आखिर क्या है सीएम ममता बनर्जी की सियासी ट्रिक?

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आज हम आपको सीएम ममता बनर्जी की सियासी ट्रिक समझाने वाले हैं! विपक्ष शासित राज्यों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की केंद्र की भाजपा सरकार से कभी नहीं पटी। तीसरी बार सीएम बनने के बाद तो उनके तेवर और कड़े हो गए हैं। बात-बात में केंद्र का विरोध और केंद्र की ओर से आयोजित बैठकों का बहिष्कार ममता के स्वभाव में शामिल हो गया है। अपने अड़ियल रुख के कारण उन्होंने दो साल पहले बंगाल के दौर पर गए पीएम नरेंद्र मोदी को काफी इंतजार कराया। पहुंचीं भी तो बात दुआ-सलाम तक ही सीमित रही। ममता का अक्खड़पन ऐसा था कि बंगाल के चीफ सेक्रेटरी आलापन बंद्योपाध्याय को भी उन्होंने समय पर नहीं भेजा। ममता बनर्जी को पीएम मोदी से इतनी चिढ़ है कि कोरोना की वैक्सीन लेने वाले को मोदी का चित्र लगा सर्टिफिकेट तक उन्होंने बंद करा दिया था। अब तो उन पर केंद्रीय योजनाओं का नाम बदलने का भूत सवार हो गया है। केंद्र सरकार जब कोई योजना शुरू करती है तो ममता इसके समानांतर बंगाल की अस्मिता से जोड़ कर योजना आरंभ कर देती है। उदाहरण के लिए हेल्थ सेक्टर की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को ही लीजिए। सभी राज्यों में आयुष्मान भारत नाम से ही योजना लागू है, लेकिन ममता बनर्जी ने इसे अपने यहां लागू नहीं किया, बल्कि इसी स्कीम को स्वास्थ्य साथी नाम से शुरू कर दिया। ममता का तर्क था कि आयुष्मान भारत में जितना अंशदान राज्य को करना पड़ता, उससे ही उन्होंने स्वास्थ्य साथी योजना शुरू कर दी। केंद्र की भाजपा सरकार अपनी वाहवाही के लिए राज्यों के अंशदान पर योजनाएं शुरू करती है।

ममता बनर्जी ने न सिर्फ आयुष्मान भारत की जगह स्वास्थ्य साथी योजना शुरू की, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम भी बदल दिया। ममता ने बंगाल में इस योजना का नाम- बांग्ला आवास योजना बांग्लार गृह प्रकल्प कर दिया। उदाहरण के लिए हेल्थ सेक्टर की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को ही लीजिए। सभी राज्यों में आयुष्मान भारत नाम से ही योजना लागू है, लेकिन ममता बनर्जी ने इसे अपने यहां लागू नहीं किया, बल्कि इसी स्कीम को स्वास्थ्य साथी नाम से शुरू कर दिया। ममता का तर्क था कि आयुष्मान भारत में जितना अंशदान राज्य को करना पड़ता, उससे ही उन्होंने स्वास्थ्य साथी योजना शुरू कर दी। केंद्र की भाजपा सरकार अपनी वाहवाही के लिए राज्यों के अंशदान पर योजनाएं शुरू करती है।इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन का नाम बंगाल में मिशन निर्मल बांग्ला कर दिया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को बंग मत्स्य योजना नाम ममता ने रख दिया है। पीएम ग्रामीण सड़क योजना का नाम बंगाल में बदल कर बांग्ला ग्रामीण सड़क योजना कर दिया गया है।

बीजेपी के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने केंद्रीय योजनाओं के नाम बदलने पर एतराज जताया है। उन्होंने केंद्रीय आवासन मंत्री को इस बाबत पत्र लिखा है।उदाहरण के लिए हेल्थ सेक्टर की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को ही लीजिए। सभी राज्यों में आयुष्मान भारत नाम से ही योजना लागू है, लेकिन ममता बनर्जी ने इसे अपने यहां लागू नहीं किया, बल्कि इसी स्कीम को स्वास्थ्य साथी नाम से शुरू कर दिया। ममता का तर्क था कि आयुष्मान भारत में जितना अंशदान राज्य को करना पड़ता, उससे ही उन्होंने स्वास्थ्य साथी योजना शुरू कर दी। केंद्र की भाजपा सरकार अपनी वाहवाही के लिए राज्यों के अंशदान पर योजनाएं शुरू करती है। पत्र के साथ एक मकान की तस्वीर भी भेजी है, जो पीएम आवास योजना के तहत बना है। यानी उस घर के निर्माण में केंद्र सरकार का पैसा खर्च हुआ है। पीएम को इसका श्रेय न मिले, इसलिए मकान पर बांग्ला बाड़ी लिख कर चिपकाया गया है। शुभेंदु अधिकारी ने खाद्य साथी योजना पर आपत्ति की थी। उन्होंने कहा था कि केंद्र की मुफ्त राशन योजना को ममता ने खाद्य साथी नाम से प्रचारित किया।

ममता बनर्जी को बीजेपी और पीएम मोदी से इतनी एलर्जी है कि वे केंद्र की बैठकों का बहिष्कार करती हैं। नीति आयोग की हाल ही हुई बैठक का ममता ने बायकाट किया था। हालांकि 10 मुख्यमंत्री बैठक में नहीं पहुंचे थे, लेकिन ममता बायकाट की बात कर बैठक में शामिल नहीं हुईं। संसद के नये भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार भी उन्होंने विपक्ष के दूसरे दलों की तरह किया था। ममता को इस बात पर भी एतराज है कि बीएसएफ का कमांड एरिया केंद्र ने बढ़ा दिया है। वे लोगों को उकसाती भी हैं कि बीएसएफ वाले उनके इलाके में आएं तो लोग उनको तरजीह न दें।