Wednesday, January 15, 2025
HomeIndian Newsक्या नीतीश कुमार लालू यादव का भी छीन लेंगे वोट बैंक?

क्या नीतीश कुमार लालू यादव का भी छीन लेंगे वोट बैंक?

आने वाले चुनाव में नीतीश कुमार लालू यादव का भी वोट बैंक छीन सकते हैं! बिहार की राजनीति को समझने वाले पहले से कहते आ रहे हैं कि बिहार में भले दल मिल गए हों, लेकिन दिल नहीं मिले हैं। आरजेडी और जेडीयू महागठबंधन के बैनर तले आकर सरकार चला रहे हैं। नेता एक दूसरे के पक्ष में बयानबाजी भी करते हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं के दिल नहीं मिले हैं। इसका प्रमाण मोकामा, गोपालगंज और कुढ़नी उपचुनाव में भी दिखा। कुढ़नी में जेडीयू की हार के बाद ये बात प्रमाणित हो गई कि आरजेडी का वोट बैंक जेडीयू के समर्थन में ट्रांसफर नहीं होता है। यहीं से जेडीयू और बिहार के मुखिया नीतीश कुमार की चिंता शुरू हुई। कुढ़नी उपचुनाव में हार के बाद नीतीश कुमार ने पार्टी को मंथन करने की बात कही। कहा जा रहा है कि उस मंथन का थोड़ा-बहुत रिजल्ट आया है, उसके बाद पार्टी ने अपने रूख में बदलाव करना शुरू कर दिया है। सियासी जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार को ये समझ में आ रहा है कि उनकी वोट वाली जमीन दरक रही है। इसलिए जेडीयू की ओर से मुस्लिम वोटों के तुष्टीकरण की कवायद शुरू कर दी गई है। साथ ही मुस्लिमों के साथ अति-पिछड़ा के वोट को अपने पाले में करने की कोशिश भी शुरू हो गई है।

जानकार बताते हैं कि यदि जेडीयू बिहार में मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर आगे बढ़ती है, तो सबसे ज्यादा नुकसान लालू यादव को करेगी। जानकारों की मानें, तो आरजेडी के कोर वोटर में मुस्लिम, यादव और अति-पिछड़ा शामिल हैं। जेडीयू की ओर से फिलहाल यादव और अति-पिछड़ा वोटों को छोड़कर सीधे उनके कोर वोटर यानी मुस्लिम वोटरों को साधने की सियासत शुरू हो गई है। जानकार ये भी मानते हैं कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रहते हुए भी बिहार में मुस्लिम तुष्टीकरण का बड़ा खेल कर चुके हैं। कुढ़नी हार के बाद एक बार फिर पार्टी सक्रिय हुई है। 2019 में जब केंद्र ने धारा 370 को हटाया, तो जेडीयू ने उसका विरोध किया। बाद में जन समर्थन को देखते हुए उसके समर्थन में आगे आई। अब एक बार फिर नीतीश की पार्टी धारा 370 के विरोध में बोल रही है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में धारा 370 के खिलाफ बयान दिया है। रंजन ने ट्वीट कर कहा है कि जेडीयू धारा 370 को पुनर्स्थापित करने की पक्षधर रही है। धारा 370 हटने से घाटी का माहौल खराब हुआ है। घाटी की समस्याओं को देखते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार होना चाहिए और लोकतंत्र की बहाली के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए। सवाल सबसे बड़ा है कि जब केंद्र सरकार ने धारा 370 को हटाया, उस वक्त बिहार में एनडीए की सरकार थी। उस वक्त किसी ने इसका विरोध क्यों नहीं किया? अचानकर जेडीयू की ओर से 370 के मुद्दे को उठाने की मंशा क्या है?

सियासी जानकारों की मानें, तो इसके पीछे की मंशा साफ है। नीतीश कुमार कुढ़नी उपचुनाव हारने के बाद अपने वोट बैंक को समेटने के प्रयास में जुटे हैं। इस क्रम में वे सबसे ज्यादा अपने बड़े भाई के वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं। ये वर्ग विकास की राजनीति ही तुष्टीकरण की राजनीति है। वे कहते हैं कि नीतीश कुमार राज्य की राजनीति की बात हो या राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की, उन्होंने हमेशा तुष्टीकरण को पोषित किया है। फिलहाल, जेडीयू और नीतीश कुमार की ओर से बिहार में मुस्लिम वोटों को प्रभावित करने की जो कवायद की जा रही है, ये सिर्फ और सिर्फ लालू को नुकसान पहुंचाने के लिए। नीतीश कुमार लालू के वोट बैंक पर निशाना साधना चाहते हैं। धीरेंद्र कहते हैं कि कुढ़नी उपचुनाव में जिस तरह जेडीयू को आरजेडी के कोर वोटरों ने भी नकार दिया। उसके बाद से नीतीश अलर्ट हो गये हैं। इन्हें लग रहा है कि जेडीयू का वोट बैंक आरजेडी की ओर ट्रांसफर हो रहा है लेकिन ये वोट जेडीयू के समर्थन में नहीं आ रहा है।

शुरू से नीतीश कुमार बिहार में ऐसा कदम उठाते रहे हैं ताकि उन्हें मुस्लिमों का नेता माना जाए। हालांकि, उन्हें ये पता है कि 90 के दशक से बिहार के मुस्लिम वोटरों के मालिक मुख्तार लालू यादव हैं। नीतीश कुमार ने पहले भी लालू के वोट बैंक को तोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने अपने पहले के कार्यकाल में दो काम किये। मुस्लिमों में इन्होंने पसमांदा मुस्लिम समाज खड़ा करने की कोशिश की। इसमें नीतीश सफल भी हुए। नीतीश ने मुस्लिम समाज के दलित वर्गों को एक किया और उसे वोट के रूप में कन्वर्ट कर अपने पाले में कर लिया। उसके बाद इन्होंने 2011 के आस-पास बिहार के किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शाखा खोलवा दी। हालांकि, इसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विरोध किया, लेकिन नीतीश ने अपनी जिद के बलबूते इस केंद्र को खोलवा लिया। नीतीश पूरे बिहार के मुस्लिमों में ये संदेश देने में सफल हो गये कि बिहार में उनके एकमात्र मसीहा वहीं हैं। धीरेंद्र कहते हैं कि अब धारा 370 जैसे मुद्दों को पार्टी छेड़ रही है, तो आप समझ सकते हैं कि मुस्लिम और अति-पिछड़ा वोट की दरकती दीवार को समेटने की कवायद शुरू हो चुकी है और इससे सबसे ज्यादा लालू यादव ही प्रभावित होंगे।

सियासी जानकार मानते हैं कि लालू के वोट बैंक को साधने की कवायद बहुत पहले से जेडीयू ने शुरू की है। जानकारों की मानें, तो 30 अक्टूबर, 2022 दिन रविवार को याद कीजिए। इस दिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट डाला था। ललन सिंह ने लिखा था कि जनता दल यूनाइटेड के 19वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर बिहार व देश भर के कार्यकर्ता साथियों एवं आदरणीय नेता नीतीश कुमार जी को हृदय से बधाई, आभार एवं शुभकामनाएं। सब मिल कर सामाजिक न्याय के साथ विकास की त्वरित गति में बिहार को विकसित प्रदेश बना कर रहेंगे। जानकार मानते हैं कि इस संदेश में आरजेडी के सामाजिक न्याय वाले नारे को शामिल किया गया था। जेडीयू आरजेडी के साथ नजदीकी बढ़ाने के साथ उसके समर्थकों में संदेश देना चाह रही थी कि हम अलग नहीं हैं। कुढ़नी में हार के बाद पार्टी के अंदर मंथन का दौर जारी है। जेडीयू को पता है कि बीजेपी के पास सवर्ण वोट हैं, उसमें सेंध लगाना काफी मुश्किल है। वैसे में जेडीयू के पास राजद का वोट बैंक हड़पने के अलावा कोई चारा नहीं है। जेडीयू इस जुगाड़ में लगी हुई है कि जितनी जल्दी हो सके, बिहार के अपने खोये हुए वोटरों को अपने पाले में कल लिया जाए। हालांकि, सवाल सबसे बड़ा है कि लालू के वोट बैंक में सेंध लगाने में नीतीश कितना कामयाब हो पाते हैं, ये तो वक्त ही बतायेगा।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments