क्या अपर्णा यादव भी होंगी समाजवादी पार्टी में शामिल?

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अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकती है! समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर नेताजी की बड़ी बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने रेकॉर्ड मतों से बीजेपी उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य को हराया है। मैनपुरी सीट से चुनाव जीतने के बाद डिंपल यादव एक बार फिर लोकसभा पहुंच गईं हैं। डिंपल यादव की इस जीत से पार्टी में उनका कद और जलवा एक बार फिर बढ़ गया है।दूसरी तरफ सपा छोड़कर यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में गईं नेताजी की छोटी बहू अपर्णा यादव को अब तक कोई बड़ा फायदा नहीं मिला है। यूपी उपचुनाव और डिंपल यादव की जीत के बाद अपर्णा यादव के भविष्य को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। अपर्णा यादव को लेकर बीजेपी क्या सोच रही है, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है। अपर्णा यादव को क्या बीजेपी में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी या निकाय चुनाव में अपर्णा को लेकर कुछ संभावनाएं है।

उनका ना तो जनाधार है, ना ही अभी कोई संगठनात्मक क्षमता है। ना ही ऐसा कोई प्लस प्वाइंट है, जिसके आधार पर उनकी निजी पूंजी हो। ऐसे में फिलहाल कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है। हां इतना जरूर हो सकता है कि बीजेपी उन्हें महिला संगठन में जिम्मेदारी देकर उनका उपयोग कर सकती है। अपर्णा यादव को फिलहाल कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, ऐसा मुश्किल लग रहा है। बाकी आगे चलकर राजनीति में कुछ भी हो सकता है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार मेयर चुनाव में भी अपर्णा यादव की संभावनाएं बेहद कम ही है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि चुनाव के बाद से राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चाएं भी होने लगी है कि अपर्णा यादव वापस समाजवादी पार्टी में वापस जाना चाहती है। हालांकि इसका अभी कोई पुख्ता आधार नहीं है।

सपा को डैमेज करने में बीजेपी का वो क्या योगदान कर सकती है, इससे ज्यादा अभी फिलहाल में कोई भूमिका दिख नहीं रही है। अपर्णा यादव का अपना कोई जनाधार भी नहीं है, सिवाए इसके की वो मुलायम सिंह यादव की बहू हैं। इससे ज्यादा कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि अपर्णा यादव के लिए बहुत स्कोप अभी नहीं है। वहीं मेयर चुनाव में अपर्णा यादव की भूमिका पर वरिष्ठ पत्रकार नवल कांत सिन्हा ने कहा कि ऐसी संभावनाएं अभी दिख नहीं रही है।

जैसे सभी कार्यकर्ता है, वैसे ही अपर्णा यादव भी भारतीय जनता पार्टी की एक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बताया कि समय आने पर पार्टी उपयुक्त व्यक्ति से काम लेती है। इसलिये जहां उनकी उपयोगिता होगी, बीजेपी वहां उनसे काम लेगी। पार्टी संगठन में जिम्मेदारी मिलने और मेयर पद की के दावेदारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका निर्णय पार्टी आलाकमान को लेना है।

यह पहला चुनाव था जिसमें नेताजी नहीं हैं। अगर सपा मैनपुरी में हार जाती तो ऐसा लगता कि वहां के लोग नेताजी का समर्थन करते थे, उस राजनीति को बचाने के लिए ही सभी लोग इकट्ठा हुए हैं। शिवपाल यादव को अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंता है। अखिलेश यादव आगे बढ़कर आए थे तो ऐसे में दोनों को ही जरूरत थी, दोनों इकट्ठा हुए और चुनाव में बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। वहीं इस जीत में ये मैसेज जरूर गया है कि बीजेपी के खिलाफ अगर कोई पार्टी लड़ सकती है तो वो समाजवादी पार्टी ही है। कयास ये भी है कि अखिलेश यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद चाचा शिवपाल यादव के लिए छोड़ सकते हैं। अखिलेश यादव अब लोकसभा की तैयारी करेंगे।

अपर्णा यादव सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी है। अपर्णा ने बीते यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया था। बीजेपी में अपर्णा यादव के शामिल होने के बाद ये चर्चा होने लगी थी कि बीजेपी अपर्णा यादव को कैंट विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना सकती है, लेकिन वहां से वर्तमान उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को टिकट थमाकर अपर्णा के अरमानों पर पानी फेर दिया गया था। इसी तरह विधानसभा चुनाव के बाद हुए राज्यसभा और विधानपरिषद के चुनाव में भी अपर्णा को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चली, लेकिन वो सिर्फ चर्चा ही रह गई। वहीं हाल ही में सम्पन्न हुए मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में भी अपर्णा यादव को लेकर भी चर्चा सामने आई थी।