पीएम मोदी अब जातिगत सर्वे को भी जवाब देंगे! बिहार में जाति सर्वेक्षण करवाने और इसकी रिपोर्ट जारी होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि उसकी जहां-जहां सरकार बनेगी, वहां-वहां कास्ट सर्वे करवाया जाएगा। खास तौर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जाति सर्वेक्षण का अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने नारा दिया है- जितनी आबादी, उतना हक। पहले तो बीजेपी ने यह जताती रही कि उसे जाति सर्वेक्षण को लेकर कोई चिंता नहीं है, लेकिन बाद में उसके भी नेता घुमा-फिराकर इसके समर्थन में बयान देने लगी। यहां तक कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जातियों की बात करने लगे हैं। यह अलग बात है कि न बीजेपी और न ही पीएम मोदी, सीधे-सीधे जाति सर्वेक्षण की बात करते हैं। प्रधानमंत्री ने बुधवार को विकासशील भारत संकल्प यात्रा के लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान भी इस मुद्दे पर संकेतों में बात की। उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए देश की सबसे बड़ी चार जातियां हैं।’ पीएम ने इन चार जातियों के रूप में गरीब, युवा, महिला और किसान का नाम लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘जिस दिन यात्रा शुरू हुई थी, तब मैंने एक और बात कही थी। मैंने कहा था कि विकसित भारत का संकल्प चार अमृत स्तंभों पर मजबूती के साथ टिका है। ये अमृत स्तंभ कौन से हैं, इसी पर हमें ध्यान केंद्रित करना है। ये एक अमृत स्तंभ है- हमारी नारी शक्ति, दूसरा अमृत स्तंभ है हमारी युवा शक्ति, तीसरा अमृत स्तंभ है हमारे किसान भाई-बहन, चौथी अमृत शक्ति है हमारे गरीब परिवार। मेरे लिए देश की सबसे बड़ी चार जातियां हैं। मेरे लिए सबसे बड़ी जाति है- गरीब। मेरे लिए सबसे बड़ी जाति है- युवा। मेरे लिए सबसे बड़ी जाति है- महिलाएं, मेरे लिए सबसे बड़ी जाति है- किसान। इन चार जातियों का उत्थान ही भारत को विकसित बनाएगा। और अगर चार का हो जाएगा ना, इसका मतलब सबका हो जाएगा।’
पीएम ने जिन चार जातियों का जिक्र किया, वो बीजेपी के प्रमुख समर्थकों में गिने जाते हैं। खासकर गरीब महिला और युवा वोटरों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा है। यही वजह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 2014 चुनाव से भी ज्यादा सीटें आईं। मोदी सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं की सीधी पहुंच सुनिश्चित करके गरीब और वंचित तबकों का समर्थन हासिल किया है। ऊपर से राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के जोड़ ने बीजेपी को कम से कम लोकसभा चुनावों में अजेय सा बना दिया है। अलग-अलग मुद्दों पर बीजेपी और पीएम मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाकर वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगातार फेल हो रहे विपक्षी दलों ने अब जाति का दांव खेला है। हिंदुओं की एकजुटता के खतरे को अच्छी तरह समझकर विपक्षी दलों ने उनमें जाति के आधार पर विभाजन करने का सपना देखा है। विरोधियों के इस सपने से कुछ हद तक बीजेपी की भी नींद उड़ी हुई है। यही वजह है कि शुरुआत में जाति सर्वेक्षण को सिरे से नकारने वाली बीजेपी के सुर धीरे-धीरे बदल गए हैं।
दरअसल, बीजेपी को उन राज्यों में झटका लगने का डर सता रहा होगा जहां राजनीति में जाति की पकड़ बहुत मजबूत है। लोकसभा में सबसे ज्यादा प्रतिनिधि भेजने वाला राज्य उत्तर प्रदेश हो या फिर जाति सर्वेक्षण करवाकर विपक्ष को नया चुनावी मंत्र देने वाला प्रदेश बिहार, उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में जाति की जकड़ आज भी बहुत मजबूत है। ऐसे में विपक्ष इस उम्मीद में जाति सर्वेक्षण पर जोर दे रहा है कि मोदी सरकार की योजनाओं का लाभार्थी बनकर अपनी जातीय पहचान को पीछे छोड़ने वाले मतदाताओं को फिर से मंडल राजनीति की तरफ खींचा जा सकता है। वहीं, बीजेपी को डर सता रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो ओबीसी वोटरों में सेंध लग जाएगी और 2024 के लोकसभा चुनाव में उसकी आसान जीत की उम्मीद पर पानी फिर सकता है।
यही वजह है कि पीएम मोदी भी लाभार्थियों से लगातार सीधा संपर्क साधते रहते हैं। उन्होंने बुधवार को कहा, ‘थोड़ी देर पहले मुझे कई लाभार्थियों से बातचीत करने का मौका मिला। मैं खुश था कि मेरे देश की माताएं-बहनें, नौजवान कितने उत्साह और उमंग से भरे हुए हैं, कितना आत्मविश्वास से भरे हुए हैं, कितना संकल्प है उनके अंदर।’ इसके साथ ही, पीएम मोदी ने विरोधी दलों की पूर्व की सरकारों के दौर की याद भी दिलाया। उन्होंने कहा, ‘सरकारें हर काम में अपनी राजनीति देखती थीं। चुनाव नजर आता था, वोट बैंक नजर आता था। और वोट बैंक के ही खेल खेलते थे। गांव में जाएंगे तो उस गांव में जाएंगे जहां से वोट मिलने वाले हैं। किसी मोहल्ले में जाएंगे तो उसी मोहल्ले में जाएंगे जो मोहल्ला वोट देता है, दूसरे मोहल्ले को छोड़ देंगे। ये ऐसा भेदभाव, ऐसा अन्याय, ये जैसे स्वभाव बन गया था। जिस क्षेत्र में उनको वोट मिलते दिखते थे, उन्हीं पर थोड़ा बहुत ध्यान दिया जाता था। और इसलिए देशवासियों को ऐसी माई-बाप सरकारों की घोषणाओं पर भरोसा कम ही होता था।’
उन्होंने आगे कहा, ‘निराशा की इस स्थिति को हमारी सरकार ने बदला है। आज देश में जो सरकार है, वो जनता को जनार्दन मानने वाली, ईश्वर का रूप मानने वाली सरकार है। हम सत्ता भाव से नहीं, सेवा भावना से काम करने वाले हैं लोग। आज भी आपके साथ इसी सेवा भाव से गांव-गांव जाने की मैंने ठान ली है। आज देश कुशासन की पहले वाली पराकाष्ठा को भी पीछे छोड़कर सुशासन, और सुशासन का मतलब है शत प्रतिशत लाभ मिलना चाहिए, सैचुरेशन होना चाहिए। कोई भी पीछे छूटना नहीं चाहिए, जो भी हकदार है उसको मिलना चाहिए।’
पीएम मोदी का हमेशा गरीब तबकों पर खास फोकस रहा है। इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं को घर से निकलकर मतदान करने को प्रेरित किया। इसका फल यह मिला कि महिलाएं पुरुष मतदाताओं के मुकाबले ज्यादा संख्या में वोट करने लगी हैं। इसीलिए उन्होंने कहा, ‘इस देश का कोई भी गरीब, चाहे वो जन्म से कुछ भी हो, मुझे उसका जीवन स्तर सुधारना है, उसे गरीबी से बाहर निकालना है। इस देश का कोई भी युवा, चाहे उसकी जाति कुछ भी हो, मुझे उसके लिए रोजगार के, स्वरोजगार के नए अवसर देने हैं। इस देश की कोई भी महिला, चाहे उसकी जाति कुछ भी हो, मुझे उसे सशक्त करना है, उसके जीवन से मुश्किलें कम करनी हैं। उसके सपने जो दबे बड़े हैं ना, उन सपनों को पंख देने हैं, संकल्प से भरना है और सिद्धि तक उसके साथ रह करके मैं उसके सपने पूरे करना चाहता हूं। इस देश का कोई भी किसान, चाहे उसकी जाति कुछ भी हो, मुझे उसकी आय बढ़ानी है, मुझे उसका सामर्थ्य बढ़ाना है। मुझे उसकी खेती को आधुनिक बनाना है। मुझे उसकी खेती में जो चीजें उत्पादित होती हैं उसकी मूल्यवृद्धि करनी है।’
कर्नाटक से लेकर राजस्थान तक कांग्रेस पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र में गारंटियां दे रही हैं। ऐसे में पीएम मोदी भी अपने चाहने वालों में विश्वास का फलक बढ़ाते रहने की कवायद में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार के संबोधन में कहा, ‘गरीब हो, युवा हो, महिलाएं हों और किसान, ये चार जातियों को मैं जब तक मुश्किलों से उबार लेता नहीं हूं, मैं चैन से बैठने वाला नहीं हूं। बस आप मुझे आशीर्वाद दीजिए ताकि मैं उतनी शक्ति से काम करूं, इन चारों जातियों को सारी समस्याओं से मुक्त कर दूं। और ये चारों जाति जब सशक्त होंगी तो स्वाभाविक रूप से तो देश की हर जाति सशक्त होगी। जब ये सशक्त होंगे, तो पूरा देश सशक्त होगा।’