क्या आप इजराइल की दादी गोल्डा मेयर की कहानी जानते हैं? एक दोस्त हमारी जिंदगी में क्या अहमियत रखता है, इसका पता मुश्किल वक्त में ही चलता है। संकट के समय चुनौतियों का सामना करने के लिए ही दुनियाभर में देश एक-दूसरे का हाथ थामकर चलते हैं। पूरी दुनिया एक गांव की तरह है जहां दोस्ती एक-दूसरे का सबसे बड़ा सहारा है। कोरोना काल और यूक्रेन युद्ध के समय हम इसके कई उदाहरण देख भी चुके हैं। जब बात दोस्ती निभाने की आती है तो भारत हमेशा अपने दोस्तों के साथ खड़ा दिखाई देता है। यही कारण है कि जब भारत या दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले भारतवासियों के ऊपर संकट के बादल मंडराते हैं तो हिंदुस्तान के दोस्त आगे आ जाते हैं।भारत अकेला ऐसा देश है जिसकी दोस्ती इजरायल से भी है और सऊदी अरब से भी, अमेरिका से भी है और रूस से भी! इंटरनेशनल फेंडशिप डे पर पढ़िए किस्सा भारत-इजरायल की दोस्ती का, जो कई देशों के लिए आज भी मिसाल है। यह किस्सा है 1971 का, एक तरफ भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था तो दूसरी तरफ 4500 किलोमीटर दूर इजरायल में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर इस जंग पर करीब से नजर बनाए हुए थीं। यूक्रेन की राजधानी कीव में जन्मी गोल्डा मेयर को इजरायल की ‘दादी’ कहा जाता था। बिना फिल्टर की सिगरेट पीने वाली चेन स्मोकर गोल्डा के लिए इजरायल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियों कहते थे कि वह ‘उनके मंत्रिमंडल की अकेली पुरुष हैं।’
रखी भारत-इजरायल दोस्ती की नींव
गोल्डा मेयर की कई पहचान हैं, मसलन इजरायल की पूर्व विदेश मंत्री, पहली महिला प्रधानमंत्री और दुनिया की तीसरी महिला पीएम। लेकिन गोल्डा को आप भारत-इजरायल दोस्ती की नींव रखने वाली नेता के रूप में देखें तो बेहतर होगा जिनके लिए आगे चलकर भारत ने भी एक दोस्त होने का फर्ज अदा किया। भारत-पाकिस्तान 1971 की जंग के समय भारत और इजरायल के बीच राजनयिक संबंध नहीं थे। इजरायल का सबसे करीबी दोस्त अमेरिका इस जंग में पाकिस्तान के साथ था लेकिन इजरायल ने तय किया कि वह भारत की मदद करेगा।
तत्कालीन इजरायली प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने भारत को इस जंग में गुपचुप तरीके से सैन्य सहायता मुहैया कराई थी। अमेरिका के पत्रकार गैरी जे बास ने अपनी किताब ‘ब्लड टेलिग्राम’ में इस मदद के बारे में लिखा है। गैरी जे बास अपनी किताब में लिखते हैं, ‘गोल्डा मेयर ने इजरायली हथियार विक्रेता श्लोमो जबलुदोविक्ज के माध्यम से भारत को कुछ हथियार और मोर्टार गुपचुप तरीके से भिजवाए थे। इस दौरान कुछ इजरायली प्रशिक्षक भी भारत आए थे।’
उन्होंने लिखा कि इंदिरा गांधी के चीफ सेक्रेटरी पी एन हक्सर ने उनसे जब और हथियारों का अनुरोध किया तो गोल्डा ने उन्हें आश्वासन दिया कि इजरायल भारत की मदद करना जारी रखेगा। हालांकि इजरायल चाहता था कि बदले में भारत उसके साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करे और उसने इसका संकेत भी दिया था लेकिन भारत ने बड़ी विनम्रता से इसे अस्वीकार कर दिया था क्योंकि उसका कहना था कि सोवियत संघ को यह पसंद नहीं आएगा।
युद्ध में भारत की जीत हुई, पाकिस्तान के सरेंडर की ऐतिहासिक तस्वीर दुनिया के सामने आई और बांग्लादेश अस्तित्व में आ गया। इजरायल अपनी दोस्ती निभा चुका था और अब बारी भारत की थी। इस घटना के करीब 20 साल बाद 1992 में भारत की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने इजरायल के साथ औपचारिक रूप से राजनियक संबंध स्थापित किए और जनवरी 1992 में तेल अवीव में भारत का दूतावास खुल गया।
अगर हम ये कहें कि गोल्डा मेयर ने ही भारत और इजरायल की दोस्ती की नींव रखी थी तो यह गलत नहीं होगा। कहते हैं कि 75 साल की उम्र में भी गोल्डा दिन में 18 घंटे काम करती थीं और उनका दिन सुबह 4 बजे खत्म होता था। इजरायल की ‘आयरन लेडी’ कही जाने वाली गोल्डा मेयर के व्यक्तित्व को और गहराई से जानने के लिए आपको उनका वह इंटरव्यू पढ़ना चाहिए, जिसमें वह अरब को माफ करने के लिए भी कहती हैं और वाक्य के आखिर में ‘लेकिन’ भी लगा देती हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, गोल्डा ने अपने इंटरव्यू में कहा- अगर शांति आई तो हम अरब को माफ भी कर सकते हैं कि उन्होंने हमारे बेटों की हत्या की लेकिन इस बात के लिए हम उन्हें कभी माफ नहीं कर सकते कि उन्होंने हमें अरब के बेटों की हत्या करने के लिए मजबूर किया।