Thursday, January 30, 2025
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क्या अब बच्चों के पाठ्यक्रम में किया जाएगा बदलाव?

अब बच्चों के पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा सकता है! नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा यानी NCF का ड्राफ्ट जारी किया गया है। इस ड्राफ्ट में स्कूली शिक्षा के अलग-अलग स्तर पर परीक्षाएं और मूल्यांकन में बड़े बदलावों की सिफारिश की है। NCF के ड्राफ्ट में सुझाव दिया गया है कि बोर्ड परीक्षाएं साल में कम से कम दो बार आयोजित होनी चाहिए। अगर आप भी स्कूल में पढ़ते हैं या आपके परिवार से कोई स्कूल में है, तो ये खबर आपको जान लेनी चाहिए। NCF ने स्कूलों में बोर्ड के पैटर्न में बदलाव मसौदा तैयार किया है। अब बच्चों को 11वीं और 12वीं में साल में एक बार नहीं बल्कि दो बार परीक्षाएं देनी होंगी। इसके अलावा अब बच्चा फिजिक्स के साथ म्यूजिक या कला जैसे विषय पढ़ सकता है। इसके अलावा 9वीं और 10वीं में हुए एग्जाम के आधार पर रिजल्ट बनेगा इसी तरह 12वीं के रिजल्ट में 11वीं के नंबरों को भी शामिल किया जा सकता है। एनसीएफ के ड्राफ्ट में सबसे बड़ा बदलाव बोर्ड परीक्षाओं को लेकर है। अब तक जो 10वीं और 12वीं क्लास के लास्ट में बोर्ड परीक्षाएं होती हैं, उन्हें साल में दो बार कराने पर विचार किया गया है। यानी प्रोफेशनल कोर्सेस की तरह अब 11वीं और 12वीं में भी सेमेस्टर सिस्टम लागू हो जाएगा। सेमेस्टर के हिसाब से ही पाठ्यक्रम तैयार होगा। इसके अलावा 12वीं के रिजल्ट में 11वीं क्लास के अंक भी जुड़ेंगे। आसान भाषा में समझने के लिए कह सकते हैं कि अब 10वीं पास करने के बाद बच्चों को हर 6 महीने में 4 बोर्ड परीक्षाओं को पास करना होगा। हालांकि 9वीं और दसवीं में परीक्षाओं का पुराना पैटर्न ही लागू रहेगा।

अगर आपका बच्चा 9वीं क्लास में है, तो उसके पास कई विषय पढ़ने और सीखने का अवसर मिलेगा। इतना ही नहीं अब बच्चे के पास 9वीं में ही भविष्य की तैयारी शुरू करनी होगी। बच्चों को 12वीं के दौरान या बाद में सबसे बड़ी उलझन आगे की पढ़ाई और करियर को लेकर होती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। 9वीं से ही बच्चों को सारे विषय पढ़ाएं जाएंगे ताकि वो अपने करियर को चुन सके। NCF ने ड्राफ्ट में 9वीं से लेकर 12वीं तक को सेंकडरी स्टेज में रखा है। इसे भी दो भागों 9वीं-10वीं और 11वीं-12वीं में बांटा गया है।

अब तक 9वीं और 10वीं में केवल 5 विषय पढ़ाए जाते है। लेकिन एनसीएफ के ड्राफ्ट में 8 विषयों को अनिवार्य किया जा सकता है। ग्रेड 10 को पूरा करने के लिए 8 कोर्सेस प्रोग्राम में से दो अनिवार्य रूप से पढ़ने होंगे। यानी 9वीं और 10में कुल 16 विषय होंगे। इनमें ह्यूमिनिटीज इसमें भाषाएं शामिल होंगी, गणित और कंप्यूटर, फिजिकल एजुकेशन, कला, सोशल साइंस, साइंस और इंटर डिसीप्लेनरी एजुकेशन शामिल होंगे।

ड्राफ्ट में कहा गया है कि 9वीं और 10वीं सेमेस्टर पैटर्न की बजाय अभी की तरह ईयरली पैटर्न पर ही चलेंगे। इन क्लासेस में भी सेमेस्टर सिस्टम बनाया जा सकता है, लेकिन इसकी जरूरत नहीं है, क्योंकि छात्र अनिवार्य विषयों को पढ़ेंगे। 10वीं क्लास के लास्ट में बच्चों को बोर्ड परीक्षा पास करनी होगी, ये ग्रेड 9 और 10 के दौरान सीखे गए सिलेबस पर आधारित होगी।

9वीं और 10वीं में छात्रों को भले ही अनिवार्य विषय पढ़ने होंगे, लेकिन इसके बाद की क्लास में अपनी रुचि के हिसाब से विषय चुन सकते हैं। दरअसल 10वीं पास करने के बाद ही छात्र मेडिकल, इंजीनियर, आर्ट, साहित्य जैसे विषयों को चुनने में कन्फ्यूज रहते हैं। कई बार भविष्य को लेकर छात्र तनाव में चले जाते हैं। फिलहाल 11वीं और 12वीं के छात्र फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ के बीच ही उलझ कर रह जाते हैं। कई बच्चे साहित्य में बहुत रुचि रखते हैं, लेकिन परिवार वो चाहकर भी इनको पढ़ नहीं पाते। ऐसे में नया ड्राफ्ट काफी कारगर साबित होगा। NCF ने 11वीं और 12वीं के लिए 16 च्वाइंस बेस्ट कोर्सेस का प्रस्ताव रखा है, जिन्हें छात्र अपनी मर्जी से चुन पाएंगे।

11वीं कक्षा में बच्चों के पास तीन ऑप्शन होंगे। पहले में ह्यूमैनइटीज, सोशल साइंस, साइंस, मैथमेटिक्स और कंप्यूटिंग विषय होंगे। दूसरे में इंटरडिसिप्लिनरी एरिया ऐसे बच्चों के लिए स्नातक के बाद रिसर्च एरिया में भविष्य बनाना चाहते होंगे। तीसरे वर्ग में ऑटर्स, स्पोर्ट्स और वोकेशनल को चुनने का विकल्प मिलेगा। लेकिन छात्र इनमें से कोई से भी विषय को चुन सकता है। दरअसल इस ड्राफ्ट में 8 तरह के कोर्स के सेट तय किए गए हैं, जिनमें तीन-चार विषय हैं। अब छात्र अलग-अलग सेट के विषय चुन सकता है। मान लीजिए कोई छात्र साइंस सेट में से फिजिक्स चुनता है, तो वो दूसरे विषय के लिए आर्ट सेट में से म्यूजिक चुन सकता है। इसके साथ ही तीसरे विषय के लिए गणित सेट में से कोई विषय चुन सकता है।

एनसीएफ ने 11वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव किया है। दोनों क्लास में 8 विषय तो पढ़ने होंगे लेकिन इनकी परीक्षाएं एक साथ नहीं होगीं। अब साल में दो बार परीक्षाएं होगीं। पहले सेमेस्टर में 4 विषय और दूसरे में बचे हुए 4 विषयों के पेपर देने होंगे। अगर आपका बच्चा प्राइमरी या जूनियर क्लास में पढ़ता है, तो उसके स्कूल पैटर्न में भी बदलाव हो सकता है। नई शिक्षा नीति का फोकस प्राइमरी एजुकेशन पर है। अब तक चली आ रही 10+2 पैटर्न को बदलकर 5+3+3+4 कर दिया गया है। इसके फॉर्मेट में पहली स्टेज प्री प्राइमरी से लेकर क्लास 3 तक है। दूसरे में क्लास तीसरी से 5वीं तक, तीसरे में छठी क्लास से 8वीं तक और चौथे में 9वीं से 12वीं तक शामिल है।

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