क्या अफगानिस्तान पाकिस्तान से लेगा बदला?

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच खींचातानी लगी रहती है! अफगानिस्‍तान में तालिबान राज आने के बाद पाकिस्‍तान को उम्‍मीद थी कि वे अफगान जनता पर राज करेंगे। पाकिस्‍तान को तालिबान से यह उम्‍मीद होती भी क्‍यों नहीं। पाक‍िस्‍तान ने अफगानिस्‍तान में 20 साल तक अमेरिकी सेनाओं के रहने के दौरान न केवल तालिबानी आतंकियों को सैन्‍य मदद दी, बल्कि उनके परिवारों को अपने देश में वर्षों तक पाला। हालांकि अब तालिबान राज में इसका ठीक उल्‍टा हो रहा है और पाकिस्‍तान के लिए अफगानिस्‍तान भस्‍मासुर साबित हो रहा है। अफगान सीमा के अंदर हवाई हमला करने वाले पाकिस्‍तान को सीमा रेखा डूरंड लाइन से लेकर क्रिकेट के मैदान तक अफगानों से करारा जवाब मिल रहा है। यही वजह है कि पाकिस्‍तानी भड़के हुए हैं और वे अफगानों को ‘नमक हराम’ कह रहे हैं। यही नहीं तालिबान के ‘दोस्‍त’ तहरीक-ए- तालिबान आतंकी पाकिस्‍तानी सैनिकों का जमकर खून बहा रहे हैं। पाकिस्‍तान चाहकर भी अफगानों का कुछ भी नहीं बिगाड़ पा रहा है। पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान के बीच तनाव और जनरल बाजवा की मजबूरी के पीछे कई बड़े कारण हैं।

अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान के बीच हालात बहुत तनावपूर्ण बने हुए हैं। दरअसल, अफगानों को लगता है कि पाकिस्‍तान उनके देश में खून खराबा कराता है और अपने बफर स्‍टेट के रूप में समझता है। पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान के बीच आपसी संबंध पूर्ववर्ती अशरफ गनी सरकार के समय से ही खराब चल रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सीमा व‍िवाद और भारत के साथ अशरफ गनी का करीबी रिश्‍ता था। पाकिस्‍तानी सेना ने अशरफ गनी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए तालिबान को बढ़ावा दिया ताकि वहां अपने मनमाफिक सरकार को बनाकर उसका सीमा व‍िवाद और भारत के खिलाफ लाभ उठाया जा सके। पाकिस्‍तानी अपने मिशन में सफल भी हो गए लेकिन उनके पाले हुए तालिबानी आतंकी अब जनरल बाजवा के लिए भस्‍मासुर बन गए हैं। यही वजह है कि वे न केवल सीमा पर पाकिस्‍तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, बल्कि टीटीपी को सुरक्षित ठिकाना देकर पाकिस्‍तान खूनी घाव दे रहे हैं।

पाकिस्‍तान ने खुद स्‍वीकार किया है कि तालिबान के राज में अफगानिस्‍तान से टीटीपी के खूनी हमले काफी बढ़ गए हैं। उन्‍होंने कहा कि तालिबान टीटीपी को रोकने के लिए कुछ भी नहीं कर रहा है। इस बीच टीटीपी ने ऐलान किया है कि वे पाकिस्‍तान की लोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ जिहाद चला रहे हैं और देश में शहबाज सरकार को उखाड़ फेंककर इस्‍लामिक राज की स्‍थापना करेंगे। टीटीपी के ये आतंकी साल 2007 से ही पाकिस्‍तान में हमले कर रहे हैं। टीटीपी ने साल 2014 में पेशावर में आर्मी के स्‍कूल पर भीषण हमला करके 150 लोगों की जान ले ली थी जिसमें अधिकांश बच्‍चे थे। टीटीपी के बढ़ते हमलों से परेशान पाकिस्‍तानी सेना ने पिछले दिनों अफगानिस्‍तान के कुनार और खोश्‍त इलाके में घुसकर पहली बार हवाई हमला किया था जिसमें कम से कम 50 लोग मारे गए थे। इस हमले से तालिबानी आगबबूला हो गए थे। अब कई व‍िश्‍लेषक यह कह रहे हैं कि तालिबान को जवाब देने के लिए पाकिस्‍तान आईएसकेपी के आतंक‍ियों को मदद दे रहा है।

पाकिस्‍तान का आरोप है कि टीटीपी को तालिबान अफगान जमीन पर पाल रहा है। पाकिस्‍तानी व‍िशेषज्ञों का कहना है कि न केवल टीटीपी बल्कि पाकिस्‍तान के लिए इस्‍लामिक स्‍टेट और बलूच व‍िद्रोही बड़ा संकट बन गए हैं जो अफगानिस्‍तान में रहकर हमले करते हैं। साल 2021 में टीटीपी ने पाकिस्‍तान में 87 हमले किए। इसमें ज्‍यादातर हमलों में सेना को निशाना बनाया गया। इस साल जनवरी से लेकर मार्च तक पाकिस्‍तानी सेना के 97 सैनिक व‍िभिन्‍न हमलों में मारे गए हैं। तालिबान की मध्‍यस्‍थता से टीटीपी और पाकिस्‍तान के बीच सीजफायर हुआ था जो अब टूट गया है। टीटीपी और पाकिस्‍तानी सेना के बीच इस शांति बातचीत चल रही है। टीटीपी की मुख्‍य मांग पाकिस्‍तान में शरिया कानून से शासन और अपने हजारों लड़ाकुओं को रिहा किया जाना है। अफगान व‍िशेषज्ञों का कहना है कि इस बात की संभावना न के बराबर है कि तालिबान टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा। इन दोनों ने ही मिलकर 20 साल तक अमेरिका के खिलाफ जंग लड़ी है।

पाकिस्‍तान और तालिबान के बीच व‍िवाद की एक और वजह सीमा व‍िवाद है। तालिबानी और ज्‍यादातर अफगान जनता डूरंड लाइन को नहीं मानती है। यह सीमा रेखा 2700 किमी लंबी है। पाकिस्‍तान इस सीमा रेखा पर बाड़ लगाना चाहता है जिसका तालिबानी कड़ा व‍िरोध कर रहे हैं। अशरफ गनी सरकार के दौरान भी दोनों के बीच डूरंड रेखा को लेकर काफी व‍िवाद हुआ था। अफगानों का कहना है कि अंग्रेजों ने गलत तरीके से डूरंड लाइन को बनाया था और देश के कई हिस्‍सों को पाकिस्‍तान को दे दिया था। अफगान जनता के लिए यह आत्‍मसम्‍मान का मुद्दा बन चुका है और यही वजह है कि पिछले दिनों तालिबानी सैनिकों ने बाड़ लगा रहे पाकिस्‍तानी सैनिकों को मार भगाया था। दोनों ही पक्षों के बीच पिछले दिनों जमकर गोलाबारी भी हुई थी। हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में एक तालिबानी कमांडर ने पाकिस्‍तानी सैनिकों को चेतावनी दी थी कि वे उनके आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप करना बंद करें।

अमेरिकी यून‍िवर्सिटी ऑफ अफगानिस्‍तान में शिक्षक ओबैदुल्‍लाह बहीर कहते हैं कि तालिबान अफगानिस्‍तान में सत्‍ता संभालने के बाद अब पाकिस्‍तान की छत्रछाया से निकलने की कोशिश कर रहा है। तालिबान को पाकिस्‍तान का पालतू माना जाता है और इस पहचान को खत्‍म करने के लिए वह इस्‍लामाबाद के खिलाफ कड़े कदम उठा रहा है। पाकिस्‍तान अफगानिस्‍तान का सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझीदार है। व‍िशेषज्ञों के मुताबिक तालिबान के पास अभी इतनी ताकत नहीं है कि वह पाकिस्‍तान के खिलाफ कोई बड़ी सैन्‍य कार्रवाई करे लेकिन टीटीपी के जरिए वह पाकिस्‍तान को जख्‍म दे सकता है। यही नहीं तालिबान अब भारत के साथ बहुत करीबी संबंध बना रहा है। भारत ने काबुल में अपने दूतावास को फिर से खोल दिया है। भारत ने अफगानिस्‍तान को बड़े पैमाने पर गेहूं और दवाइयां भेजी है। इन ताजा घटनाक्रम से भी पाकिस्‍तान भड़का हुआ है। भारत की बढ़ती उपस्थिति से उसे खतरा महसूस हो रहा है। यही नहीं पाकिस्‍तानी हवाई हमलों और तालिबान राज लाने में मदद से अफगान जनता भी भड़की हुई है। उनका यही गुस्‍सा यूएई में क्रिकेट के मैदान में देखने को मिला और उन्‍होंने पाकिस्‍तानियों को उनकी औकात बता दी।