वर्तमान में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रिटायर्ड जजों के पक्ष में जा रहे हैं! क्या आप जानते हैं कि राज्यों के कंज्यूमर फोरम के प्रमुखों के पद खाली क्यों हैं। इन पदों पर नियुक्ति नहीं होने के पीछे बड़ी वजह क्या है। सरकार इन पदों को भर ही नहीं पा रही है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इन पदों पर नियुक्ति को लेकर होने प्रक्रिया पर टिप्पणियां की है। सीजेआई ने साफ तौर पर इन फोरम के प्रमुखों के चयन के लिए होने वाली लिखित परीक्षा को लेकर सवाल खड़े किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने सरकार को नसीहत भी दी है। चीफ जस्टिस का मानना है कि राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष के रूप में सेलेक्शन के लिए लिखित परीक्षा, उसके बाद इंटरव्यू देना और परीक्षा और मौखिक परीक्षा दोनों में न्यूनतम 50% अंक प्राप्त करना संवैधानिक अदालत के जजों की गरिमा को गिराने जैसा है। जस्टिस चंद्रचूड़ इस बात से पूरी तरह सहमत दिखे कि हाई कोर्ट का जज किसी भी मामले में हर मुद्दे और यहां तक कि शीर्ष नौकरशाहों की भी जांच कर सकते हैं लेकिन वे इस पद के लिए लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू देना ही नहीं चाहते हैं। सीजेआई का कहना है कि जजों की योग्यता को आंकना है तो इस बात को उसकी तरफ से दिए गए फैसलों से करनी चाहिए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, रिटायर्ड हाई कोर्ट जजों को परीक्षाओं में बैठाना अशोभनीय है। अधिकांश सक्षम रिटायर्ड जज इस परीक्षा के खिलाफ हैं।उनकी क्षमता पर मौजूदा जज के रूप में उनकी तरफ से दिए गए निर्णयों के आधार पर विचार किया जाना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि रिटायर्ड जिला जज भी ऐसी सेलेक्शन प्रक्रिया से गुजरने के लिए अनिच्छुक हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सीजेआई से सहमत थे, लेकिन बताया कि सरकार ने सेलेक्शन नियमों में संशोधन करके एससीडीआरसी अध्यक्ष बनने के लिए रिटायर्ड जजों को लिखित परीक्षा-मौखिक चयन प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता को खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को भी अयोध्या में राम मंदिर में बाल राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण भेजा गया था। चीफ जस्टिस अयोध्या पर शीर्ष अदालत की फैसला सुनाने वाली बेंच का हिस्सा रहे थे। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य कार्यक्रम चल रहा है। इधर, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ अपने काम में लगे हुए हैं। दरअसल, आज अदालत में छुट्टी नहीं है और चीफ जस्टिस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।मेहता ने कहा कि यह संशोधन था मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने योग्यता परीक्षा के प्रावधान को रद्द कर दिया।
100 अंकों के दो पेपर, सामान्य ज्ञान, संवैधानिक कानून और उपभोक्ता कानूनों में रिटायर्ड जजों की क्षमता, व्यापार और वाणिज्य के साथ-साथ उपभोक्ता-संबंधी मुद्दों या सार्वजनिक मामलों पर निबंध लिखने की उनकी क्षमता का परीक्षण करने के लिए थे। इसके साथ ही विश्लेषण और प्रारूपण में उसकी क्षमताओं को निर्धारित करने के लिए एक केस स्टडी लिखनी होती है। दो जजों की पीठ ने यह भी कहा था कि प्रत्येक पेपर में क्वालिफाई करने के लिए 50% अंक होंगे। साथ ही 50 अंकों की ओरल परीक्षा होगी। यही नहीं आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को भी अयोध्या में राम मंदिर में बाल राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण भेजा गया था। चीफ जस्टिस अयोध्या पर शीर्ष अदालत की फैसला सुनाने वाली बेंच का हिस्सा रहे थे। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य कार्यक्रम चल रहा है। इधर, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ अपने काम में लगे हुए हैं। दरअसल, आज अदालत में छुट्टी नहीं है और चीफ जस्टिस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। फैसला देने वाली पांच जजों की संविधान पीठ में उस समय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे। इस बात से पूरी तरह सहमत दिखे कि हाई कोर्ट का जज किसी भी मामले में हर मुद्दे और यहां तक कि शीर्ष नौकरशाहों की भी जांच कर सकते हैं लेकिन वे इस पद के लिए लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू देना ही नहीं चाहते हैं। सीजेआई का कहना है कि जजों की योग्यता को आंकना है तो इस बात को उसकी तरफ से दिए गए फैसलों से करनी चाहिए।राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से इन सभी जजों को प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण मिला था।