केंद्र सरकार अब समलैंगिकों के लिए एक कमेटी बनाएगी! सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह के मसले पर सुनवाई चल रही है। केंद्र सरकार ने कहा कि वह सेम-सेक्स कपल्स को सोशल बेनेफिट्स देने पर विचार के लिए समिति बनाने को तैयार है। कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में समिति बनेगी जो इसपर विचार करेगी कि अगर सेम-सेक्स कपल्स की शादी को कानूनी मान्यता न मिले तो उन्हें कौन-कौन से सामाजिक फायदे उपलब्ध कराए जा सकते हैं। सेम-सेक्स मैरिज के मामले पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच सुनवाई कर रही है। देशभर से समलैंगिकों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। उनकी मांग है कि समलैंगिक जोड़ों के विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कानूनी मान्यता दी जाए। सेम-सेक्स मैरिज के मामले पर केंद्र सरकार ने कहा है कि वह समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक फायदे देने पर विचार के लिए समिति बनाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में विभिन्न मंत्रालयों के बीच कोऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ेगी। कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी और वह याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर विचार करेगी।
मशहूर एक्ट्रेस कंगना रनौत ने कहा है कि शादी दो दिलों के बीच होती है और अगर दो लोग एक-दूसरे से बंधे हैं, तो उनका जेंडर कोई मायने नहीं रखता। भारत में समलैंगिक शादियों को कानूनी मंजूरी देने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बीच, कंगना से इस बारे में सवाल किया गया था। उनकी मांग है कि समलैंगिक जोड़ों के विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कानूनी मान्यता दी जाए। सेम-सेक्स मैरिज के मामले पर केंद्र सरकार ने कहा है कि वह समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक फायदे देने पर विचार के लिए समिति बनाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में विभिन्न मंत्रालयों के बीच कोऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ेगी। कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी और वह याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर विचार करेगी।कंगना ने कहा, जो शादी होती है, वो दिल के रिश्ते होते हैं, ये सब ही जानते हैं। जब लोगो के दिल मिल गए हैं, बाकी कुछ लोगो की जो प्रेफरेंस है, उसमें हम क्या बोल सकते हैं।
इससे पहले ट्विटर पर कंगना ने लिखा था, ‘चाहे आप एक पुरुष, महिला या कुछ और हों, आपके जेंडर का आपके अलावा किसी और के लिए कोई महत्व नहीं है, कृपया समझें। आज के समय में हम अभिनेत्रियों या महिला निर्देशकों जैसे शब्दों का भी उपयोग नहीं करते हैं, हम उन्हें एक्टर्स और डायरेक्टर्स कहते हैं। आप दुनिया में क्या करते हैं यह आपकी पहचान है, न कि आप बिस्तर में क्या करते हैं। अपनी सेक्शुअल पसंद को बिस्तर तक ही रखें। उसे अपना आईडी कार्ड या मेडल बनाकर हर जगह मत दिखाओ। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हर उस व्यक्ति का गला काटने के लिए छुरी लेकर न घूमें जो आपके जेंडर से सहमत नहीं है।’
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल को पिछली सुनवाई में केंद्र से पूछा था कि क्या वह सेम सेक्स कपल को बिना इस संबंध को मान्यता दिए, बेनिफिट देने के लिए तैयार हैं।उनकी मांग है कि समलैंगिक जोड़ों के विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कानूनी मान्यता दी जाए। सेम-सेक्स मैरिज के मामले पर केंद्र सरकार ने कहा है कि वह समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक फायदे देने पर विचार के लिए समिति बनाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में विभिन्न मंत्रालयों के बीच कोऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ेगी। कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी और वह याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर विचार करेगी। हेट्रोसेक्सुअल कपल जो लंबे समय से साथ में रहते हैं और औपचारिक तौर पर शादी नहीं की हुई उन्हें जो अधिकार मिला हुआ है क्या वह अधिकार सेम-सेक्स कपल को मिल सकता है? इस तरह के कदम से यह सुनिश्चित हो पाएगा कि सेम-सेक्स कपल बहिष्कृत नहीं होंगे।
पिछली सुनवाई में जस्टिस एसके कौल ने कहा था कि 2018 में समलैंगिकता को अपराध की कैटिगरी से बाहर करने के बाद कई कपल नजदीकी संबंध में आ गए। ऐसे में केंद्र को कभी इस बारे में सोचा जो रोजाना की जिंदगी में ये लोग फेस कर रहे हैं। लिव इन रिलेशनशिप भी एक कैटगरी है। उसमें भी कुछ दायित्व हैं जिनका निर्वाह होता है। जैसे बैंक अकाउंट, गोद लेने की प्रक्रिया और दूसरे मसले हैं। इन तमाम मसलों को सरकार को देखना चाहिए। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर कहा कि हम कोर्ट को आश्वास्त करना चाहते हैं कि वह इस मामले में कोर्ट को सहयोग करेंगे।