बरगद का पेड़ बहुत ही छायादार और विशाल होता है! बरगद के पेड़ को बट वृक्ष या बड़ के पेड़ भी कहा जाता है। आपने अपने घरों के आसपास या मंदिरों में बरगद का पेड़ देखा होगा। महिलएं बट साबित्री की पूजा के दौरान बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। बरगद का पेड़ बहुत विशाल और बड़े-बड़े पत्तों वाला होता है। क्या आप जानते हैं कि रोगों के इलाज में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बरगद का पेड़ एक उत्तम औषधि भी है और आप बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।
केवल बरगद का पेड़ ही नहीं बल्कि बरगद की छाल, बरगद के फल, बरगद के बीज, बरगद का दूध भी रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। बरगद के पेड़ से कफ, वात, पित्त दोष को ठीक किया जा सकता है। नाक, कान या बालों की समस्या में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं।
बरगद का वृक्ष विशाल तना और शाखाओं वाला होता है। यह बहुत ही छायादार और लंबे समय तक जीवित रहने वाला पेड़ है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह अकाल के समय भी जीवित रहता है। मनुष्य बरगद के पेड़ के फल खाते हैं तो जानवर इसके पत्ते खाते हैं। यहां बरगद के पेड़ से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है ताकि आप बरगद के पेड़ से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
वट वृक्ष के पत्तों की 20-25 ग्राम भस्म को 100 मिलीग्राम अलसी के तेल में मिलाकर सिर में लगाने से बालों की समस्या दूर होती है।
वट वृक्ष के स्वच्छ कोमल पत्तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर आग पर पका लें। इस तेल को बालों में लगाने से बालों की सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं।
बड़ की जटा और जटामांसी का चूर्ण 25-25 ग्राम, तिल का तेल 400 मिलीग्राम तथा गिलोय का रस 2 लीटर लें। इन सभी को आपस में मिलाकर धूप में रखें। पानी सूख जाने पर तेल को छान लें। इस तेल की मालिश करें। इससे गंजेपन की समस्या खत्म होती है और बाल आ जाते हैं एवं बाल झड़ना बंद हो जाता है। बाल सुंदर और सुनहरे हो जाते हैं।
बड़ की जटा और काले तिल को बराबर भाग में मिलाकर खूब महीन पीसकर सिर पर लगाएं। आधा घंटे बाद कंघी से बालों को साफ कर लें। अब सिर में भांगरा और नारियल की गिरी दोनों को पीसकर लगाएं। कुछ दिन ऐसा करते रहने से कुछ दिनों में बाल लम्बे हो जाते हैं।
बड़ के 10 मिलीलीटर दूध में 125 मिलीलीटर कपूर और 2 चम्मच शहद मिलाएं। इसे आखों में लगाने (अंजन करने) आखों की समस्या दूर होती हैं।
बड़ के दूध को 2-2 बूंद आंख में डालने से आंखों से संबंधित रोगों का उपचार होता है।
3 ग्राम बरगद की जड़ की छाल का चूर्ण लस्सी के साथ पिएं। इससे नाक से खून आने की समस्या में लाभ होता है।
10 से 20 ग्राम तक वट वृक्ष कोपलों या पत्तों को पीस लें। इसमें शहद और चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी पित्त में लाभ होता है।
कान में यदि फुंसी हो तो वट वृक्ष के दूध की कुछ बूंदों में सरसों के तेल को मिलाकर डालने से ही कान की फुंसी ठीक हो जाती है।
वट वृक्ष के दूध की 3 बूंदों को बकरी के 3 ग्राम कच्चे दूध में डालकर कान में डालने से कान की फुंसी नष्ट हो जाती है।
वट वृक्ष के 5-6 कोमल पत्तों को या जटा को 10-20 ग्राम मसूर के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इससे चेहरे पर उभरने वाले मुंहासे और झांई दूर हो जाते हैं।
वट वृक्ष के पीले पके पत्तों के साथ, चमेली के पत्ते, लाल चन्दन, कूट, काला अगर और पठानी लोध्र 1-1 भाग में लें। इनको पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से मुहांसे तथा झांई आदि दूर हो जाते हैं।
निर्गुण्डी बीज, बड़ के पीले पके पत्ते, प्रियंगु, मुलेठी, कमल का फूल, लोध्र, केशर, लाख तथा इंद्रायण चूर्ण को बराबर भाग में लें। इन्हें पानी के साथ पीसकर लेप तैयार करें। इसे चेहरे पर लगाने से चेहरे चमक बढ़ जाती है।10 ग्राम बड़ की छाल के साथ 5 ग्राम कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च लें। इन तीनों को खूब महीन पीसकर चूर्ण बना लें। इसका मंजन करने से दांत का हिलना, दांतों की गंदगी, मुंह से दुर्गंध आना आदि विकार दूर होकर दांत स्वच्छ एवं सफेद होते हैं।दांत के दर्द पर बरगद का दूध लगाने से इसमें आराम मिलता है।