सुप्रीम कोर्ट अब विपक्षी दलों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है! लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जांच को लेकर ऐसी टिप्पणी की है, जिससे विपक्षी दलों के उन नेताओं की मुश्किलें बढ़ेंगी, जो ईडी की रडार पर हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ सहयोग करना चाहिए। कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश पर भी सवाल उठाया जिसमें ईडी द्वारा तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को अवैध रेत खनन के मामलों में तलब किए जाने पर रोक लगा दी गई थी। यह टिप्पणी विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में चल रही जांचों को प्रभावित कर सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केंद्र सरकार को और मजबूती देगा। दरअसल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीएमसी और समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों के नेता केंद्र पर ईडी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई जांच के जरिए उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही हैं। विपक्षी दल का आरोप है कि ईडी, केंद्र के इशारों पर जांच करती है और झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल में डालती है। ऐसे में अब जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जांच को लेकर जो साकारात्मक टिप्पणी की है, उससे विपक्षी दलों को झटका लगना तय है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाल ही में ईडी ने गिरफ्तार कर किया है। जमीन घोटाला प्रकरण में सोरेन 15वें आरोपित हैं। इनसे पहले 14 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
दिल्ली सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को ईडी ने फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था। उन्हें शराब घोटाले में मुख्य आरोपी बनाया गया है।
दिल्ली शराब घोटाला मामले में ही ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को 7वां समन भेजा है। केजरीवाल को 26 फरवरी को पेश होने के लिए कहा गया है। केजरीवाल को इससे पहले ईडी 6 समन भेज चुकी है, लेकिन दिल्ली सीएम किसी ना किसी वजह से ईडी के सामने पेश नहीं हुए हैं।
आम आदमी पार्टी के ही एक और नेता संजय सिंह को ED ने 4 अक्तूबर को गिरफ्तार किया था। दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े कथित घोटाले में उन पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। दिनेश अरोड़ा नाम के एक शख्स ने उनके खिलाफ गवाही दी है, जिसकी वजह से संजय सिंह जेल से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। आम आदमी पार्टी सरकार में दिल्ली के मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को भी ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में पिछले साल 30 मई को गिरफ्तार किया था। उन चार कंपनियों के जरिए धनशोधन का आरोप है, जो कथित तौर पर उनसे ही जुड़ी हुई थीं।
तृणमूल कांग्रेस के नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री रहे ज्योति प्रिया मलिक को 30 अक्टूबर को ED ने गिरफ्तार किया था। करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले में उनकी संलिप्तता पाई गई है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी हैं। बंगाल स्कूल रोजगार घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय ने 9 नवंबर को उनसे पूछताछ की था की। प्राथमिक स्कूल नौकरी घोटाले में पैसे के लेन-देन की जांच के संबंध में एजेंसी ने उनसे पूछताछ की थी।
राजद नेता और लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव भी ईडी की रडार पर हैं। हाल ही में ईडी ने नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में उनसे 10 घंटे तक पूछताछ की थी। कहा जा रहा था कि ईडी की टीम ने 60 से अधिक सवालों की लिस्ट तैयार की थी। इससे पहले लालू यादव से भी इसी मामले में पूछताछ की गई थी।सुनवाई की शुरुआत में, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और पंकज मित्तल की पीठ ने कहा, ‘राज्य यह रिट याचिका कैसे दायर कर सकता है? किस कानून के तहत…आप हमें संतुष्ट करें कि राज्य को इसमें क्या दिलचस्पी है और वह प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ यह रिट याचिका कैसे दायर कर सकता है। राज्य को क्या नुकसान हुआ है?’ तमिलनाडु सरकार का कहना है कि ईडी की जांच अगर सही तरीके से नहीं हो रही है तो उसे अपने अधिकारियों को उससे बचाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चाहे जो हो, राज्य को ईडी की जांच में सहयोग करना चाहिए।
ईडी ने 17 नवंबर को वेल्लोर, तिरुचिरापल्ली, करूर, तंजावुर और अरियालूर जिलों के कलेक्टरों को तलब किया था, लेकिन तमिलनाडु सरकार ने साथ ही प्रभावित अधिकारियों ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ईडी द्वारा उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।अदालत ने फिलहाल जांच रोक दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें कहा गया था कि ईडी ‘जानकारी और सबूत इकट्ठा करके यह पता लगाने के मछली पकड़ने के अभियान में जुटा है कि क्या उन्हें आगे अन्य स्रोतों से संसाधित किया जा सकता है ताकि अपराध का पता लगाया जा सके’ ताकि वे पीएमएलए के तहत आगे बढ़ सकें।
राज्य और अधिकारियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अमित आनंद तिवारी ने कहा कि जबकि अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाएं स्वीकार्य हैं क्योंकि वे पीड़ित पक्ष हैं, राज्य भी अपने अधिकारियों को अवैध जांच से बचाने के लिए बाध्य है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने वाली थी, लेकिन रोहतगी ने पीठ द्वारा उठाए गए प्रारंभिक विरोध को खारिज करने के लिए समय की मांग करते हुए सुनवाई को 26 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि ईडी द्वारा जांच शुरू करने के लिए मामले में कोई आधारभूत अपराध नहीं था और हाईकोर्ट तलब को रोकने में सही था। ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिला कलेक्टर इस मामले में आरोपियों में शामिल नहीं हैं और उन्हें केवल गवाह के रूप में बुलाया गया था।