उत्तर प्रदेश में अब माफिया के बाद जामताड़ा गैंग भी समाप्त होगा! उत्तर प्रदेश पुलिस ने राज्य के माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद माफिया राज को खत्म करने की बात कर चुके हैं और राज्य में माफियाओं के खिलाफ एक-एक कर कार्रवाई भी हो रही है। राज्य के दो बड़े माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का साम्राज्य पूरी तरह से ढह चुका है। अतीक अहमद की मौत हो चुकी है जबकि मुख्तार अंसारी अपने जुर्मों की सजा भुगत रहा है। इनके अलावा दूसरे माफियाओं के खिलाफ भी एक्शन लिया जा रहा है, लेकिन अब माफियाओं के अलावा जामताड़ा गैंग का भी जल्द राज्य से सफाया होता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश में जामताड़ा गैंग ने कई लोगों को अपना निशान बनाया था। लखनऊ में ही साइबर ठगी के कई मामले लगातार सामने आ रहे थे। जामताड़ा गैंग यानी लोगों से ऑनलाइन लूट करने वाला गैंग। कभी बैंक लोन के नाम पर, कभी शॉपिंग के नाम पर, कभी फ्री गिफ्ट्स का झांसा देकर तो कभी किसी और तरीके से। राज्य में ये गैंग लोगों के बैंक अकाउंट खाली कर चुका था और इसलिए अब राज्य साइबर सेल ने इस गैंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की है। साइबर सेल ने एक ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है जिसके जरिए ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
साइबर पुलिस ने राज्य के लोगों को ठगने वाले मामले उठाए हैं और इस आधार पर देशभर के 1850 मोबाइल नंबरों की पहचान की है। ये वो मोबाइल नंबर है जिनके जरिए उत्तर प्रदेश में रह रहे लोगों के साथ ठगी हुई। किसी के एक लाख रुपये लूट लिए गए , किसी के पांच लाख तो किसी के 10 लाख। पुलिस ने 980 ऐसे बैंक खाते भी चिन्हित किए हैं जिसमें ये ठगी का पैसा ट्रांसफर किया गया है। अब बस ये तलाश की जा रही है कि ये नंबर्स किसके नाम से रजिस्टर्ड हैं। हालांकि ये बात सामने आती है कि ज्यादातर नंबर फर्जी आईडी से रजिस्टर होते हैं इसलिए ट्रैक करना थोड़ा मुश्किल होता है। हालांकि लोकेशन के साथ इन नंबर्स को ट्रैक किया जा रहा है। ये ज्यादातर नंबर जामताड़ा,मेवात, अलवर और भरतपुर के हैं। जामताड़ा गैंग के ज्यादातर ठग इन्हीं इलाकों से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। इसके अलावा कुछ नंबर बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की लोकेशन भी दिखा रहे हैं।
साइबर सेल जल्द इन सारे नंबरों को ब्लॉक करने की प्लानिंग कर रही है। इसके पहले पिछले साल भी साइबर सेल ने 750 मोबाइल सिम ब्लॉक किए थे, जिसके बाद कुछ समय के लिए ऑनलाइन ठगी में लगाम लगी थी, लेकिन अब एक बार फिर हालात बिगड़ते जा रहे हैं। रोज दर्जनों ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। अकेले लखनऊ में ही रोज करीब 25 ठगी हो रही हैं। अब अगर 1850 सिम ब्लॉक होते हैं और 980 बैंक अकाउंट को भी सीज कर दिया जाता है तो ये जामताड़ा के खिलाफ काफी बड़ा एक्शन होगा। बता दें कि झारखंड पुलिस के मुताबिक जामताड़ा में साल 2020 से लेकर अब तक साइबर अपराध के आरोप में 170 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. यह गिरफ्तारी सिर्फ जामताड़ा पुलिस ने की है. अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संयुक्त छापेमारी में यह संख्या 500 से अधिक है.पुलिस छापेमारी में करीब 100 से अधिक मोबाइल और 300 से अधिक सिम कार्ड भी बरामद किए गए!
झारखंड-बंगाल बॉर्डर पर स्थित जामताड़ा 1990 के दशक में रेलवे में वैगन ब्रेकिंग, पिल्फरेज यानी चोरी और नशा खिलाकर यात्रियों को लूटने के लिए बदनाम था. लेकिन मोबाइल के आने के बाद यह साइबर अपराधियों का गढ़ बन गया. साइबर अपराधियों ने पहले ओटीपी मॉड्यूल और बाद में अनेकानेक तरीके अपनाकर लोगों के साथ फ्रॉड करना शुरू कर दिया.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक झारखंड के 308 गांव साइबर क्राइम के कामों में संलिप्त है. यहां महिलाएं भी अपने अपराधियों को पुलिस से बचाने में काफी मदद करती हैं. 2021 में अपराधियों को पकड़ने गई भोपाल पुलिस पर महिलाओं ने जामताड़ा में हमला कर दिया था!
पुलिस के मुताबिक कई ऐसे मामले सामने आए, जिसमें पिता के जेल जाने के बाद फ्रॉड की कमान बेटे ने संभाल ली. यानी यहां अपराध भी परंपरागत चल रहा है. इतना ही नहीं, गिरफ्तार अपराधी भी जमानत मिलने के बाद फिर से इस काम में जुट जाते हैं. जामताड़ा गैंग की वजह से बिहार, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और नई दिल्ली की पुलिस परेशान है. इन राज्यों में साइबर फ्रॉड के अधिकांश केसों की ताड़ जामताड़ा से ही जुड़ा होता है. दिलचस्प बात है कि जामताड़ा गैंग के सदस्य ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं होते हैं. इसके बावजूद साइबर ठगी का यह खेल बड़ी आसानी से करते हैं. यह भी एक रहस्य बना हुआ है!