव और करुणा की भावना का जश्न मनाएं जो क्रिसमस का प्रतीक है और एक ऐसी दुनिया की दिशा में काम करें जहां हर कोई खुश और स्वस्थ हो। हम प्रभु मसीह की महान शिक्षाओं को भी याद करते हैं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिशपों सहित 60 ईसाई नेताओं के एक समूह को यह भी बताया कि पोप फ्रांसिस की भारत यात्रा तय है। लगता है कि पोप की यात्रा के लिए मंच तैयार हो गया है। 1999 के बाद देश में और 1986 के बाद केरल की उनकी दूसरी यात्रा होगी। क्रिसमस के दिन मोदी ने ईसाई नेताओं के साथ दोपहर के भोजन पर मुलाकात की। कहा कि पोप की यात्रा 2024 या 2025 में होगी। संयोग से तत्कालीन पोप जॉन पॉल-द्वितीय दो बार भारत आए। पहली बार 1986 में सिस्टर अल्फोंसा और सिस्टर कुरियाकोस एलियास चवारा को धन्य घोषित करने के लिए दो दिनों के लिए केरल आए। अगली बार नवंबर 1999 में दिल्ली आए। अपनी 1986 की यात्रा पर पोप दोनों दिन कोच्चि में रुके और वहां से उन्होंने त्रिशूर और फिर कोट्टायम और तिरुवनंतपुरम की यात्रा की।
क्रिसमस पर ही बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजधानी स्थित सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल चर्च का दौरा किया। ईसा मसीह को मानवता के लिए प्रेरणा बताया। नड्डा ने कैथेड्रल में वरिष्ठ पादरियों से मुलाकात की। नड्डा के इस कदम को ईसाई समुदाय के बीच बीजेपी की पैठ बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ईस्टर पर इसी कैथेड्रल का दौरा किया था।
बीजेपी ईसाई समुदाय से जुड़ने की कोशिश कर रही है। खासकर केरल जैसे राज्यों में जहां ईसाई बड़ी संख्या में हैं। केरल में ईसाई आबादी 3.2 करोड़ की है। यह राज्य की कुल आबादी का लगभग 18 फीसदी है। इनमें से कैथोलिक प्रमुख समूह है। उनमें राज्य के 50 फीसदी ईसाई शामिल हैं। केरल में तीन कैथोलिक संस्कार हैं – सिरो मालाबार, लैटिन और सिरो मलंकारा चर्च। पार्टी ने पूर्वोत्तर के राज्यों में अपने बेहतर चुनावी प्रदर्शन का हवाला देते हुए अक्सर कहा है कि यह ईसाई समुदाय के बीच उसकी बढ़ती स्वीकार्यता का सबूत है।