आखिर क्या है चुनाव के लिए अखिलेश यादव का नया दाव?

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आज हम आपको अखिलेश यादव का चुनाव के लिए अपनाया गया नया दाव बताने वाले हैं! लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर समाजवादी पार्टी की प्रत्याशियों की पहली लिस्ट सामने आ चुकी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 16 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में पत्नी डिंपल यादव, चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव के टिकट फाइनल कर दिए हैं। वहीं बसपा और कांग्रेस से आए कुछ नेताओं को भी टिकट का उपहार मिला है। प्रत्याशी ऐलान के अखिलेश के इस कदम को एक तरफ इंडिया गठबंधन की आपसी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ इस ऐलान को कहीं न कहीं भाजपा के दांव से उस पर ही मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश से भी जोड़ा जा रहा है। पहले बात करते हैं इंडिया गठबंधन की। समाजवादी पार्टी की लिस्ट पर नजर डालें तो इस लिस्ट में कुछ ऐसे नेताओं को भी टिकट दिया गया है, जो कुछ समय पहले कांग्रेस छोड़कर पार्टी में पहुंचे हैं। इनमें अन्नू टंडन का नाम सबसे ऊपर है। अन्नू टंडन पुरानी कांग्रेसी मानी जाती हैं। उन्नाव से वह सांसद भी रह चुकी हैं। हालांकि इस सीट पर अब भाजपा के साक्षी महाराज सांसद हैं। 2019 के लाेकसभा चुनाव में अन्नू टंडन कांग्रेस से प्रत्याशी थीं और तीसरे स्थान पर रही थीं। समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। अब अन्नू टंडन को सपा से टिकट मिला है। इसी तरह अकबरपुर लोकसभा सीट से सपा ने राजाराम पाल को प्रत्याशी बनाया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजाराम कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे। वह तीसरे नंबर पर रहे थे। उस चुनाव में ये सीट सपा-बसपा गठबंधन के तहत बसपा के खाते में गई थी। बसपा दूसरे नंबर पर रही थी और जीत भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले की हुई थी।

इसी तरह से समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को झटका देते हुए फर्रूखाबाद से डॉ नवल किशोर शाक्य को प्रत्याशी बना दिया है। फर्रूखाबाद सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद चुनाव लड़ते रहे हैं। 2019 में सलमान खुर्शीद तीसरे स्थान पर रहे थे। इस सीट पर भी गठबंधन के तहत बसपा ने मनोज अग्रवाल को टिकट दिया था, जो दूसरे नंबर रहे थे। भाजपा के मुकेश राजपूत ने यहां से जीत दर्ज की थी। इसी तरह से कांग्रेस लखनऊ लोकसभा सीट पर भी हर बार जोर लगाती रही है। पिछली बार प्रमोद कृष्णम को यहां से प्रत्याशी बनाया गया था। लेकिन काफी कोशिश के बाद भी कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर रही थी। पिछली बार सपा-बसपा गठबंधन के तहत इस सीट पर सपा ने पूनम सिन्हा को मैदान में उतारा था लेकिन वह भी दूसरे स्थान पर ही रही थीं। इस बार समाजवादी पार्टी ने आगे बढ़ते हुए पहले ही रविदास मेहरोत्रा काे प्रत्याशी ऐलान कर दिया है। अब देखना ये होगा कि क्या कांग्रेस इन्हें समर्थन देती है?

ये ताे रही इंडिया गठबंधन की बात भाजपा की बात करें तो वह प्रत्याशियों का ऐलान हमेशा से पहले करती रही है। हाल ही में हुए राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही देखने को मिला था, जब भाजपा ने छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश चुनाव में पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर मनोवैज्ञानिक बढ़त ले ली थी। यूपी में वैसे तो बहुजन समाज पार्टी का सबसे पहले प्रत्याशियों के ऐलान का इतिहास रहा है। कई बार तो ये स्थिति देखी गई जब चुनाव के कई महीने पहले ही प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया और चुनाव आते-आते दो बार टिकट बदल भी दिया गया। इसी तरह अकबरपुर लोकसभा सीट से सपा ने राजाराम पाल को प्रत्याशी बनाया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजाराम कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे। वह तीसरे नंबर पर रहे थे। उस चुनाव में ये सीट सपा-बसपा गठबंधन के तहत बसपा के खाते में गई थी। बसपा दूसरे नंबर पर रही थी और जीत भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले की हुई थी।लेकिन पिछले कुछ चुनावों से बसपा का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। इस बार समाजवादी पार्टी ने आगे बढ़ते हुए पहले ही रविदास मेहरोत्रा काे प्रत्याशी ऐलान कर दिया है। अब देखना ये होगा कि क्या कांग्रेस इन्हें समर्थन देती है?इसका सीधा असर टिकट बंटवारे में भी देखने को मिलता रहा है। बहरहाल, जानकारों के अनुसार अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में सबसे पहले टिकट का ऐलान कर सभी दलों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करने की कोशिश जरूर की है। अब इसका कितना लाभ चुनाव में मिलेगा ये देखने वाली बात है।