नितिन गडकरी बेबाक माने जाते हैं! केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अनायास ही कुछ भी नहीं बोलते। वह अपने बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर नितिन गडकरी के एक बयान की चर्चा हो रही है जिसमें उन्होंने कहा है कि मैं राजनीति कब छोड़ दूं और कब नहीं। राजनीति के माहिर खिलाड़ी पूर्व में भी राजनीति के अंदाज पर सवाल उठा चुके हैं। ऐसे कोई उनके एक या दो बयान नहीं है। उनके बयान के इस बार भी मायने मतलब निकाले जा रहे हैं और पूर्व में भी निकाले गए। उनका यह मानना रहा है कि राजनीतिक दलों के नेताओं को सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने अलग-अलग मंचों से राजनीति को लेकर ऐसी कई बातें कही हैं जिसकी समय-समय पर चर्चा होती है।
ऐसा क्यों कहा?
मुझे लगता है कि मैं कब राजनीति छोड़ दूं और कब नहीं…क्योंकि जिंदगी में करने के लिये और भी कई चीजें हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक दिन पहले ही यह बात कही। एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यदि बारीकी से देखें तो राजनीति समाज के लिए है और इसका विकास करने के लिए है। वहीं मौजूदा वक्त में राजनीतिक को देखा जाए तो इसका इस्तेमाल शत प्रतिशत सत्ता पाने के लिए किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपने इस बयान के कारण फिर सुर्खियों में हैं। गडकरी हंसते-हंसते गंभीर से गंभीर बात कह जाते हैं।पिछले साल की बात है जब एक कार्यक्रम में उन्होंने सत्ता के लालच पर चुटकी ली थी। गडकरी ने कहा था कि आपको शायद ही कोई नेता खुश मिलेगा। उन्होंने बतौर बीजेपी अध्यक्ष अपने कार्यकाल का हवाला देते हुए कहा था कि वह पार्टी अध्यक्ष थे तो कोई ऐसा नहीं मिला जो दुखी न हो। राजस्थान विधानसभा में ‘संसदीय प्रणाली और जन अपेक्षाएं’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही थी। गडकरी ने कहा कि इन दिनों राज्यों के मुख्यमंत्री इस बात को लेकर दुखी रहते हैं कि ना जाने उन्हें कब हटा दिया जाए। उनके इस बयान को उनकी ही पार्टी से जोड़कर देखा गया था क्योंकि उस वक्त कुछ ही महीनों में बीजेपी ने अपने कई मुख्यमंत्रियों को बदल डाला था।
जनवरी 2019 की बात है जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि जो नेता लोगों को सपने दिखाते हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं कर पाते, जनता उनकी पिटाई करती है। गडकरी ने कहा कि वह काम करते हैं और अपने वादों को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा लोग ऐसे नेताओं को पसंद करते हैं जो सपने दिखाते हैं। लेकिन अगर सपने सच नहीं हुए तो लोग उन नेताओं की पिटाई भी करते हैं। मैं सपने नहीं दिखाता बल्कि जो भी बात करता हूं उसे 100 प्रतिशत पूरा करके दिखाता हूं। गडकरी ने महाराष्ट्र में लोक निर्माण विभाग मंत्री रहते हुए अपने कार्यकाल की उपलब्धियां भी गिनाईं और कहा कि जब राज्य में 1995 से 99 तक शिवसेना-भाजपा की सरकार में था सब जानते हैं कि मैं किस तरह का व्यक्ति हूं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक वक्त महाराष्ट्र की राजनीति पर कहा था कि क्रिकेट और राजनीति में कुछ भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि जो मैच हारता हुआ दिखाई देता है वास्तव में वह जीत भी सकता है। उन्होंने यह बात तब कही थी जब भाजपा से अलग हो चुकी शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी की मदद से सरकार बनाने जा रही थी। महाराष्ट्र में बने राजनीतिक हालात के बारे में जब उनके सामने एक सवाल पर उन्होंने कहा कभी आपको लगता है कि आप मैच हार रहे हैं लेकिन परिणाम एकदम विपरीत होता है।
मजबूत विपक्ष की जरूरत
इसी साल मार्च महीने की बात है जब नितिन गडकरी ने पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि लोकतंत्र के लिए मजबूत कांग्रेस अहम है और यह उनकी ईमानदारी से इच्छा है कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बने। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र दो पहियों के सहारे चलता है जिनमें से एक पहिया सत्ताधारी पार्टी है जबकि दूसरा पहिया विपक्ष है। गडकरी ने कहा कि लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष की जरूरत है और इसलिए मै हृदय से महसूस करता हूं कि कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होना चाहिए। उन्होंने कहा चूंकि कांग्रेस कमजोर हो रही है, अन्य क्षेत्रीय पार्टियां उसका स्थान ले रही हैं। लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है कि अन्य क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस का स्थान लें।
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर बीजेपी के नेता और सरकार में शामिल मंत्री कुछ भी बोलने से बचते थे तब पिछले साल की बात है केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने कहा था कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से लोग काफी गुस्सा हैं। नागपुर में उन्होंने कहा था कि एलएनजी, सीएनजी या एथेनॉल जैसे वैकल्पिक ईंधन के ज्यादा इस्तेमाल से पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगी। इससे लोगों का गुस्सा शांत होगा।
साल 2019 में नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि किसी नेता को एक विचारधारा पर टिके रहना चाहिए और डूबते जहाज से कूदते चूहों की तरह पार्टी बदलने से बचना चाहिए। नितिन गडकरी ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि नेताओं को स्पष्ट रूप से राजनीति का अर्थ समझना चाहिए। राजनीति महज सत्ता की राजनीति नहीं है। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, पंडित जवाहर लाल नेहरू और वीर सावरकर जैसे नेता सत्ता की राजनीति में शामिल नहीं थे। उनका यह बयान उस वक्त सामने आया था महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल होने के लिए विपक्ष के कई नेता प्रयास कर रहे थे। दल बदलने वाले नेताओं को नसीहत देते हुए गडकरी ने कहा, सिद्धांतों से समझौता मत कीजिए और धैर्य रखिए। मैंने मुश्किल हालात में भी पार्टी छोड़ने के बार में नहीं सोचा लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि लोग इस बात को ध्यान में रखकर पार्टियां बदल रहे हैं कि कौन सत्ता में है। लोग उनके पीछे भागते हैं, जो सत्ता में होते हैं। आज हम सत्ता में हैं, वे (पार्टी बदलने वाले) हमारे साथ आएंगे। कल अगर किसी और को सत्ता मिलती है तो वे उनके पीछे भागेंगे। लोग बिल्कुल ऐसे पाला बदलते हैं, जैसे डूबते हुए जहाज से चूहे कूदते हैं।
साल 2019 में केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर के एक कार्यक्रम में कहा कि मैं किसी प्रोजेक्ट में सरकार की मदद नहीं लेता। सरकार जहां हाथ लगाती है वहां सत्यानाश हो जाता है। गडकरी ने कहा कि एक संत ने कहा कि आप अपने सामाजिक आर्थिक जीवन को खुद बनाते हैं। तब से मैंने
सरकार पर भरोसा रखना बंद कर दिया। ना मैं सरकार से मदद मांगता हूं न जाता हूं।