क्या राहुल गांधी के साथ जुड़ेंगे वरुण गांधी?

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वरुण गांधी और राहुल गांधी के साथ जुड़ सकते हैं! उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों चर्चा राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा की है। तीन दिनों की यात्रा के जरिए राहुल गांधी यूपी की राजनीति में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश में हैं। तीन जनवरी से राहुल गांधी की यात्रा शुरू हो रही है। इससे पहले वे एक साथ अखिलेश यादव और मायावती को साध रहे हैं। वहीं, इस यात्रा को लेकर गांधी परिवार के बीच के मनमुटाव की दीवार भी ढहती दिख रही है। दरअसल, करीब 4 दशक पहले इंदिरा गांधी के आवास से जिस नन्हें वरुण गांधी को लेकर मेनका गांधी निकली थीं। अब वरुण गांधी के मन की बात सामने आई है। उन्होंने कांग्रेस और पंडित नेहरू को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वरुण गांधी कहते नजर आ रहे हैं कि मैं न कांग्रेस के खिलाफ हूं और न पंडित नेहरू के खिलाफ। देश की राजनीति देश को जोड़ने की होनी चाहिए। गृहयुद्ध पैदा करने की नहीं होनी चाहिए। आज जो लोग केवल धर्म और जाति के नाम पर वोट ले रहे हैं, उनसे हमें रोजगार, शिक्षा और हेल्थ से संबंधित सवाल पूछना चाहिए। हमें वह राजनीति नहीं करनी, जो लोगों को दबाए। हमें वह राजनीति करनी है जो लोगों को उठाए। वरुण गांधी के सुर में बदलाव को चचेरे भाई राहुल गांधी के सुर से जोड़कर देखा जा रहा है। सवाल यह उठने लगा है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वरुण गांधी और राहुल गांधी एक पाले में आएंगे? दरअसल, भारतीय जनता पार्टी से सांसद वरुण गांधी की स्थिति ठीक वैसी ही है, जैसे लोकसभा चुनाव 2019 के पहले शॉटगन के नाम से प्रसिद्ध एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा की थी।

वरुण गांधी लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए भी अपनी ही सरकार के खिलाफ हमलावर रहे हैं। तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर वरुण गांधी के बयान पार्टी लाइन से हटकर आते रहे हैं। ऐसे में उनके ताजा बयान का वायरल वीडियो सुर्खियों में है। इसमें वरुण अपनी ही पार्टी पर हमलावर दिख रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि क्या वरुण गांधी अब कोई राजनीतिक फैसला लेने के मूड में हैं। दरअसल, वरुण गांधी पिछले दिनों बेरोजगारी, अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन तक पर पार्टी लाइन से अलग विचार रखते नजर आए। उनके निशाने पर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार तक रही है। यही कारण था कि यूपी चुनाव 2022 के दौरान पार्टी की ओर से उन्हें तरजीह नहीं दी गई। भाजपा उपसे कन्नी काटती नजर आती है। लेकिन, कोई भी सीनियर नेता उनके खिलाफ बयान नहीं देता है।

अब वरुण गांधी का ताजा बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। वे कहते दिख रहे हैं कि भाई को बांटो और भाई को काटो की राजनीति हम नहीं होने देंगे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम मुद्दे को भी लगातार उठाए जाने पर मीडिया पर निशाना साधा। उनके बयान को राहुल गांधी के हाल में दिए गए बयानों से जोड़कर भी देख सकते हैं। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी हिंदू-मुस्लिम मुद्दे को लेकर सरकार और मीडिया को निशाने पर लेते रहे हैं। वायरल वीडियो में वरुण गांधी कहते दिखते हैं कि मैं न कांग्रेस के खिलाफ हूं, न पंडित नेहरू के खिलाफ हूं। हमारे देश की राजनीति देश को जोड़ने की राजनीति होनी चाहिए। देश को तोड़ने की राजनीति नहीं होनी चाहिए।

सरकार को घेरते हुए वरुण ने कहा कि किसान इस समय कितने संकट में है। कोई टीवी चैनल और अखबार इस पर बोलने या लिखने को तैयार नहीं है। केवल हिंदू-मुस्लिम, जात-पात की बात हो रही है। तोते की तरह रटाया गया है। भाई को काटो, भाई को बांटो। यह राजनीति हम होने नहीं देंगे। नेता वह होना चाहिए जो गरीब जनता को अपने कंधे पर उठाकर चले, न कि अपने जूते पर बिठाए। अपनी आवाज उठाओ।

वरुण गांधी के ताजा बयान के कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वरुण गांधी भाजपा से नाराज हैं। नाराजगी नजरअंदाज किए जाने को लेकर है। दरअसल, वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी लंबे समय से भाजपा में हैं। मां मेनका मंत्री रह चुकी हैं। वर्ष 2014 में बनी केंद्र की नरेंद्र मोदी सकार में मेनका गांधी को महिला एवं बाल कल्याण मंत्री बनाया गया। लेकिन, वर्ष 2019 में दूसरी बार सरकार गठन के बाद मेनका गांधी को कैबिनेट में जगह नहीं मिली। भाजपा के फायरब्रांड नेता माने जाने वाले वरुण गांधी को सरकार या संगठन में ही कोई अहम पद नहीं मिला हुआ है। इस प्रकार से नजरअंदाज किए जाने के बाद से वरुण गांधी लगातार अपनी ही सरकार पर निशाना साध रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि क्या भाजपा उन्हें वर्ष 2024 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं देने वाली है? इस प्रकार के बयानों के जरिए वे विपक्षी पार्टियों में अपनी जगह बनाने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं? क्या वरुण गांधी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं? सवालों के जवाब भविष्य में मिलेंगे। राजनीति अभी गरमाई हुई है।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले शत्रुघ्न सिन्हा की कुछ इसी प्रकार की स्थिति थी। पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा लगातार पार्टी विरोधी बयान दे रहे थे। इसके बाद भी शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ किसी सीनियर नेता ने कोई बयान नहीं दिया। तमाम नेता शॉटगन को पार्टी का सीनियर नेता करार देते रहे। दरअसल, देश में मोदी सरकार के गठन के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को किनारे कर दिया गया था। वर्ष 2019 के लोकसभा के चुनाव के उम्मीदवारों की घोषणा हुई तो शत्रुघ्न सिन्हा की जगह रविशंकर प्रसाद को पटना साहिब से उम्मीदवार बना दिया गया। नाराज शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा से करीब साढ़े तीन दशक का साथ तोड़ते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया। उन्हें कांग्रेस ने पटना साहिब से उम्मीदवार बनाया। वहीं, उनकी पत्नी पूनम सिन्हा बतौर कांग्रेस उम्मीदवार लखनऊ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरीं। कुछ ऐसी ही स्थिति वरुण गांधी और मेनका गांधी की भाजपा में बनती दिख रही हैं। भाजपा में तो हैं, लेकिन उनकी बातों पर कोई गौर नहीं कर रहा। ऐसे में उनके शत्रुघ्न सिन्हा जैसे फैसला लेने की भी उम्मीद की जा रही है।