दूध हमारे शरीर के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी होता है, लेकिन एक मधुमेह का रोगी क्या दूध ले सकता है? यहां पर यही सबसे बड़ा सवाल होता है!
अध्ययनों में रोजाना दूध के सेवन को शरीर को लिए अत्यंत लाभदायक बताया जाता रहा है। दूध में कई तरह के पोषक तत्वों का भंडार पाया जाता है जो शरीर को स्वस्थ और फिट बनाए रखने में काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। आमतौर पर हम सभी रोजाना गाय-भैंस के दूध को प्रयोग में लाते रहे हैं, पर क्या आप जानते हैं कि आहार में गधे के दूध को शामिल करना भी आपको कई तरह के लाभ प्रदान कर सकता है।
गधे के दूध का उल्लेख प्राचीन काल से स्वास्थ्य पूरक और सौंदर्य उत्पाद के रूप में किया जाता रहा है। इसमें मौजूद पौषक तत्वों की श्रृंखला शरीर को रोग मुक्त और स्वस्थ बनाए रखने में काफी सहायक हो सकती है।
गधे के दूध के स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए कई डेयरी में चीज और पनीर बनाने के लिए भी इसे प्रयोग में लाया जा रहा है। इसके अलावा त्वचा के देखभाल उत्पादों में भी इस दूध का उपयोग करके गुणवत्ता को बढ़ाया जाता रहा है। शोध से पता चलता है कि गधे का दूध कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ वाला हो सकता है, इसे ‘फार्मा फूड’ के रूप में भी जाना जाता है। गधे के दूध में ऐसे गुण होते हैं जो इसे कई तरह की बीमारियों में काफी फायदेमंद बनाते हैं, विशेषकर जिन लोगों को मधुमेह की शिकायत होती है ऐसे लोगों के लिए इस दूध के सेवन को काफी स्वास्थ्यवर्धक बताया जाता है। शोध में पाया गया है कि शरीर में सूजन या अनियंत्रित रक्त शर्करा जैसी समस्याओं को कम करने में नियमित रूप से गधे के दूध का सेवन करना आपके लिए विशेष लाभप्रद हो सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि गधे के दूध में प्रोटीन के साथ रोगाणुरोधी गुण भी पाए जाते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि यह वायरस और बैक्टीरिया दोनों के कारण होने वाले पेट के संक्रमण और अन्य कई समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है। गधे का दूध आपके आंत के लिए गुड बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देकर इससे संबंधित जोखिम को कम करने में भी सहायक हो सकता है।
गधे के दूध में मौजूद प्रोटीन, शरीर को स्वस्थ औऱ फिट रखने के साथ इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ावा देकर आपको संक्रमण के खतरे से बचा सकते हैं। प्रयोगशाला में पाया गया कि गधे का दूध मैक्रोफेज नामक शक्तिशाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कोशिकाओं को रिलीज करता है जो शरीर में इंफ्लामेशन से संबंधी प्रतिक्रियाओं को कम करने में सहायक है। जिन लोगों को प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी की दिक्कत होती है उनके लिए गधे के दूध का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है।
गाय के दूध की तुलना में गधे के दूध में कम एलर्जेनिक होता है। जो लोग गाय के दूध को एलर्जी या लैक्टोज असहिष्णुता के कारण पचा नहीं पाते हैं, उनके लिए बिना किसी समस्या के गधे का दूध फायेदमंद हो सकता है। नियमित रूप से गधे के दूध के सेवन की आदत बनाकर आप शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के साथ शरीर को कई तरह के रोगों के जोखिम से भी बचा सकते हैं।
दूध एक ऐसा पेय पदार्थ है जिसका सेवन हर कोई करता है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक दूध पीना पसंद करते हैं। ये शरीर को ताकत तो प्रदान करता ही है, साथ में कई पोषक तत्वों का भंडार भी होता है। न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक दूध में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन डी और पोटैशियम पाया जाता है। इतने फायदों के बावजूद, हर किसी के लिए दूध लाभकारी हो ये जरूरी नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि डायबिटीज रोगियों के लिए हर तरह का दूध फायदेमंद नहीं होता है।
कच्चा दूध – कई अध्ययनों में इस बात का खुलासा हो चुका है कि कच्चे दूध में पामिटोलिक एसिड नामक तत्व होता है जो इंसुलिन के कामकाज को बेहतर करता है। ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि डायबिटीज रोगी इसका सेवन कर सकते हैं।
बादाम का दूध: यह एक बहुत ही पॉपुलर प्लांट बेस्ड मिल्क है जिसे आसानी से मार्केट से खरीदा जा सकता है। इसमें गाय के दूध की तुलना में कैलोरीज की मात्रा कम होती है। साथ ही, विटामिन डी और ई जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। साथ ही, इसमें प्रोटीन और फाइबर भी भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं जो ब्लड में ग्लूकोज को जल्दी एब्जॉर्ब नहीं होने देता है। इसे आप घर पर भी बना सकते हैं।
कैमल मिल्क: आमतौर पर लोग गाय-भैंस के दूध का इस्तेमाल ही करते हैं लेकिन डायबिटीज रोगियों को इनके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इसमें फैट और कैलोरीज की अधिकता होती है जो मरीजों के लिए नुकसानदायक है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कैमल मिल्क मरीजों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इसमें मौजूद तत्व शुगर लेवल नियंत्रण में रखते हैं। साथ ही, इन मरीजों की किडनी और लिवर की परेशानी नहीं होती है।
गाय का दूध: इसमें कैलोरीज, सैचुरेटेड फैट होता है जो शुगर के मरीजों के लिए हानिकारक है। वहीं, एक शोध के मुताबिक गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन लोगों में टाइप 1 डायबिटीज के जोखिमों को बढ़ाता है।