Thursday, March 13, 2025
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आप भी गोभी के फायदे सुनकर चौक जायेंगे!

सामान्य तौर पर गोभी हमारे खाने में काम आने वाली एक महत्वपूर्ण सब्जी है! गोभी तीन तरह के होते हैं, फूलगोभी, बंदगोभी या पत्रगोभी और गांठगोभी। गोभी के स्वास्थ्यवर्द्धक गुणों के कारण आयुर्वेद में इसको औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है। गोभी एक ऐसा सब्जी है जिसको न सिर्फ शाकाहारी बल्कि मांसाहारी लोग भी बड़े मजे से खाते हैं। इसको सिर्फ सब्जी के रूप में ही नहीं कई तरह के व्यंजन के रूप में पकाकर खाया जाता है। आम तौर पर गोभी जाड़े के मौसम में पाया जाता है। जाड़े के मौसम में इसका सेवन करने से जोड़ो के दर्द से आराम मिलने के साथ-साथ कई तरह के बीमारियों से राहत मिलती है।

गोभी के बारे में पहले ही बताया जा चुका है कि ये तीन तरह के होते हैं इसलिए इसके गुण और फायदे भी भिन्न भिन्न होते हैं। गुण के आधार पर आयुर्वेद में भिन्न-भिन्न बीमारियों के लिए फूलगोभी, बंधागोभी और गांठगोभी का प्रयोग औषधि के रुप में किया जाता है।

पुष्प गोभी  मधुर, उष्ण, गुरु, कफवात कम करने वाला, ग्राही, बल बढ़ाने वाला, देर से हजम करने वाला, स्तम्भक, अग्निमांद्यकारक तथा सूजन कम करने वाली होती है। इसके पत्ते मधुर, शीत, मूत्रल, कृमिनाशक, अनॉक्सीकारक तथा मृदुकारी होते हैं।

बंधा गोभी खाने में रूची बढ़ाने के साथ-साथ , वातकारक, मधुर, गुरु, शीतपित्तशामक, मूत्रल, हृद्य, कृमिनाशक, आध्मानकारक, मृदुकारी तथा दीपन होती है। इसके बीज मूत्रल, विरेचक, आमशयोत्तेजक तथा कृमिरोधी होते हैं। इसके पत्र तिक्त, आमशयोत्तेजक, शीत, पाचक, हृद्य तथा शीतादरोधी होते हैं।

यह जीवाणुनाशक, पूयरोधी, व्रणनाशक, शीतादरोधी, मृदुकारी, कवकनाशी तथा अल्परक्तशर्कराकारक क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है।

गांठ गोभी मधुर, शीत, गुरु, बलकारक, रुचिकर, दुर्जर देर से पचने वाली, ग्राही तथा शीतल होती है। इसको कम मात्रा में उबालकर खाने से यह भेदक तथा अधिक उबालकर खाने से ग्राही होती है। यह कफ, कास, प्रमेह व श्वास में लाभप्रद तथा वात व पित्त प्रकोपक होती है।

अक्सर मौसम के बदलने के समय तापमान के बार-बार गिरने और चढ़ने के कारण लोगों को गले में दर्द या सूजन की शिकायत हो जाती है। फूलगोभी का काढ़ा गले के सूजन को कम करने में बहुत मदद करते हैं। फूलगोभी की जड़ का काढ़ा बनाकर गरारा करने से गले के दर्द तथा गले के घाव में लाभ होता है तथा 15-20 मिली काढ़ा पिलाने से बुखार में लाभ होता है।

लगातार मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड खाने कारण लोगों को पेट में दर्द होने की शिकायत होने लगती है। इससे राहत पाने के लिए पुष्पगोभी का शाक बनाकर खाने से भूख बढ़ती है, पेट दर्द तथा दस्त से राहत मिलती है।

आजकल लोग समय की कमी के कारण सबसे ज्यादा बाहर का खाना खाते हैं। जिसके कारण दस्त, एसिडिटी, पेट दर्द की समस्या आम हो गई है।  पुष्पगोभी के पत्ते का शाक बनाकर खाने से अतिसार या दस्त में लाभ होता है तथा पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।

जो लोग बहुत ज्यादा मसालेदार खाना खाते हैं या कब्ज से लंबे समय तक परेशान रहते हैं उनको बवासीर या पाइल्स की समस्या ज्यादा होती है।  फूलगोभी को घी में भूनकर थोड़ा सेंधानमक मिलाकर खिलाने से अर्श में लाभ होता है।

अगर दिन भर कंप्यूटर पर काम करने से दिन के अंत में आँखों में दर्द या समस्या होती है तो बंदगोभी का ऐसा इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। यहां तक आँख संबंधी दूसरे बीमारियों में भी बंदगोभी का सेवन लाभकारी होता है। इसके पत्ते के रस को आंखों में लगाने से आँखों में दर्द जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

अगर लंबे समय से खांसी ठीक नहीं हो रही है तो बंदगोभी के 5-10 मिली पत्ते के रस को पीने से पुरानी खांसी तथा खून वाली उल्टी से राहत मिलती है।

मूत्र संबंधी रोगों में सामान्यतः पेशाब करते वक्त जलन और दर्द, रुक-रुक कर पेशाब आना, कम पेशाब होना आदि। पत्रगोभी के 10-15 मिली पत्ते के काढ़े  में मिश्री मिलाकर पिलाने से मूत्र संबंधी समस्या में लाभ होता है।

आजकल की असंतुलित जीवनशैली के कारण मधुमेह अपना पैर पसार रही है।  इसके 10-15 मिली पत्ते के रस में हल्दी चूर्ण तथा मधु मिलाकर पिलाने से प्रमेह या मधुमेह में लाभ होता है।

उम्र के साथ गठिया के दर्द सभी परेशान रहते हैं। संधिवात से आराम पाने के लिए  पत्तागोभी के पत्तों को पीसकर लेप करने से आमवात या गठिता तथा त्वचा संबंधी बीमारियों में आराम मिलता है।

अगर किसी बीमारी के कारण खाने की इच्छा मर गई है तो भूख ही नहीं लगती तो  गांठगोभी का शाक (सब्जी) बनाकर खिलाने से खाने की इच्छा बढ़ती है!

अगर आप बवासीर के दर्द से राहत नहीं पा रहे हैं तो  गांठगोभी के पत्तों का शाक बनाकर खाने से अर्श (बवासीर) में लाभ होता है।गोभी के पत्ते और फूल को औषधि के रुप में ज्यादा प्रयोग किया जाता है।गोभी मूलत भूमध्यसागरीय क्षेत्रों के अतिरिक्त विश्व में रूस तथा हॉलैण्ड में पाया जाता है एवं उपजाया जाता है। भारत में विस्तृत रूप से सभी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है।

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