क्या वरुण गांधी की बीजेपी से दूरी कांग्रेस को पहुंचाएगी फायदा?

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आने वाले समय में वरुण गांधी की बीजेपी से दूरी कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकती है! उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस वक्त फायरब्रांड नेता वरुण गांधी चर्चा में आ गए हैं। पीलीभीत से टिकट कटने के बाद बीजेपी सांसद वरुण गांधी को कांग्रेस से ऑफर आ गया है। इसके बाद से सूबे की राजनीति के साथ साथ चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है। अब चर्चा है कि वरुण गांधी को अमेठी या रायबरेली से कैंडिडेट घोषित किया जा सकता है। इससे ना केवल कांग्रेस को अपने गढ़ को बचाने के लिए एक ताकतवर चेहरा मिल जाएगा बल्कि यूपी में एक हिंदुत्व वादी और फायरब्रांड नेता की तलाश भी पूरी हो जाएगी। वरुण अगर कांग्रेस में आए तो उनका उम्मीदवार बनना भी तय माना जा रहा है। क्योंकि कांग्रेस के अभेद्य किले को भेदने के लिए बीजेपी भी किसी मजबूत योद्धा पर दांव लगाने की रणनीति बना रही है। हालांकि वरुण के करीबियों ने पीलीभीत से पर्चा खरीद लिया है। दरअसल बीजेपी ने वरुण गांधी का पीलीभीत से टिकट काट दिया है। पीलीभीत से बीजेपी ने योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि वरुण की मां मेनका गांधी पर बीजेपी ने फिर भरोसा जताते हुए सुल्तानपुर से उम्मीदवार घोषित किया है। बीजेपी अब वरुण गांधी को बाकी बची सीटों से कैंडिडेट बनाएगी। ऐसी संभावनाएं भी लगभग ना के बराबर हैं। वरुण गांधी पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। ऐसा भी लगभग असंभव है। वरुण गांधी इस बार चुनाव से दूरी बनाए रहे और अपनी मां मेनका गांधी के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभालते दिख जाए ऐसा हो सकता है। हालांकि राजनीति में ऊंट किस करवट बैठ जाये ये आखिरी समय तक नहीं कहा जा सकता है।

हालांकि वरुण गांधी एक बड़े और फायरब्रांड नेता है इसलिए विपक्षी दल उन्हें अपने साथ लाने का हर संभव प्रयास कर सकते हैं। सपा के बाद अब कांग्रेस ने भी वरुण गांधी पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने वरुण को खुला ऑफर देते हुए कहा कि अगर वरुण गांधी कांग्रेस में आना चाहे तो हम उनका स्वागत करेंगे। उन्हें कांग्रेस में आना चाहिए। अगर वो आए तो हमें खुशी होगी। गांधी परिवार से उनका संबंध है इसलिए बीजेपी ने उनको टिकट नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वरुण गांधी कांग्रेस में आ जाएं।

उधर कांग्रेस भी रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर पाई है। यूपी कांग्रेस के नेता अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली सीट से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की मांग लगातार कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस अभी भी अपने पत्ते नहीं खोल पाई है। वहीं कांग्रेस अपना एक गढ़ अमेठी 2019 में हार चुकी है। बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने 2019 में राहुल गांधी को 50 हजार के वोटों के अंतर से चुनाव हराया था। इस बार भी बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया है। दोनों सीट कांग्रेस का गढ़ है इसलिए रायबरेली और अमेठी सीट पर सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी को ही अंतिम फैसला लेना है। रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने इस बार चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया है। वहीं बीजेपी ने भी रायबरेली सीट से अपने पत्ते नहीं खोले हैं। अमेठी से स्मृति ईरानी को टिकट दे दिया है। ऐसे में सबकी निगाहें दोनों ही सीट पर टिकी हुई है। कांग्रेस ने अगर गांधी परिवार से उम्मीदवार नहीं उतारा तो ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि इस बार रायबरेली भी बचाना मुश्किल हो जाएगा।

वहीं वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि वरुण गांधी अच्छे वक्ता हैं और हिंदुत्ववादी नेता के रूप में उनकी छवि रही है। अगर वरुण सपा या कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी को इसका नुकसान होगा। वरुण ने बगावत की तो वो बीजेपी की बखिया उधेड़ सकते है क्योंकि वो बीजेपी को अच्छी तरह से जान चुके है। वरिष्ठ पत्रकार की माने तो अगर इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार बने तो ना केवल पीलीभीत, सुल्तानपुर, अमेठी और रायबरेली सीट पर बल्कि पूरे प्रदेश में एक फिजा बनाने का काम करेगा। यहीं बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान करेगा। गांधी परिवार से उनका संबंध है इसलिए बीजेपी ने उनको टिकट नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वरुण गांधी कांग्रेस में आ जाएं।बीजेपी 80 जीतने के बजाए 62 सीटें जीतना मुश्किल हो जाएगा। इतना ही नहीं, वरुण गांधी 2027 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुख्यमंत्री कैंडिडेट भी हो सकते हैं।