सामान्य तौर पर कई प्रकार की औषधियों का वर्णन हमारे वैदिक विज्ञान में किया गया है! कर्चूर को हिन्दी में सफेद हल्दी भी कहते हैं। शायद हल्दी के इस किस्म के बारे में आपने कभी नहीं सूना होगा। पीले रंग की हल्दी तो कहीं भी मिल जाती है लेकिन सफेद हल्दी मिलना बहुत मुश्किल होता है।पीली हल्दी के तरह ही सफेद हल्दी के फायदे अनगिनत हैं। आयुर्वेद में कर्चूर का प्रयोग बहुत बीमारियों के लिए औषधी के रूप में किया जाता है। चलिये इस अद्भुत कर्चूर यानि सफेद हल्दी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कर्चूर क्या होता है?
कर्चूर या सफेद हल्दी कटु, कड़वा; गर्म तासीर; लघु, तेज; रक्तपित्तकारक; वात कफ कम करने वाला, दीपन, खाने की रूची बढ़ाने वाला, हृद्य तथा ग्राही होता है। यह कुष्ठ, अर्श या बवासीर, व्रण, खांसी, श्वास, गुल्म यानि ट्यूमर, कृमिरोग, हिक्का, प्लीहा, आमदोष, अजीर्ण, अपस्मार, शूल, दुर्गंध तथा उल्टी से राहत दिलाने में मदद करती है।
इसके प्रकन्द या तना का सार सूक्ष्मजीवाणुरोधी क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है यानि बैक्टिरीया को रोकने में मदद करता है।
कर्चूर के फायदे
कर्चूर प्रकन्द भूमिगत तना का काढ़ा बनाकर गरारा या कुल्ला करने से मुँह का दुर्गंध कम होता है और निकलने के कारण से भी मुक्ति मिलती है।सफेद हल्दी के पौधे की गांठों के टुकड़ों को दांतों के बीच दबाकर रखने से दाँतों का दर्द तथा सूजन आदि दंत की बीमारी को कम करने में मदद मिलती है।कर्चूर प्रकन्द को पीसकर छाती में लेप करने से फेफड़ों की सूजन तथा सांसों की समस्या कम होती है।कर्चूर, पिप्पली तथा दालचीनी का काढ़ा बनाकर, 10-20 मिली काढ़ा में शहद मिलाकर पीने से प्रतिश्याय (जुकाम) में लाभ होता है।
खांसी से हमेशा परेशान रहते हैं तो कर्चूर की गांठ के 1-2 टुकड़ों को मुंह में रखकर चूसने से खांसी में लाभ होता है।कर्चूर प्रकन्द के 20-25 मिली काढ़े में 500 मिग्रा काली मिर्च, 1 ग्राम मुलेठी चूर्ण तथा 5 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से श्वास-नली का विकार कम होता है।500 मिग्रा कर्चूर प्रकन्द चूर्ण का सेवन करने से भूख खुलकर लगती है तथा पेट का दर्द कम होता है।कर्चूर प्रकन्द को पीसकर मस्सों में लगाने से बवासीर में लाभ होता है। इससे मस्सों से खून आना और दर्द से राहत मिलती है।कर्चूर प्रकन्द को पीसकर उसमें फिटकरी मिलाकर जोड़ों में लगाने से जोड़ो का दर्द कम होता है।
कर्चूर के पत्तों अथवा प्रकन्द को पीसकर लेप करने से लसिका-वाहिनी-शोथ, रोमकूप-शोथ, ग्रन्थिशोथ (गांठ), कुष्ठ, व्रण एवं अर्बुद में लाभ होता है।कर्चूर प्रकन्द का काढ़ा बनाकर, 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से विसूचिका या हैजा के लक्षणों से राहत मिलती है।
कर्चूर प्रकन्द को पीसकर मुंह पर लगाने से मुँहासे मिटते हैं। इससे मुँहासो का आना कम होता है और निकलना भी कम हो जाता है।कर्चूर प्रकन्द चूर्ण (500 मिग्रा) में शहद मिलाकर सेवन करने से अपस्मार या मिर्गी में लाभ होता है। सफेद हल्दी के उपयोग मिर्गी रोग में बहुत काम आता है।
कर्चूर प्रकन्द को पीसकर लेप करने से शिशुओं में होने वाला आक्षेप रोग दूर होता है। सफेद हल्दी के फायदे शिशुओं के इस रोग से राहत दिलाने में मदद करते हैं।आयुर्वेद में कर्चूर के प्रकन्द (भूमिगत तना ) तथा पत्ते का प्रयोग औषधी के लिए किया जाता है। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार कर्चूर के प्रकंद का काढ़ा 10-30 मिली, 2-4 ग्राम चूर्ण, तथा 2-5 मिली पत्ते के रस का सेवन कर सकते हैं।
यह हल्दी जाति की वनस्पति होती है। इसके पत्ते हल्दी के समान होते हैं तथा इसकी जड़ों में हल्दी की तरह गांठें होती हैं। कई विद्वान कचूर से वनहल्दी का तथा कई विद्वान सफेद हल्दी का ग्रहण करते हैं; परन्तु वनहल्दी एवं कालीहल्दी दोनों कचूर से भिन्न अलग-अलग पौधे हैं।मुंह में रखकर चूसने से खांसी में लाभ होता है।कर्चूर प्रकन्द के 20-25 मिली काढ़े में 500 मिग्रा काली मिर्च, 1 ग्राम मुलेठी चूर्ण तथा 5 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से श्वास-नली का विकार कम होता है।500 मिग्रा कर्चूर प्रकन्द चूर्ण का सेवन करने से भूख खुलकर लगती है तथा पेट का दर्द कम होता है।कर्चूर प्रकन्द को पीसकर मस्सों में लगाने से बवासीर में लाभ होता है। इससे मस्सों से खून आना और दर्द से राहत मिलती है।कर्चूर प्रकन्द को पीसकर उसमें फिटकरी मिलाकर जोड़ों में लगाने से जोड़ो का दर्द कम होता है।
कर्चूर के पत्तों अथवा प्रकन्द को पीसकर लेप करने से लसिका-वाहिनी-शोथ, रोमकूप-शोथ, ग्रन्थिशोथ (गांठ), कुष्ठ, व्रण एवं अर्बुद में लाभ होता है।कर्चूर प्रकन्द का काढ़ा बनाकर, 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से विसूचिका या हैजा के लक्षणों से राहत मिलती है।
कर्चूर प्रकन्द को पीसकर मुंह पर लगाने से मुँहासे मिटते हैं। इससे मुँहासो का आना कम होता है और निकलना भी कम हो जाता है।कर्चूर प्रकन्द चूर्ण (500 मिग्रा) में शहद मिलाकर सेवन करने से अपस्मार या मिर्गी में लाभ होता है। सफेद हल्दी के उपयोग मिर्गी रोग में बहुत काम आता है।