हाल ही में हुए कुछ केसों के अनुसार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट बहुत भारी पड़ सकती है! इस साल की शुरुआत में यूएस शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी के शेयरों में भूचाल ला दिया था। इसके बाद ग्रुप ने निवेशकों का विश्वास पाने के लिए अपने कर्ज को कुछ कम किया और गिरवी रखे शेयरों की संख्या घटाई। इस रिपोर्ट से अडानी के शेयरों में निवेशकों के 150 अरब डॉलर स्वाहा हो गए थे। ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी का कहना था कि इस रिपोर्ट का उद्देश्य समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और इसके शेयर की कीमतों को कम करके लाभ कमाना था। इसके बाद से ग्रुप की कंपनियों ने अपने शेयरों में हुए नुकसान की काफी हद तक भरपाई कर ली है और ग्रुप का कारोबार पटरी पर आ गया है। लेकिन हिंडनबर्ग हमले की गूंज अलग-अलग तरीकों से अधिक गहरी और लंबे समय तक महसूस की जा सकती है। शॉर्ट सेलर के अटैक का एक रिजल्ट अडानी की एफएमसीजी कारोबार से बाहर निकले की कथित योजना है। पोर्ट से लेकर रिन्यूएबल एनर्जी तक के कारोबार में फैला यह ग्रुप अडानी विल्मर लिमिटेड में अपनी पूरी 43.97% हिस्सेदारी बेचने के लिए कई मल्टीनेशनल कंज्यूमर गूड्स कंपनीज के साथ बातचीत कर रहा है। मामले से जुड़े अधिकारियों ने ईटी को यह जानकारी दी है। खाद्य तेल और पैकेज्ड ग्रॉसरी का फॉर्च्यून ब्रांड अडानी विल्मर का ही है।
अधिकारियों ने कहा कि अडानी सिंगापुर बेस्ड विल्मर इंटरनेशनल के साथ जॉइंट वेंचर में अपनी हिस्सेदारी के लिए 2.5 से 3 अरब डॉलर मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। एक महीने के भीतर डील फाइनल होने की संभावना है। हालांकि दोनों में से किसी भी कंपनी ने इसकी पुष्टि नहीं की है। अडानी विल्मर के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में फॉर्च्यून, किंग्स, बुलेट, राग, अवसार, पिलाफ, जुबली, फ्रायोला, अल्फा, अलाइफ और आधार जैसे ब्रांड शामिल हैं।जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने निवेशकों के विश्वास को हिलाकर रख दिया था, तो ग्रुप ने समय से पहले भुगतान करके अपने कर्जों को कम किया था। साथ ही निवेशकों का विश्वास हासिल करने के लिए गिरवी रखे शेयरों को घटाया था। लेकिन हिंडनबर्ग हमले ने ग्रुप की निवेश और अधिग्रहण योजनाओं को कुछ हद तक बाधित कर दिया। ग्रुप के प्रमोटर्स लिक्विडी बफर और जोखिम रहित बैलेंस शीट बनाने के लिए नॉन-कोर एसेट्स में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहे हैं।
एक अधिकारी ने ईटी को बताया, ‘अडानी ग्रुप इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कोर फोकस एरियाज में और डीपली इन्वेस्ट करने के लिए कुछ बिजनसेज से बाहर निकल जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘अडानी विल्मर में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना इसी तर्ज पर है।’ उन्होंने कहा कि प्रस्ताविक बिक्री से प्राप्त रकम का उपयोग समूह के दूसरे बिजनसेज में निवेश के लिए किया जा सकता है, न कि कर्ज कम करने के लिए देश के 3 कारोबारी घराने हाल ही में यूनिलीवर और नेस्ले जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों और आईटीसी, ब्रिटानिया और मैरिको जैसी घरेलू दिग्गज कंपनियों के प्रभुत्व वाले भारत के एफएमसीजी मार्केट में सेंध लागाना शुरू किया है। मिडिल क्लास के बढ़ने और लोगों की परचेंजिंग पावर में इजाफे के चलते रिलांयस, टाटा और अडानी इस सेक्टर में पैठ बना रहे हैं। BCG-TRAI स्टडी बताती है कि भारत का रिटेल इंडस्ट्री साल 2032 तक 9-10 फीसदी की ग्रोथ से 2 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। भारत के इस भारी-भरकम कंज्यूमर मार्केट में निश्चित रूप से कुछ और बड़े प्लेयर्स आ सकते हैं। लेकिन इतने सारे दिग्गज ग्रुप्स की उपस्थिति का मतलब है तगड़ा कंपटीशन। यह विभिन्न बिजनस सेगमेंट्स के लिए एक घमासान लड़ाई के समान है।
पिछले साल दिसंबर में रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड RRVL की एफएमसीजी शाखा, रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड RCPL ने ब्रांड ‘इंडिपेंडेंस’ के लॉन्च के साथ इस सेगमेंट में एंट्री ली। पोर्ट से लेकर रिन्यूएबल एनर्जी तक के कारोबार में फैला यह ग्रुप अडानी विल्मर लिमिटेड में अपनी पूरी 43.97% हिस्सेदारी बेचने के लिए कई मल्टीनेशनल कंज्यूमर गूड्स कंपनीज के साथ बातचीत कर रहा है। मामले से जुड़े अधिकारियों ने ईटी को यह जानकारी दी है। खाद्य तेल और पैकेज्ड ग्रॉसरी का फॉर्च्यून ब्रांड अडानी विल्मर का ही है।भारत के इस भारी-भरकम कंज्यूमर मार्केट में निश्चित रूप से कुछ और बड़े प्लेयर्स आ सकते हैं। लेकिन इतने सारे दिग्गज ग्रुप्स की उपस्थिति का मतलब है तगड़ा कंपटीशन। यह विभिन्न बिजनस सेगमेंट्स के लिए एक घमासान लड़ाई के समान है। इंडिपेंडेंस का मुकाबला खाद्य तेल, अनाज और दालों में अदानी विल्मर से, बिस्कुट, खाद्य तेल, पैकेज्ड आटा में पतंजलि फूड्स से, बिस्कुट में पारले और ब्रिटानिया से, दालों, पैकेज्ड पानी में टाटा कंज्यूमर से और पैकेज्ड आटा, बिस्कुट में आईटीसी से है।