गर्मी के साथ-साथ मॉनसून भी टेंशन देगा! मई के महीने में हम सबने मौसम के कितने रंग देखे। शुरुआत में बेमौसम बरसात ने फिजा में ठंडक घोल दी थी। भीषण गर्मी वाले मौसम में लोगों के घरों के कूलर-एसी और पंखें कुछ दिनों के लिए बंद हो गए थे। लेकिन, मौसम साफ होते ही तापमान में तेजी आनी शुरू हो गई। अब दोपहर में लू और गर्मी के तेवर से लोग परेशान हो रहे हैं। मॉनसून को भी अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि मॉनसून तय समय पर आएगा या इसमें देरी है, इसपर मौसम विभाग ने जानकारी दी है। इसके साथ यह भी बताया है कि भारत की 19 प्रतिशत आबादी को इस वर्ष मॉनसून के दौरान सामान्य से कम बारिश और लगभग 13 प्रतिशत आबादी को सामान्य से अधिक बारिश का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग यानी आईएमडी के मौसम पूर्वानुमान एजेंसी एसएएससीओएफ का कहना है कि भारत की लगभग 19 प्रतिशत आबादी को इस वर्ष मॉनसून के दौरान सामान्य से कम बारिश और लगभग 13 प्रतिशत आबादी को सामान्य से अधिक बारिश का सामना करना पड़ सकता है।‘साउथ एशियन सीजनल क्लाइमेट आउटलुक फोरम’ SASCOAF के अनुसार मॉनसून के दौरान भारत की लगभग 18.6 प्रतिशत आबादी को सामान्य से कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। इसके अनुसार उत्तर में सामान्य से कम बारिश होने की 52 प्रतिशत संभावना है और देश के मध्य भागों में सामान्य से कम वर्षा की 40 प्रतिशत संभावना है।
एसएएससीओएफ ने कहा कि भारत में कुल 12.7 प्रतिशत लोगों को सामान्य से अधिक बारिश का सामना करना पड़ सकता है। उसने कहा कि भारत के दक्षिणी और पूर्वी भागों में सामान्य से अधिक बारिश होने का 50 प्रतिशत अनुमान है।साउथ एशियन सीजनल क्लाइमेट आउटलुक फोरम’ SASCOAF के अनुसार मॉनसून के दौरान भारत की लगभग 18.6 प्रतिशत आबादी को सामान्य से कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। इसके अनुसार उत्तर में सामान्य से कम बारिश होने की 52 प्रतिशत संभावना है और देश के मध्य भागों में सामान्य से कम वर्षा की 40 प्रतिशत संभावना है।साउथ एशियन सीजनल क्लाइमेट आउटलुक फोरम’ SASCOAF के अनुसार मॉनसून के दौरान भारत की लगभग 18.6 प्रतिशत आबादी को सामान्य से कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। इसके अनुसार उत्तर में सामान्य से कम बारिश होने की 52 प्रतिशत संभावना है और देश के मध्य भागों में सामान्य से कम वर्षा की 40 प्रतिशत संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पिछले महीने कहा था कि भारत में अल नीनो की स्थिति के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में सामान्य बारिश होने का अनुमान है। निजी पूर्वानुमान एजेंसी, स्काईमेट वेदर ने देश में सामान्य से कम मॉनसून बारिश होने की संभावना जताई थी।
मौसम विभाग ने बताया कि मॉनसून के 4 जून को केरल पहुंचने की संभावना है। यह अपने समय से 4 दिन की देरी से पहुंचेगा। माना ये जाता है कि इसे 1 जून को केरल में दस्तक दे देनी चाहिए। पिछले 18 महीनों के डेटा को उठाकर देख लें तो साल 2015 को छोड़कर कभी भी आईएमडी की मॉनसून को लेकर भविष्यवाणी गलत साबित नहीं हुई है।साउथ एशियन सीजनल क्लाइमेट आउटलुक फोरम’ SASCOAF के अनुसार मॉनसून के दौरान भारत की लगभग 18.6 प्रतिशत आबादी को सामान्य से कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। इसके अनुसार उत्तर में सामान्य से कम बारिश होने की 52 प्रतिशत संभावना है और देश के मध्य भागों में सामान्य से कम वर्षा की 40 प्रतिशत संभावना है। स्काईमेट की मानें तो इस साल मॉनसून 7 जून को केरल पहुंचेगा। देखें तो आईएमडी के अनुमान के मुकाबले, इसके 3 दिन आगे-पीछे होने की संभावना है। स्काईमेट का कहना है कि एक शक्तिशाली तूफान इस समय भूमध्यरेखा अक्षांश और दक्षिणी प्रायद्वीप में दक्षिण हिंद महासागर की ओर बढ़ रहा है। मॉनसून के लेट होने की वजह यह भी है।
मौसन विभाग यानी आईएमडी का कहना है कि इस साल बारिश पर अल-नीनो का प्रभाव पड़ सकता है।साउथ एशियन सीजनल क्लाइमेट आउटलुक फोरम’ SASCOAF के अनुसार मॉनसून के दौरान भारत की लगभग 18.6 प्रतिशत आबादी को सामान्य से कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। इसके अनुसार उत्तर में सामान्य से कम बारिश होने की 52 प्रतिशत संभावना है और देश के मध्य भागों में सामान्य से कम वर्षा की 40 प्रतिशत संभावना है। यह भी वजह है कि मॉनसून सामान्य से कम रह सकता है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब, अल नीनो के चलते औसत से कम बारिश हुई है। बता दें कि जब-जब अल नीनो का पैटर्न बनता है, तब-तब देश में सूखे व औसत से कम बारिश की आशंका बढ़ जाती है।