अमेरिका से अब चोरी हुई वस्तुएं भारत वापस आएगी! पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली अमेरिकी राजकीय यात्रा के आखिरी दिन शुक्रवार रोनाल्ड रीगन बिल्डिंग एंड इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर में भारतीय प्रवासियों से बातचीत की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि अमेरिकी सरकार ने भारत की 100 से ज्यादा प्राचीन महत्व की वस्तुओं को वापस करने का फैसला किया है, जो हमसे चुराए गए थे, ये धरोहर अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच गए थे, मैं इसके लिए अमेरिकी सरकार का आभार व्यक्त करता हूं।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को अमेरिका की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा समाप्त करते हुए कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों की एक गौरवशाली यात्रा शुरू हो गई है और दुनिया दो महान लोकतंत्रों को अपने रिश्तों को मजबूत करते हुए देख रही है। वाशिंगटन स्थित रोनाल्ड रीगन बिल्डिंग एंड इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर में भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच साझेदारी की पूर्ण क्षमता अब तक साकार नहीं हुई है और दोनों देशों के संबंध 21वीं सदी में दुनिया को फिर से बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं।
प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण को बढ़ावा देने और औद्योगिक आपूर्ति शृंखला को मजबूत बनाने के लिए हुए समझौतों का जिक्र करते हुए कहा कि वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों के रुख में समानता दिखी है और उनके बढ़ते संबंध ‘मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड’ से जुड़े प्रयासों को बढ़ावा देंगे।
मोदी ने कहा, ‘भारत लोकतंत्र की ‘जननी’ है, तो अमेरिका आधुनिक लोकतंत्र का ‘चैंपियन’ है और दुनिया इन दो महान लोकतंत्रों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत होता देख रही है।’ उन्होंने कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय दोनों देशों के संबंधों की वास्तविक क्षमता को साकार करने में बड़ी भूमिका निभाएगा और यह भारत में अधिक से अधिक निवेश करने का उपयुक्त समय है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम भारत और अमेरिका साथ मिलकर न सिर्फ नीतियां और समझौते तैयार कर रहे हैं, बल्कि हम जीवन, सपनों और नियति को आकार भी दे रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि दोनों देश बेहतर भविष्य के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। यह मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के निमंत्रण पर काहिरा रवाना होने से पहले अमेरिका में मोदी का आखिरी कार्यक्रम था।
अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के योगदान और आचरण की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का श्रेय दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच के रिश्ते को न केवल वाणिज्यिक एवं व्यापारिक, बल्कि भावनात्मक भी बताया। मोदी ने घोषणा की कि भारतीय मूल के लोगों को एच-1बी वीजा के नवीनीकरण के लिए अमेरिका नहीं छोड़ना पड़ेगा। सभागार के अंदर और बाहर मौजूद प्रवासी भारतीयों ने इस घोषणा का तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि सूचना प्रौद्योगिकी आईटी क्षेत्र के पेशेवर इससे लाभान्वित होंगे और इस संबंध में एक पायलट परियोजना इसी महीने शुरू की जाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि अनुभव के आधार पर यह सुविधा एल-श्रेणी के वीजा एक कंपनी की अलग-अलग शाखाओं में स्थानांतरण से संबंधित वीजा के मामले में भी उपलब्ध कराई जा सकती है। मोदी ने कहा कि प्रवासी भारतीयों के लिए सेवाओं को सुगम बनाना भारत की प्राथमिकता है और अब देश सिएटल में एक तथा दो अन्य अमेरिकी शहरों में दो नये वाणिज्य दूतावास खोलेगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका भी अहमदाबाद और बेंगलुरु में नये वाणिज्य दूतावास खोल रहा है।
मोदी ने कहा कि नया भारत अपनी राह और दिशा जानता है और उसे अपने निर्णयों एवं संकल्पों को लेकर कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने कहा कि देश अब अपनी क्षमता को प्रदर्शन में बदल रहा है। मोदी ने यह भी कहा कि भारत सरकार की मदद से ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में एक तमिल अध्ययन पीठ स्थापित की जाएगी।सभागार के अंदर और बाहर मौजूद प्रवासी भारतीयों ने इस घोषणा का तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि सूचना प्रौद्योगिकी आईटी क्षेत्र के पेशेवर इससे लाभान्वित होंगे और इस संबंध में एक पायलट परियोजना इसी महीने शुरू की जाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि अनुभव के आधार पर यह सुविधा एल-श्रेणी के वीजा एक कंपनी की अलग-अलग शाखाओं में स्थानांतरण से संबंधित वीजा के मामले में भी उपलब्ध कराई जा सकती है। उन्होंने प्रवासी भारतीय समुदाय से इस तथ्य पर गर्व करने को कहा कि तमिल ‘दुनिया की सबसे पुरानी भाषा’ है। उन्होंने 100 से अधिक पुरावशेषों को वापस करने के अमेरिकी सरकार के फैसले पर भी खुशी जाहिर की, जो अवैध तरीके से भारत से बाहर ले जाए गए थे। प्रधानमंत्री ने भारत और भारतीयों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए अमेरिकी सरकार की सराहना की और कहा कि इससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।