विपक्ष पीएम मोदी पर यह इल्जाम लगा रहा है कि अगर मोदी आए तो संविधान को नुकसान होगा… आज हम आपको इसकी सच्चाई बताने जा रहे हैं! क्या बीजेपी आरक्षण को खत्म करना चाहती है? क्या भारतीय जनता पार्टी 2024 में ‘400 पार’ का नारा इसलिए बुलंद कर रही जिससे वो संविधान को बदल सके? आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की मानें तो बीजेपी सत्ता में लौटी तो ऐसा कर सकती है। इस बात का जिक्र उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर रविवार को किया। संजय सिंह ने दावा किया कि बीजेपी नेता दो-तिहाई बहुमत इसलिए मांग रहे जिससे संविधान बदल सकें। बीजेपी सत्ता में आते ही आरक्षण खत्म कर देगी। संजय सिंह ही नहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी एक कमेंट कुछ ऐसी ही आशंका जताई है। उन्होंने भी कहा कि बीजेपी में सत्ता में आई तो आरक्षण खत्म किया जा सकता है। हालांकि, खुद पीएम मोदी ने कई मौकों पर ऐसी बातों को खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बीजेपी कभी आरक्षण को खत्म नहीं करेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसे लेकर पार्टी का स्टैंड क्लीयर किया। उन्होंने कहा कि आरक्षण को खत्म नहीं किया जाएगा। पीएम मोदी और अमित शाह की ओर से इनकार के बाद भी विपक्ष लगातार 2024 लोकसभा चुनाव में ये मुद्दा उठा रहा है। ऐसे में सवाल ये कि क्या सच में ऐसा हो सकता है और बीजेपी आरक्षण खत्म कर सकती है? 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग है। इससे ठीक पहले यानी अंबेडकर जयंती पर AAP मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। इसी दौरान राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी संविधान में संशोधन करना चाहती है। संजय सिंह ने इस दौरान बीजेपी सांसद के एक वीडियो का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस वीडियो में बीजेपी के एक सांसद खुलेआम कह रहे कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के लिखे गए संविधान को बदलने की जरूरत है। बीजेपी के सांसद कह रहे हैं कि 272 में काम नहीं चल रहा। अगर संविधान बदलना है तो दो-तिहाई बहुमत चाहिए, इसलिए ज्यादा से ज्यादा सीट दीजिए हमें संविधान बदलना है।
संजय सिंह ने कहा कि ये कितनी खतरनाक बात है। आम आदमी पार्टी कार्यालय से उन्होंने दो टूक कहा कि मैं बीजेपी और आरएसएस को बताना चाहता हूं कि जब तक आप कार्यकर्ता हैं, हम संविधान को बचाने के लिए आखिरी सांस तक लड़ेंगे। हमने यह प्रतिज्ञा ली है और इसे पूरा करेंगे। संजय सिंह ने जिस तरह से ये दावा किया उसे लेकर सवाल उठना लाजमी है। क्या सच में आरक्षण को खत्म किया जा सकता है। ये कोई पहली बार नहीं है जब भारत में आरक्षण को लेकर राजनीति हो रही। 2019 के चुनावों में भी ऐसी ही चर्चा शुरू हुई थी। हालांकि, उस समय पीएम मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा था कि आरक्षण खत्म करने का उनकी सरकार का कोई इरादा नहीं है।
महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली के दौरान अप्रैल 2019 में पीएम मोदी ने कहा था कि विपक्षी दल अफवाह फैला रहे कि अगर वह सत्ता में लौटे तो आरक्षण में बदलाव होगा। उन्होंने ये भी कहा था कि वो सुनिश्चित करेंगे कि आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं हो। जब तक मोदी यहां है, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर की ओर से हमें दिए गए आरक्षण को कोई छू भी नहीं सकता। वहीं 2024 के चुनाव में जैसे ही विपक्ष की ओर से ये मुद्दा उठाया गया तो गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला। उन्होंने 14 अप्रैल यानी अंबेडकर जयंती पर कहा कि बीजेपी आरक्षण कभी खत्म नहीं होने देगी और न ही कांग्रेस को ऐसा करने देगी। मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जब तक भाजपा राजनीति में है, हम आरक्षण को कुछ नहीं होने देंगे।
अगर आरक्षण के इतिहास को देखा जाए तो यह आजादी से पहले की व्यवस्था है। देश में आरक्षण का आधार जाति बनी क्योंकि कास्ट के आधार पर असमानताएं थीं इसीलिए जातिगत आरक्षण की व्यवस्था लागू हुई। आरक्षण पर 1953 में कालेलकर आयोग की रिपोर्ट में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया। हालांकि, ओबीसी की सिफारिश अस्वीकार कर दी गई। 90 के दशक में ओबीसी आरक्षण भी लागू हुआ और गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण भी आ गया। आरक्षण का उद्देश्य था कि केंद्र और राज्य में सरकारी नौकरियों, कल्याणकारी योजनाओं, चुनाव और शिक्षा के क्षेत्र में हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके। हालांकि, आरक्षण देने या हटाने का फैसला सियासी रूप से आसान नहीं होगा। वहीं इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि आरक्षण हमेशा के लिए नहीं हो सकता। समय सीमा तय करने की जरूरत है।