आज हम आपको ऐसी महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पुरुषों को अपने हनीट्रैप में फसाया! वो खूबसूरत थी, वो बेहद हॉट थी, उसकी दिलकश अदाएं किसी को भी अपना दीवाना बना सकती थी और इसलिए वो चली आयी थी मायानगरी मुंबई। उसे मुंबई में आकर अपना नाम बनाना था। उसका शौक ऊंचे-ऊंचे लोगों से मिलना, बड़ी-बड़ी पेज-3 पार्टीज़ में शामिल होना था और उसने ये सब किया भी, लेकिन कोई ये नहीं सोच सकता था कि ये ऊंचाइयों को पाने के लिए वो इतने नीचे गिर जाएगी। कोई ये नहीं सोच सकता था कि वो नाम कमाने के लिए चुनेगी अपराध का वो रास्ता जिसकी मंजिल जेल है।ये कहानी है सिमरन सूद की जो नब्बे के दशक में मॉडल बनने के लिए अपने घर से मुंबई भागकर आई थी। सिमरन काफी खूबसूरत थी और मॉडलिंग की दुनिया में उसने काम करना शुरू भी किया। उसे मॉडलिंग के प्रोजेक्ट मिलने भी शुरू हो गए। मुंबई में अपने शुरूआती दिनों में ही उसने अच्छी पहचान बना ली थी। पेज-3 पार्टीज़ में वो अक्सर नज़र आती थी, लेकिन इसी दौरान उसकी मुलाकात हुई विजय पलांदे से।
सिमरन जिस जिम में जाती उसी बिल्डिंग के नीचे एक रेस्टोरेंट था जहां उस वक्त विजय पलांदे काम करता था। दोनों एक दूसरे करीब आए, हालांकि सिमरन विजय के बारे में कुछ ज्यादा नहीं जानती थी, लेकिन कहा जाता है कि दोनों ने 1998 में ही शादी कर ली। हालांकि दोनों ने अपनी शादी को कभी रजिस्टर नहीं करवाया। विजय पलांदे पहले से ही शादीशुदा था। उसकी पत्नी जर्मनी की रहने वाली थी। हालांकि ये कहना मुश्किल है कि सिमरन को ये बात पता थी या नहीं।
विजय और सिमरन जब साथ हुए तो इन दोनों ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपराध का रास्ता चुना। ये दोनों फिल्म बंटी-बबली के अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी के अंदाज में काम करते थे। विजय ने सिमरन की खूबसूरती को इस्तेमाल करना शुरू किया। ये दोनों अलग-अलग नाम से अमीरों को अपने जाल में फंसाते थे। सिमरन अपनी खूबसूरती के दम पर अमीर लोगों से दोस्ती करती और फिर उन्हें किसी न किसी बहाने से विजय से मिलाती। वो किसी के सामने विजय को अपना भाई बताती, किसी के सामने चाचा, किसी के सामने दोस्त बताती। उसके बाद ये दोनों मिलकर उनकी प्रॉपर्टी पर कब्जा करते।
विजय पलांदे पर साल 1998 और 2002 मर्डर के आरोप लगे। कहते हैं इन आरोपों के बाद विजय बैंकॉक चला गया और वहां उसने प्लास्टिक सर्जरी से अपना चेहरा बदल लिया। 2005 में वो वापस आया और दोनों ने एक बार फिर वही अमीर लोगों को फंसाने का काम चालू। इस बार इनके निशाने पर था दिल्ली के एक बिजनेसमैन परिवार से ताल्लुक रखने वाला अनुज टिक्कू जो मुंबई फिल्मों में काम करने आया था। सिमरन ने अनुज से दोस्ती बढ़ाई और फिर उसने अनुज को विजय से मिलवाया। सिमरन ने विजय को अपना भाई बताते हुए अनुज से मिलवाया था। विजय और सिमरन की नज़र अनुज की प्रॉपर्टी पर थी।
थोड़े समय बाद अनुज के पिता और दिल्ली के बिजनेसमैन अरुण टिक्कू की मौत की खबर आई। पुलिस ने इस मामले में विजय और सिमरन को गिरफ्तार किया। इन दोनों के अलावा इनके दो अन्य साथी भी इसमें शामिल थे। इनका मकसद था अनुज के मुंबई वाले फ्लैट पर कब्जा करना। पुलिस ने छानबीन की सामने आया कि अरुण टिक्कू के मर्डर से पहले इन दोनों ने अनुज के ही एक दोस्त करण कक्कड़ को भी मौत के घाट उतार दिया था। इन लोगों ने करण की लाश टुकड़ों में काटकर जंगल में फेंक दिया था। करण भी फिल्मों के गाने लिखता था। बताया गया कि इन दोनों ने करण की हत्या के बाद उसकी बीएमडबल्यू कार, उसका डेबिट कार्ड और कुछ सोने का सामान भी ले लिया था।
इसके पहले 1998 में एयर इंडिया के इंजीनियर अनूप दास और उनके पिता स्वरूप रंजन दास के मामले में भी विजय पलांदे का नाम आया था और उस मामले में भी सिमरन ने ही हनी ट्रैप कर उन्हें अपने जाल में फंसाया था। ये दोनों लंबे समय तक इस तरह से कई अपराधों को अंजाम देते रहे, लेकिन 2012 में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। सिमरन की गिरफ्तारी से हर कोई हैरान था। उसकी पहचान मुंबई की एक मॉडल के रूप में थी, लेकिन कोई ये सोच भी नहीं पा रहा था कि ये अपनी खूबसूरती का इस्तेमाल कत्ल करने के लिए कर रही थी।