बिहार में इस समय रोजगार की बहुत आवश्यकता है! बिहार के युवा नई महागठबंधन सरकार के बनते ही अजब-गजब बातें बताकर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से नौकरियां देने की गुहार लगा रहे हैं। हाल तो ये है कि गुहार लगाने के लिए गर्लफ्रेंड की मांग तक का हवाला दिया जा जा रहा है। अगर हम बिहार में सिर्फ राजधानी पटना की बात करें तो एक विभाग ऐसा है जहां लोगों की बेहद जरूरत है। ये विभाग है पटना ट्रैफिक पुलिस का। राजधानी पटना में जितनी तेजी से गाड़ियां बढ़ीं हैं उसका आप यकीन भी नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए साल 2020 की अगस्त में मैंने खुद एक गाड़ी जिसका नंबर सीरीज BR01EV है, खरीदी। इसके बाद 2022 के अगस्त महीने में सीरीज BR01FV तक आ गया है। यूं समझिए कि सिर्फ 2 साल में करीब 20 हजार से ज्यादा गाड़ियां बिकीं। इसमें प्रोफेशनल यानि टैक्सी नंबर की गाड़ियां तो शामिल ही नहीं हैं। लेकिन ट्रैफिक के इतने लोड को संभालने के लिए उतने जवान ही नहीं हैं।
साल 2021 के अंत तक की बात करें तो उस समय कर पटना ट्रैफिक पुलिस के पास अफसर, सिपाही और जवानों की तादाद करीब ग्यारह हजार के आसपास थी। जिन पदों परव तैनाती है उनका सृजन साल 2005 में हुआ था। जब राजधानी पटना में गाड़ियों की तादाद अभी के करीब 20 लाख के बजाए सिर्फ 5 लाख के आसपास थी। उस दौर में पटना में करीब 40 से 45 ट्रैफिक पोस्ट बने थे। हालांकि अब इनकी तादाद बढ़कर 73 से ज्यादा हो गई है।
अगर हम राजधानी पटना में रजिस्टर्ड गाड़ियों की बात करें तो माल ढोने वाली हैवी गाड़ियों की संख्या साल 2016 से लेकर 2020 तक क्रमश: 1508, 1100, 5404, 1328, 525 निबंधित हुईं। वहीं बसों जैसी गाड़ियों का निबंधन इन्ही पांच सालों में क्रमशः 235, 306, 205, 263, 184 हुआ। कार और बाइक की तादाद तो इनसे कहीं ज्यादा है जो आप नीचे देख सकते हैं।
इसको आसान शब्दों में आप ऐसे समझ सकते हैं कि पिछले 10 साल में करीब 11 लाख नई गाड़ियां पटना की सड़कों पर आईं लेकिन उन्हें संभालने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तादाद वही है जो करीब 10 साल पहले थी। ऐसे में नीतीश जी और तेजस्वी जी, अगर नौकरी देनी है तो शुरूआत यहां से भी करने में क्या बुराई है।कार और बाइक की तादाद तो इनसे कहीं ज्यादा है जो आप नीचे देख सकते हैं।
इसको आसान शब्दों में आप ऐसे समझ सकते हैं कि पिछले 10 साल में करीब 11 लाख नई गाड़ियां पटना की सड़कों पर आईं लेकिन उन्हें संभालने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तादाद वही है जो करीब 10 साल पहले थी। ऐसे में नीतीश जी और तेजस्वी जी, अगर नौकरी देनी है तो शुरूआत यहां से भी करने में क्या बुराई है।
पटना ट्रैफिक पुलिस के पास जिप्सी सवार सिर्फ 10 रेग्युलेशन स्क्वॉयड ही हैं। वो भी 17 साल पहले बनाए गए थे। जबकि अभी कम से कम ऐसे 40 स्क्वॉयड की जरूरत है। अगर विभाग में अफसरों की वर्तमान तैनाती और खाली पद देखें तो भी अंतर साफ पता चल जाता है।
तो इनसे कहीं ज्यादा है जो आप नीचे देख सकते हैं।
इसको आसान शब्दों में आप ऐसे समझ सकते हैं कि पिछले 10 साल में करीब 11 लाख नई गाड़ियां पटना की सड़कों पर आईं लेकिन उन्हें संभालने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तादाद वही है जो करीब 10 साल पहले थी। ऐसे में नीतीश जी और तेजस्वी जी, अगर नौकरी देनी है तो शुरूआत यहां से भी करने में क्या बुराई है।
पटना ट्रैफिक पुलिस के पास जिप्सी सवार सिर्फ 10 रेग्युलेशन स्क्वॉयड ही हैं। वो भी 17 साल पहले बनाए गए थे। जबकि अभी कम से कम ऐसे 40 स्क्वॉयड की जरूरत है। अगर विभाग में अफसरों की वर्तमान तैनाती और खाली पद देखें तो भी अंतर साफ पता चल जाता है।
पटना ट्रैफिक पुलिस के पास जिप्सी सवार सिर्फ 10 रेग्युलेशन स्क्वॉयड ही हैं। वो भी 17 साल पहले बनाए गए थे। जबकि अभी कम से कम ऐसे 40 स्क्वॉयड की जरूरत है। अगर विभाग में अफसरों की वर्तमान तैनाती और खाली पद देखें तो भी अंतर साफ पता चल जाता है।
पटना ट्रैफिक पुलिस के पास जिप्सी सवार सिर्फ 10 रेग्युलेशन स्क्वॉयड ही हैं। वो भी 17 साल पहले बनाए गए थे। जबकि अभी कम से कम ऐसे 40 स्क्वॉयड की जरूरत है।पटना ट्रैफिक पुलिस के पास जिप्सी सवार सिर्फ 10 रेग्युलेशन स्क्वॉयड ही हैं। वो भी 17 साल पहले बनाए गए थे। जबकि अभी कम से कम ऐसे 40 स्क्वॉयड की जरूरत है। अगर विभाग में अफसरों की वर्तमान तैनाती और खाली पद देखें तो भी अंतर साफ पता चल जाता है। अगर विभाग में अफसरों की वर्तमान तैनाती और खाली पद देखें तो भी अंतर साफ पता चल जाता है।