बीते दिन दुनिया ने जनसंख्या दिवस के तौर पर बनाया। वही भारत अपनी जनसंख्या की वृद्धि को लेकर चिन्तित नज़र आया। अगर भारत अपनी जनसंख्या की बढ़ती रफ्तार पर रोक नहीं लगा पाया तो भारत के लिए इसके गंभीर परिणाम हो सकते है। आपको बता दे की 1901 मे भारत की जनसंख्या 23.8 थी जो 1991 मे बढ़कर 84.6 करोड़ तथा 2001 में 21.54 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गयी, जबकि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बीते एक दशक में आबादी 17.64 फीसदी बढ़ी गई है। 2011 की जनसंख्या जनगणना के अनुसार अब भारत अब जनसंख्या 1.21 अरब को पार कर चुका है । जनसंख्या की दृष्टि से विश्व मे भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है। जनसंख्या मे इस वृद्धि के परिणामस्वरूप नियोजित आर्थिक विकास के सारे प्रयास निष्फल सिद्ध हो रहे है तथा देश मे भोजन, वस्त्र एवं आवास की समस्या विकराल होती जा रही है। अद्भुत औषधियों के अन्वेषण और आर्थिक सम्पन्नता मे सतत् सुधार के परिणामस्वरूप मृत्यु की संभावना घटती जा रही है, लेकिन उसी अनुपात मे जन्म दर मे कमी नही हो रही है। फलस्वरूप जनसंख्या मे अभूतपूर्व वृद्धि होती जा रही है। इस तरह, जन्म दर एवं मृत्यु दर के बीच यह दूरी जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे कुल जनसंख्या मे भी वृद्धि होती जा रही है। जो भारत के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। इस पर ही बोलते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जनसंख्या ने कहा अगर जनसंख्या पर अभी नियंत्रण नहीं किया गया तो मूल आबादी पर खतरा आ सकता है।
क्या दिया योगी आदित्यनाथ ने बयान।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, ”यह एक चिंता हर उस देश के लिए चिन्ता का विषय है जहाँ जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति पैदा हो रही है। उनका कहना है की इससे धार्मिक जनसांख्यिकी पर विपरीत असर पड़ता है। फिर एक समय के बाद वहाँ पर अव्यवस्था और अराजकता पैदा होने लगती है,जो देश और प्रदेश के लिए खतरा बन सकती है। उन्होने कहा की इसलिए जब हम जनसंख्या नियंत्रण की बात करें तो जाति, मत-मज़हब, क्षेत्र, भाषा से ऊपर उठकर समाज में समान रूप से जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम के साथ जुड़ने की ज़रूरत है।”
गौरतलब है की उत्तर प्रदेश लॉ कमिशन ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) बिल 2021 का एक ड्राफ्ट सौंपा है। जिस पर सरकार विचार कर रही है।
क्या दिया योगी आदित्यनाथ ने बयान।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, ”यह एक चिंता हर उस देश के लिए चिन्ता का विषय है जहाँ जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति पैदा हो रही है। उनका कहना है की इससे धार्मिक जनसांख्यिकी पर विपरीत असर पड़ता है। फिर एक समय के बाद वहाँ पर अव्यवस्था और अराजकता पैदा होने लगती है,जो देश और प्रदेश के लिए खतरा बन सकती है। उन्होने कहा की इसलिए जब हम जनसंख्या नियंत्रण की बात करें तो जाति, मत-मज़हब, क्षेत्र, भाषा से ऊपर उठकर समाज में समान रूप से जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम के साथ जुड़ने की ज़रूरत है।”
गौरतलब है की उत्तर प्रदेश लॉ कमिशन ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) बिल 2021 का एक ड्राफ्ट सौंपा है। जिस पर सरकार विचार कर रही है।
जनसंख्या पर किस किस राजनीतिक लोगो ने दी प्रतिक्रिया।
बीजेपी के नेता और प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए कहा कि जनसंख्या वृद्धि सिर्फ हमारी पार्टी के लिए नहीं, भारत के हर जागरूक नागरिक के लिए चिंता का विषय है। निश्चित तौर पर आम आदमी से लेकर राजनीतिक दलों तक, सभी को सही दिशा में बढ़ना होगा। ताकि देश को जनसंख्या विस्फोट तक जाने से रोका जा सके।
वहीं इस विषय पर बोलते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सख्त कानून का पक्ष लेते हुए ट्वीट किया, ‘बढ़ती जनसंख्या का राक्षस भारत को विश्व गुरु बनने से रोक रहा है। वही पड़ोसी चीन की तारीफ करते हुए कहा की जनसंख्या पर नियंत्रण की सफल नीति के दम पर ही चीन ने भारत को कई मानकों पर पीछे छोड़ दिया। हमें किसी धर्म या जाति के चश्मे से इस विषय को नहीं देखना चाहिए बल्कि भारत के हित को सर्वोपरि रखते हुए ही इस पर सोचना चाहिए’।
वही विपक्ष की ओर से योगी के इस बयान को धर्म से जोड़ कर देखा जा रहा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा की सरकार सिर्फ धर्म विशेष को ध्यान में पर कानून को लागू करना चाह रही है। तो वही मुस्लिम नेता औवेसी ने इसे धर्मी भावनाओ को भड़काने वाला बयान बताया और कहा की जनसंख्या पर कोई भी जबरन रोक नही लगा सकता।