रूस VS चीन के टैंक, कौन से टैंक है आगे? जानिए!

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रूस और चीन में अपने टैंकों की रेस लगी हुई है! अगस्‍त के अंत में रूस में वोस्‍तोक पूर्व 2022 मिलिट्री एक्‍सरसाइज का आयोजन होने वाला है। इस युद्धाभ्‍यास में भारत समेत कुछ और देश पहुंचने वाले हैं। वहीं चीन भी इसमें हिस्‍सा लेगा। वॉर गेम्‍स ऐसे समय में हो रहे हैं जब यूक्रेन में रूस की सेना मौजूद है तो ताइवान के चलते चीन दुनिया को धमकाने में लगा हुआ है। ऐसे में इन दोनों देशों पर सबकी नजरें होंगी। इन वॉरगेम्‍स में टैंक ब्रिगेड बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेती है। रूस और चीन ने अपने बेस्‍ट टैंक्‍स को भेजने का फैसला किया है। चीन का टाइप 96बी टैंक बाइथलॉन में हिस्‍सा लेगा तो वहीं रूस का टी-72बी3 इसमें शामिल हो रहा है।

चीनी सेना की बैकबोन

चीन के टाइप 96बी टैंक को इस देश की सेना की रीढ़ की हड्डी करार दिया जाता है। ये टैंक मेन बैटल टैंक है और इसे अपग्रेड किया जा चुका है। चीन के पास 7,000 से ज्‍यादा टैंक हैं और इस वर्जन को सबसे मजबूत करार दिया जा रहा है। ये तीसरी पीढ़ी का टैंक है और पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) पुराने टैंक्‍स की जगह इस टैंक को ही प्रयोग करना चाहती है। इस टैंक को चाइना नॉर्थ इंडस्‍ट्रीज कॉरपोरेशन (नोरिनको) ने बनाया है। इस समय पीएलए के पास 2500 से ज्‍यादा ऐसे टैंक्‍स हैं। हालांकि इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कितने टैंक्‍स को अपग्रेड किया गया है।

96बी टैंक की खासियत इसकी स्‍ट्राइक रेंज है। इसमें ट्रांसमिशन गियर और एक एडवांस्‍ड फायर कंट्रोल सिस्‍टम भी इसमें मौजूद है। ये टैंक साल 1996 से सर्विस में है और चीन का दावा है कि इसमें शक्तिशाली 730 हॉर्सपावर का इंजन लगा है। इसके अलावा बाकी टैंक्‍स से अलग इस टैंक में 7.62 मिमी की एक कॉआक्सियल मीन गन दी गई है और इसके टॉप पर 12.7 मिमी की हैवी मशीन गन है। इसकी ऑपरेशनल रेंज बस 400 किलोमीटर है। 40 टन का ये टैंक एक घंटे में सिर्फ 65 किलोमीटर की रफ्तार से ही चल सकता है। हालांकि अमेरिकी मिलिट्री एक्‍सपर्ट्स इस टैंक को बस ‘कागज का शेर’ करार देते हैं। साल 2017 में इसी तरह से जब रूस में वॉरगेम हुए थे तो इंडियन आर्मी के भीष्‍म टैंक ने इस टैंक को धूल चटा दी थी।

रूस का T-72B3 टैंक की इस समय सेना का अहम हिस्‍सा है। ये टैंक यूक्रेन के साथ जारी युद्ध में शामिल है। साल 2010 में जब इस टैंक को सेना में शामिल किया गया तो इसे रूस का तीसरी पीढ़ी का बैटल टैंक करार दिया गया। इस टैंक को अपग्रेड किया गया है और अब इसमें बेहतर हथियार, सुरक्षा प्रबंध और कमांड कंट्रोल को सुधारा गया है। ये टैंक सोवियत दौर के T-72 टैंक का ही नया वर्जन है जो सन् 1970 में सेना का ताकतवर हथियार था। इस टैंक को रूस की कंपनी यूराल्‍वागोंजावोद ने तैयार किया है। नवंबर 2018 में बेलारूस की सेनाओं को 10 ऐसे अपग्रेडेड टैंक्‍स सौंपे गए थे।

इस टैंक में 125 एमएम की गन फिट है और इसके साथ ही 7.62एमएम की पीकेटीएम मशीन गन से भी इसे लैस किया गया है। टैंक में गनर और कमांडर के लिए एक गाइडेड वेपन सिस्‍टम है। टैंक एक बार में 5000 मीटर की रेंज वाली लेसर गाइडेड मिसाइल तक फायर कर सकता है। T-72B3 टैंक को ऑटोमैटिक फायर कंट्रोल सिस्‍टम से लैस किया गया है। साथ ही ये टैंक डिजिटल बैलेस्टिक कंप्‍यूटर सिस्‍टम की मदद से दुश्‍मन पर हमला करता है। टैंक में वेदर सेंसर्स दिए गए हैं जिसकी वजह से ये खराब मौसम में भी काम कर सकता है। टैंक रात में भी दुश्‍मन पर हमला कर सकता है।

चीन के टैंक से अलग ये टैंक 70 किलोमीटर प्रति घंटे की स्‍पीड से भाग सकता है। 46 टन वाले इस टैंक की रेंज 500 किलोमीटर है। इस टैंक पर रॉकेट और ग्रेनेड का भी असर नहीं होता है क्‍योंकि इसमें एक एक्टिव प्रोटेक्‍शन सिस्‍टम दिया गया है। साथ ही ज्‍यादा रेंज वाली एक एंटी-टैंक मिसाइल भी इसमें फिट की गई है।इस टैंक में 125 एमएम की गन फिट है और इसके साथ ही 7.62एमएम की पीकेटीएम मशीन गन से भी इसे लैस किया गया है। टैंक में गनर और कमांडर के लिए एक गाइडेड वेपन सिस्‍टम है। टैंक एक बार में 5000 मीटर की रेंज वाली लेसर गाइडेड मिसाइल तक फायर कर सकता है। T-72B3 टैंक को ऑटोमैटिक फायर कंट्रोल सिस्‍टम से लैस किया गया है। साथ ही ये टैंक डिजिटल बैलेस्टिक कंप्‍यूटर सिस्‍टम की मदद से दुश्‍मन पर हमला करता है। टैंक में वेदर सेंसर्स दिए गए हैं जिसकी वजह से ये खराब मौसम में भी काम कर सकता है। टैंक रात में भी दुश्‍मन पर हमला कर सकता है। जमीन के अलावा ये टैंक पानी में भी जंग लड़ सकता है। पानी में युद्ध के लिए इसे सिर्फ 20 मिनट का समय रेडी होने के लिए चाहिए और पानी से बाहर आने के बाद बस 2 मिनट में ही अगले एक्‍शन के लिए रेडी हो जाता है।