जयपुर। शुक्रवार को विद्युत भवन में कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राजस्थान को मांग के अनुसार कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इस बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल, निदेशक प्रोजेक्ट आरके सोरल, मुख्य अभियंता देवेन्द्र श्रृंगी, निदेशक वित्त एकेसी भण्डारी सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक में कोयले की उपलब्धता, आपूर्ति पर विस्तार से चर्चा हुई। एसीएस माइंस, पेट्रोलियम व ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य में कोयले की उपलब्धता और निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गंभीर हैं और देशव्यापी कोयला संकट के समय से ही स्वयं के स्तर पर मोनेटरिंग कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्थान में तापीय विद्युतगृहों की 7580 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता है जिसमें से 3240 मेगावाट उत्पादन क्षमता की कोटा, छबड़ा व सूरतगढ़ इकाई के साथ के लिए कोल इंडिया से कोयला उपलब्ध कराया जाता है।
कोयला संकट के दौरान समन्वित प्रयासों से एक और कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए केन्द्र सरकार, कोयला माइंस आदि से समन्वय बनाते हुए काफी प्रयास किए, वहीं जून, 21 में करीब 2448 मेगावाट उत्पादन रह गया था जो बढ़कर फरवरी, 22 में औसतन 6000 मेगावाट उत्पादन हुआ। कोल इंडिया ने एसईसीएल की दीपिका माइंस से 5 लाख टन और एनसीएल की खडिया माइंस से दो लाख मैट्रिक टन अतिरिक्त कोयला उपलब्ध करवाकर आरंभ किया। वही उन्होंने बताया कि रेल्वे से रैक की उपलब्ध बढ़ाने के लिए कई प्रयास किये।
कोल इंडिया के चेयरमैन श्री प्रमोद अग्रवाल ने बताया कि विदेशों से आयातीत कोयले के दाम बढ़ने और देश में देर तक मानसून के चलते कोयले का संकट उत्पन्न हुआ। उन्होंने बताया कि कोल संकट, मानसून और कोविड की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कोल इंडिया ने कोयले का 25 प्रतिशत अतिरिक्त उत्पादन कर कोयला उपलब्ध कराया जिससे देश में 17 प्रतिशत विद्युंत उत्पादन में बढ़ोतरी हुई।