अब भारतीय नेवी को राफेल-M की डील के लिए इंतजार करना होगा! भारतीय नौसेना के लिए फ्रांस से 26 राफेल-M फाइटर जेट खरीदे जाने हैं। इन फाइटर जेट की खरीद के लिए पांच महीने पहले ही रक्षा अधिग्रहण समिति की मंजूरी मिल चुकी है। भारत की तरफ से फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन को लेटर ऑफ रिक्वेस्ट भेजा गया है और लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस का इंतजार है। लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस आने पर ही पता चलेगा कि भारत को ये राफेल-M किस कीमत पर, और किन शर्तों के साथ मिल रहे हैं। तभी दाम को लेकर मोलभाव होगा और पायलटों की ट्रेनिंग से लेकर मेंटिनेंस जैसे मुद्दों पर स्थिति साफ होगी। नौसेना के सूत्रों के मुताबिक, जब कॉन्ट्रैक्ट साइन हो जाएगा, उसके भी करीब चार साल बाद पहला राफेल-M मिल पाएगा। यानी अगर कॉन्ट्रैक्ट अब भी साइन होता है तो साल 2027 में नेवी को पहला फाइटर जेट मिलेगा। नौसेना को नए स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के लिए फाइटर जेट की सख्त जरूरत है। नौसेना ने अमेरिकी फाइटर जेट F-18 सुपर हॉर्नेट के मुकाबले फ्रांस के राफेल-M को चुना है। जो 26 राफेल-M लिए जाएंगे इनमें से 22 सिंगल सीटर होंगे और चार ट्रेनर एयरक्राफ्ट होंगे।
अभी नौसेना के पास स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत से ऑपरेट करने के लिए करीब 45 मिग-29K फाइटर एयरक्राफ्ट हैं, लेकिन ये पुराने हो रहे हैं। नौसेना इन्हें स्वदेशी एयरक्राफ्ट से रिप्लेस करना चाहती है। HAL ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट का मैरिटाइम यानी विमानवाहक पोत का वर्जन बनाया है, लेकिन वह सभी जरूरतें पूरी नहीं करता। इसलिए नौसेना के लिए अब DRDO ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर बनाने पर काम कर रहा है। इसका पहला प्रोटोटाइप 2026 तक तैयार होने की उम्मीद है। साल 2030 से प्रॉडक्शन शुरू होगा तो 2040 तक 45 डबल इंजन एयरक्राफ्ट मिल जाएंगे। लेकिन तब तक इस गैप को भरने के लिए नेवी के लिए ये 26 राफेल-M जरूरी हैं।
बता दे कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के गणतंत्र दिवस परेड में नहीं आने की पुष्टि के बाद अब भारत ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां को नई दिल्ली की यात्रा के लिए आमंत्रित किया है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने भारत आने का यह न्योता स्वीकार कर लिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति को यह निमंत्रण ऐसे समय पर दिया गया है जब अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर थोड़ी खटास चल रही है। ऐसा छठवीं बार है जब फ्रांस के नेता नई दिल्ली में होने वाली शानदार परेड में चीफ गेस्ट होंगे। मैक्रों ऐसे समय पर भारत आ रहे हैं जब दोनों देशों के बीच राफेल से लेकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोस्ती बहुत मजबूत हो गई है और इसी वजह से फ्रांस को भारत के लिए ‘नया रूस’ तक कहा जाने लगा है।
फ्रांस एकमात्र राष्ट्र है जिसके नेता को इतनी बार गणतंत्र दिवस परेड का मुख्य अतिथि बनाया गया है। भारत और फ्रांस के बीच पिछले कुछ वर्षों में रिश्ते बहुत मजबूत हुए हैं। इससे पहले योजना बनी थी कि अमेरिका समेत क्वॉड देश भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बनेंगे। इस परेड के ऐन मौके पर क्वॉड देशों खासकर अमेरिका के ‘सिड्यूल नहीं बनने’ के नाम पर झटका देने के बाद अब दोस्त फ्रांस के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया गया है। माना जा रहा है कि बाइडन ने भारत आने की बजाय इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तैयारी करने को प्राथमिकता दी।
इसी वजह से बाइडन का यह भारत दौरा नहीं हो पाया। इसी वजह से क्वॉड देशों की बैठक को भी टाल देना पड़ा है। वह भी तब जब क्वॉड के धुर विरोधी चीन ने दक्षिण चीन सागर से लेकर हिमालय तक में अपनी सैन्य तैयारी को बढ़ा दिया है। भारत और फ्रांस के दोस्ती की बात करें तो यह लगातार परवान चढ़ रही है। पीएम मोदी इसी साल फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस पर मुख्य अतिथि थे। साल 2016 में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रैंकोइस होलैंड गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि थे। माना जा रहा है कि गणतंत्र दिवस परेड के दौरान राफेल फाइटर जेट उड़ान भर सकते हैं जिसे भारत ने फ्रांस से खरीदा है।
फ्रांस ऐसा एकमात्र देश था जिसने भारत के दूसरी बार परमाणु परीक्षण करने पर प्रतिबंध नहीं लगाया था। भारत और फ्रांस के बीच वैश्विक मंचों पर करीबी जुगलबंदी देखी गई है। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और इस वैश्विक संस्था में पूरा समर्थन करता है। फ्रांस ने वादा किया है कि वह भारत के दुश्मन पाकिस्तान को हथियार नहीं बेचेगा। साल 2019 में पीएम मोदी के दोबारा सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच यह संबंध और मजबूत होता जा रहा है। इमैनुअल मैक्रां ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर अन्य देशों के विपरीत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। यही नहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और चीन की बुलाई बैठक में भारत का समर्थन किया था। फ्रांस ने मसूद अजहर को लेकर आए प्रस्ताव पर भारत का समर्थन किया था। इन्हीं वजहों से अब फ्रांस के बारे में कहा जा रहा है कि वह भारत के लिए ‘नया रूस’ बन गया है। अब तक रूस ही दशकों से भारत का समर्थन करता रहा है।