भिंडी के फायदे जानकर चौक जाओगे!

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सामान्य तौर पर भिंडी का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है! आपने भिंडी की सब्जी कई बार खाई होगी, और यह पक्की बात है कि केवल सब्जी के रूप में ही खाई होगी। भिंडी से कई तरह के व्यंजन, जैसे- गीली भिंडी की सब्जी, भुजिया (सूखी सब्जी), सूप, रायता, और कढ़ी आदि बनाये जाते हैं। लोग इन्हें बहुत पसंद से खाते हैं। क्या आपको पता है कि जिस भिंडी को आप बहुत साधारण-सी सब्जी समझते हैं, उससे रोगों का इलाज भी किया जाता है। वास्तव में भिंडी खाने के फायदे अनेक हैं। अगर आप भिंडी के सेवन से होने वाले फायदे जानेंगे, तो आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे।भिंडी का इस्तेमाल कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में भिंडी के बारे में बड़े विस्तार से बताया गया है। अगर आपको भिंडी के फायदे की जानकारी नहीं है, तो जरूर जान लीजिए।

भिंडी का प्रयोग भिंडी की सब्जी के रूप में किया जाता है। इसके फल अंगुली के समान लम्बे होते हैं। भिंडी का पूरा पौधा रोमों से युक्त होता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसके फल हरे रंग के होते हैं। भिंडी के फल आगे की तरफ से नुकीले, या पतले होते हैं। भिंडी के अन्दर सफेद रंग के गोलाकार, चिपचिपे द्रव्य से युक्त अनेक बीज होते हैं। भिंडी के प्रयोग से मुंह का स्वाद अच्छा हो जाता है, और वात-पित्त रोग के साथ-साथ मल संबंधी परेशानी भी दूर होती है।

भिंडी के क्या है फायदे?

भिंडी एक-दो नहीं, बल्कि त्वचा की अनेक बीमारियों के उपचार के लिए प्रयोग में लाई जाती है। त्वचा में घाव हो जाए, रोम संबंधी विकार हो, या त्वचा की अन्य बीमारी। भिण्डी के पत्ते के रस को बीमार त्वचा पर लगाएं। इससे त्वचा रोग में तुरंत लाभ होता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है, कि जब लोगों को खुजली होती है, तो वे खुजली के इलाज के लिए कई तरह के नुस्खे आजमाते हैं। कई बार जब कोई उपाय काम ना करे, तो आप भिंडी के फल को पीसकर लेप बना लें। इसे खुजली वाले स्थान पर लगाएं। इससे खुजली ठीक हो जाती है!

आप भिंडी के प्रयोग से पेचिश में लाभ ले सकते हैं। इसके लिए भिण्डी के फल की सब्जी बनाकर खाएं। इससे पेचिश में लाभ होता है।दस्त में भी भिंडी का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। दस्त की बीमारी में भिण्डी के फलों को मसल लें। इसमें मिश्री मिला लें। इसका सेवन करें। इससे दस्त में लाभ होता है।किसी व्यक्ति को पेशाब में जलन की परेशानी हो, तो उसे भिण्डी के फूलों का काढ़ा बना लेना है। इसमें 10-15 मिली मिश्री मिलाकर सेवन करना है। इससे पेशाब में जलन की परेशानी ठीक हो जाती है।

मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब करते समय दिक्कत होना, पेशाब करते समय दर्द होना, मूत्र नलिका संबंधित विकार हो तो भिंडी का उपयोग फायदा पहुंचा सकता है। इस रोग में भिण्डी के फल का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीएं। इससे मूत्र रोग ठीक होता है। सुजाक एक यौन रोग है, जो स्त्री या पुरुष किसी को भी हो सकता है। कई पुरुषों में सुजाक के लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। सामान्यतः पुरुषों में इस बीमारी में पेशाब करते समय जलन होने लगते हैं। लिंग से सफेद, पीला या हरा स्राव होता है। इसी तरह महिलाओं में भी पेशाब करते समय दर्द, या जलन होती है। मासिक धर्म के बीच योनि से खून भी निकलता है। इसमें 1-2 ग्राम भिण्डी की जड़ के चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाने से लाभ होता है।

5-10 मिली भिण्डी फल का काढ़ा का सेवन करने से भी सुजाक में लाभ होता है।

भिंडी का सेवन करने से ल्यूकोरिया में भी फायदा लिया जा सकता है। इसके लिए 15-20 मिली फल का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

वीर्यपात (शीघ्रपतन) से बहुत से लोग परेशान रहते हैं, और इस समस्या से निजात पाने के लिए अपना इलाज भी कराते हैं। शीघ्रपतन की समस्या में भी भिंडी का सेवन फायदा पहुंचाता है। भिण्डी के फलों को मसल लें। इसमें मिश्री मिला लें। इसका सेवन करने से वीर्यस्राव की परेशानी में लाभ होता है।अगर आग से कोई अंग जल जाए, तो भिंडी का उपयोग करें। भिण्डी के पत्तों को पीसकर जलने वाले स्थान पर लगाएं। इससे जलन शांत हो जाती है। अगर आप भिंडी का सेवन औषधि के रूप में करना चाहते हैं, तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से इसके प्रयोग, और मात्रा की जानकारी जरूर लें।