जानिए नकाबपोश लुटेरों के बारे में सब कुछ!

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आज हम आपको नकाबपोश लुटेरों के बारे में बताने वाले हैं! रात भर क्राइम शो देखकर वो थक चुका था। उसने एक के बाद एक अपने लैपटाप पर क्राइम शो की तीन क्लिप देख डाली थीं। उसे वो नहीं मिल पा रहा था जो वो देखना चाहता था, अब उसने अपनी चौथी वीडियो क्लिप देखना शुरू किया और फिर वो उसे बेहद ध्यान से देखने लगा। इसबार उसे वो मिल गया था जिसकी उसे तलाश थी। उसे अगली सुबह अपने नए टास्क के लिए निकलना था। टास्क लोगों को ठगने का, टास्क एक बार में लाखों कमाने का। रात के दो बज चुके थे, वो जल्दी-जल्दी कुछ घंटे की नींद लेना चाहता था।सुबह-सुबह वो उठा और तैयार हुआ। उसने अपनी कैप पहनी, चेहरे को मास्क से ढका और निकल गया सबसे बड़ी ठगी को अंजाम देने। वो मेरठ के राज महल होटल पहुंचा। वहां उसने पहले से ही दो परिवारों को बुलाया था। ये लोग यहां जर्मनी में जॉब के सिलसिले में आए थे। होटल के कमरे में ये ये लोग वीजा के पेपर लेकर इंतजार कर रहे इस नटवरलाल का जिसने इन्हें जर्मनी में नौकरी दिलाने का झांसा दिया था।

ये मास्क पहनकर होटल के कमरे में पहुंचा और इसने यहां मौजूद सभी लोगों को चालाकी से दवाई सुंघाकर बेहोश किया। उसके बाद इसने उनके मोबाइल से अलग-अलग बैंक अकाउंट में करीब साढे छह लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए और फिर ये नकाबपोश नटवरलाल यहां से फरार हो गया। थोड़ी देर में जब इन लोगों को होश आया तो इन्हें समझ आया कि इनके साथ लाखों की लूट हो गई है। नौकरी दिलाने के नाम पर पहले इन्हें केरल से मेरठ बुलाया गया और फिर बेहोश करके इनके सारे पैसे लूट लिए गए। 23 नवंबर के दिन ये घटना इन लोगों के साथ हुई जिसकी शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई गई।

अब सवाल ये है कि कौन था ये नटवरलाल? पुलिस तलाश में जुट गई। सारे तथ्यों को खंगाला गया। दरअसल मेरठ के होटल में में जिन दो परिवारों को ठगा गया उन्हें इस शख्स के बारे में एक विज्ञापन से पता चला था। इस नटवराल ने ऑनलाइन जर्मनी में नौकरी का विज्ञापन दिया था। काफी समय से इन लोगों की इनसे बातें चल रहीं थीं, लेकिन वो इतनी सफाई से काम कर रहा था कि इन्हें कभी पता ही नहीं चल पाया कि इनके साथ ठगी होने वाली है। इसके बुलाने पर ही ये वीजा के पेपर लेकर मेरठ चले आए थे। पुलिस कई दिनों तक इस केस पर जुटी रही और आखिरकार दो दिन पहले इस ठग को पंजाब के लुधियाना से गिरफ्तार कर लिया गया।

ये शातिर चोर 6 सालों से इसी तरह ठगी का काम कर रहा था। ये अपने घर में कई लैपटॉप और उसमें क्राइम शो वीडियो क्लिप रखता था। क्राइम शो देखकर पहले ये तय करता था कि इसे ठगी को कैसे अंजाम देना है। इतना ही नहीं ये क्राइम शो से ही ये सीखता था कि अपराधी कौन से कमजोर प्वाइंट छोड़ देते हैं जिसकी वजह से वो पुलिस के हत्थे चढ़ जाते हैं। ये उन गलतियों से बचने की पूरी कोशिश करता था और इसलिए सालों से ठगी करने के बावजूद ये पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाया था। इसने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब समेत देश के 8 राज्यों में ठगी को अंजाम दिया था। इसके निशाने पर सबसे ज्यादा साउथ इंडिया के लोग होते थे और वजह थी उनका हिंदी न समझ पाना। इसके लिए उनको ठगना आसान होता था।

इसके काम करने का तरीका भी बेहद शातिर था। ये गरीब लोगों को 10-15 हज़ार रुपये देकर उनके नाम से बैंक अकाउंट खुलवाता था। उसके बाद उनसे उस अकाउंट से जुड़ी हुई सारी जरूरी चीज़ों जैसे पासबुक, चेकबुक, एटीएम कार्ड को खुद ले लेता था। इस तरह के दर्जनों अकाउंट इसने अलग-अलग नाम से खोले हुए थे। पुलिस को इसके पास से अलग-अलग बैंक के कई एटीएम कार्ड, पासबुक, चेकबुक बरामद हुए हैं। इतने सालों तक ये महाठग इसलिए भी बचता रहा क्योंकि ये हमेशा कैप और मास्क पहनकर ही लूट को अंजाम देता था। ये लोगों से मिलने भी कैप और मास्क पहनकर ही जाता था जिसकी वजह से ये सीसीटीवी फुटेज की पकड़ में भी नहीं आ पाता था। साथ ही बैंक अकाउंट से जब भी इसे कैश निकालना होता था तो एटीएम का इस्तेमाल तो करता था, लेकिन वहां खुद नहीं जाता था। ये किसी भी शख्स को कुछ पैसे देकर अपने अकाउंट से पैसे निकलवाने के लिए एटीएम के अंदर भेजता था ताकि बूथ में लगे कैमरे की पकड़ से बच सके। ये सारी बातें इसने क्राइम शो को देखकर ही सीखी थीं।

एक और तरीका था जिसकी वजह से ये सालों से बचता आ रहा था। ये एक फोन नंबर को कभी भी दोबारा इस्तेमाल नहीं करता था। जैसे ही काम पूरा होता ये उस सिम को ही फेंक देता ताकि पुलिस या फिर पीड़ित इस तक पहुंच ही न सके। इसके पास से कई सिम कार्ड भी पुलिस को मिले हैं। इन्हीं सब तरीकों के इस्तेमाल से ये एक के बाद एक 35 लोगों को अब तक चुना लगा चुका था, लेकिन मेरठ में होटल में हुई ठगी के बाद आखिरकार ये पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया। पुलिस ने इसे एटीएम में लगे सीसीटीवी फुटेज से ही पहचाना। ये वहां पर भी नकाब पहनकर घुसा था तो पुलिस को शक हुआ और इसे वहां की पुलिस ने धर-दबोचा।

इस महाठग का नाम राजेन्द्र है। पुलिस करीब 6 साल से इसे ढूंढ रही थी। इसके नाम पर ईनाम भी घोषित किया गया था। इसके पास से पुलिस को नशे का सामान, कुछ इंजेक्शन और शक्तिवर्धक गोलियां भी मिली हैं। इसके ऊपर लगे कई ऐसे मामलों का भी खुलासा हुआ है जहां ये लड़कियों के साथ जबरदस्ती करता था और फिर उन्हें बदनाम करने की धमकियां देता था। बदनामी के डर से इसके खिलाफ कई लड़कियों ने शिकायत भी नहीं की। इसने कई नकली आधार कार्ड भी अपने नाम से बनवाए हुए थे। इसके अलावा नकली ड्राइविंग लाइसेंस भी पुलिस ने बरामद किया है। पुलिस इस महाठग से पूछताछ कर रही है और जानना चाह रही है कि इसके गैंग में और कौन-कौन शामिल था।