क्या आप जानते हैं कि आपकी कुछ लापरवाही हैं ऐसी हो सकती हैं जो आपकी क्रॉनिक बीमारियों को बढ़ावा दे दे! पिछले कुछ वर्षों में डायबिटीज, हृदय रोग और कई तरह के मानसिक विकारों के मामले तेजी से बढ़ते हुए रिपोर्ट किए गए हैं। आहार में गड़बड़ी के साथ नींद में कमी या नींद के पैटर्न में बदलाव को इसके लिए प्रमुख कारणों के तौर पर देखा जा रहा है। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती है या फिर जिनका सोने-जागने का चक्र गड़बड़ रहता है ऐसे लोगों में समय के साथ कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने का खतरा हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सोने-जागने के समय में गड़बड़ी वाले लोगों में अन्य लोगों की तुलना में क्रोनिक बीमारियों का जोखिम भी अधिक पाया गया है। शोधकर्ता कहते हैं, यदि आपके सोने का समय सही नहीं है जैसे कि या तो आपकी नींद नहीं पूरी हो पा रही है या आप बहुत अधिक सोते हैं, हफ्ते भर की नींद को वीकेंड पर पूरी करने को कोशिश करते हैं तो ऐसी आदतें समय के साथ आपमें गंभीर बीमारियों के खतरे को काफी हद तक बढ़ा देती हैं। अनियमित नींद का पैटर्न मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित करता है जिसके कारण कई तरह की गंभीर और क्रोनिक बीमारियों के विकसित होने का जोखिम हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अक्सर देखने को मिलता है कि जिन लोगों की रोजाना नींद ठीक से पूरी नहीं हो पाती है वह वींकेड पर पूरे दिन सोकर इसे पूरा करने की कोशिश करते हैं। पर ऐसा करके न तो आप नींद पूरी कर सकते हैं न ही इससे कोई लाभ है। अध्ययनों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि अगर आपकी एक रात भी ठीक से नींद पूरी नहीं हो पाती है तो इसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है, इस तरह के जोखिम से बचने के लिए नींद के पैटर्न को ठीक रखना सभी के लिए बहुत आवश्यक है।
इन क्रोनिक बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा
अध्ययनों से पता चलता है कि यदि आपमें अनियमित नींद का पैटर्न लंबे समय से जारी है और आप नींद पूरी नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसे लोगों में क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है। नींद की बीमारी वाले लोगों में वजन बढ़ने का खतरा सबसे अधिक होता है जिसके कारण समय के साथ डायबिटीज और हृदय रोग भी विकसित हो सकता है। कुछ अध्ययन इस बात की तरफ भी संकेत करते हैं कि ऐसे लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि नींद के पैटर्न में अनियमितता का मुख्य कारण सर्कैडियन रिदम का ठीक न होना हो सकता है, यह सोने-जागने और आराम करने के लिए आवश्यक होता है। कुछ शोध में पाया गया है कि जिन लोगों का सर्कैडियन रिदम अव्यवस्थित बना रहता है ऐसे लोगों में अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे गंभीर मनोरोगों के होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को समय पर सोने-जागने के समय को ठीक रखने और नींद को पूरा करने पर विशेष ध्यान देते रहने की सलाह देते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सोने-जागने के चक्र को ठीक करके आप इन गंभीर समस्याओं के खतरे को कम कर सकते हैं। इसके लिए लाइफस्टाइल में स्वस्थ बदलाव बहुत आवश्यक होता है। अच्छी नींद पाने के लिए स्वस्थ पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन और नियमित व्यायाम करना सबसे आवश्यक है। इसके अलावा स्क्रीन टाइम को कम करके भी नींद की समस्याओं में सुधार किया जा सकता है। अच्छी नींद पाने के लिए विशेषज्ञ रात के समय कमरे को शांत और अंधेरा रखने की सलाह देते हैं।अध्ययनों से पता चलता है कि यदि आपमें अनियमित नींद का पैटर्न लंबे समय से जारी है और आप नींद पूरी नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसे लोगों में क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है। नींद की बीमारी वाले लोगों में वजन बढ़ने का खतरा सबसे अधिक होता है जिसके कारण समय के साथ डायबिटीज और हृदय रोग भी विकसित हो सकता है। कुछ अध्ययन इस बात की तरफ भी संकेत करते हैं कि ऐसे लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि नींद के पैटर्न में अनियमितता का मुख्य कारण सर्कैडियन रिदम का ठीक न होना हो सकता है, यह सोने-जागने और आराम करने के लिए आवश्यक होता है। कुछ शोध में पाया गया है कि जिन लोगों का सर्कैडियन रिदम अव्यवस्थित बना रहता है ऐसे लोगों में अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे गंभीर मनोरोगों के होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को समय पर सोने-जागने के समय को ठीक रखने और नींद को पूरा करने पर विशेष ध्यान देते रहने की सलाह देते हैं।