वर्तमान में कई देश ऐसे हैं जो बर्बाद होने की कगार पर है, जिसका मुख्य कारण चीन से लिया हुआ कर्ज है! श्रीलंका के बाद अब किर्गिस्तान और पाकिस्तान भी बिखरने की कगार पर हैं। किर्गिस्तान के एक टॉप अधिकारी की तरफ से चेतावनी दी गई कि देश पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। अगर इस बोझ को जल्द हटाया नहीं गया तो फिर यहां भी एक बड़ी मुसीबत पैदा हो जाएगी। इस देश ने भी चीन से अरबों डॉलर का कर्ज लिया हुआ था। पिछले 10 वर्षों में ये कर्ज चीन की तरफ से कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के नाम पर दिया गया था। ये कर्ज बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) के लिए दिया गया था। बीआरआई, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एक फेवरिट प्रोजेक्ट है और इसे उन्होंने साल 2013 में लॉन्च किया था। जिनपिंग ने उसी समय देश की सत्ता संभाल थी और इसे उनका फेवरिट प्रोजेक्ट करार दिया गया था। श्रीलंका और किर्गिस्तान के साथ ही साथ पाकिस्तान के हालातों से दुनिया वाकिफ है।
कर लेगा कब्जा
किर्गिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि देश पर इस समय 5.1 अरब डॉलर का कर्ज है। इसमें से 42 फीसदी चीनी कर्ज है। देश इस समय अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिशें की जा रही हैं। सरकार को डर है कि देश अपना कर्ज तो दूर ब्याज की जरूरी कीमत भी अदा करने में मुश्किलों का सामना करेगा। यहां तक कि डर इस बात का भी है कि देश को कर्ज चुकाने के लिए अपनी कीमती धरोहरों को बेचने के लिए मजबूर हो सकता है।
अकिलबेक जपारोवी जो कैबिनेट के चेयरमैन हैं, उन्होंने देश पर आने वाली मुसीबत की आशंका पिछले दिनों देश की संसद में जताई थी। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘मैं किसी को आतंकित नहीं कर रहा हूं लेकिन अगर हमनें ये कर्ज नहीं अदा किया जो फिर चीन का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक इस पर अपना कब्जा कर सकता है। कई बार पाकिस्तान, श्रीलंका और दूसरे देशों के केसेज में हमने यही देखा है। इस पर चर्चा भी की गई है। हम ऐसे बैठ नहीं सकते हैं और न हर भगवान पर निर्भर रह सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि अपनी आजादी बरकरार रखने के लिए सबको एकसाथ आने की जरूरत है।
चीन इस समय खासी मुश्किलों से गुजर रहा है। पहली बार देश को विदेशी कर्ज संकट का सामना करना पड़ रहा है। अब ये संकट उन कर्ज की वजह से दोहरा गया है जिनसे कोई नतीजा नहीं मिला है। ऐसे कर्ज का ढेर लग चुका है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब इस बात पर ध्यान देने लगा है कि चीन किस तरह से संकटग्रस्त सरकारों पर दबाव बनाता जा रहा है। वर्जिनिया के विलियम एंड मैरी कॉलेज के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर ब्रैडले पार्क्स कहते हैं कि इस बात में किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि चीन का वित्त मंत्रालय और सेंट्रल बैंक अब अपनी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और अब जल्द ही उनकी रेड लाइट ऑफ होने वाली है।
बीआरआई दुनिया का वो प्रोजेक्ट है जिसमें चीन के हाथों कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम हैं। दुनिया के कई देशों जिसमें अर्जंटीना, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, वेनेजुएला, जाम्बिया और ईरान शामिल हैं, उन्हें चीन की तरफ अरबों डॉलर का कर्ज दिया गया। चीन ने इन देशों का फायदा उठाने की लालच में ये कर्ज दिया था। मगर अब उसकी वजह से दुनिया बड़ी मुश्किल में घिर गई है। वर्ल्ड बैंक की तरफ से भी आगाह किया गया है कि ये कर्ज इतना बड़ा है कि इसकी वजह से एक के बाद एक कई डिफॉल्टर्स सामने आएंगे और ये साल 1980 के बाद से पहली बार होगा जब दुनिया को इस स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
ऐसा भी नहीं है कि चीन की तरफ से दिए जाने वाले कर्ज सबसे बड़ी मुश्किल हैं। श्रीलंका पर अंतरराष्ट्रीय कर्ज करीब 50 अरब डॉलर का था जिसमें से चीन का कर्ज सिर्फ 5 बिलियन डॉलर था। लेकिन चीन जिस तरह से इस देश में काम कर रहा था वो काफी विवादित था। यही स्थिति किर्गिस्तान और पाकिस्तान में भी है। पाकिस्तान वो देश है जिसे बीआरआई के तहत सबसे ज्यादा कर्ज मिला। इस देश को अब तक 62 बिलियन डॉलर का कर्ज मिला चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के नाम पर मिला। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफताह इस्माइल ने 1 अगस्त को ब्लूमबर्ग को बताया था कि कर्ज की दिशा में कुछ प्रगति हुई है जो उसे डिफॉल्ट होने से बचा सकती है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान अभी तक मुश्किल में है। श्रीलंका की तरह उसके ढेर होने की आशंकाएं भी बहुत ज्यादा है।