यह सवाल उठना लाजिमी है कि भारत पर हुए हमले को क्या भारत झेल पाएगा या नहीं! ईरान ने एकसाथ सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों से इजरायल पर हमला बोल दिया। हालांकि, गिनती की कुछ मिसाइलों के सिवा ईरान का एक भी हमला कामयाब नहीं हो सका। ईरान के एकमुश्त हमलों को नाकामयाब बनाने का श्रेय इजरायल के ‘आयरन डोम’ को जाता है। आयरन डोम इजरायल का वह कवच है जो आसमान से आने वाले घातक से घातक हथियारों को पहचानकर नेस्तनाबूद कर देता है। एक विदेशी पत्रकार ने सोशल मीडिया एक्स पर ईरानी हमलों के खिलाफ आयरन डोम की सफलता की गाथा लिखी है। उन्होंने बताया, ‘इजरायल की आयरन डोम एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम कमाल का है। इसने इजरायल पर ईरान से आई 331 मिसाइलों और ड्रोन में से सभी 185 कामिकेज ड्रोन को मार गिराया। इसने 110 बैलिस्टिक मिसाइलों में से 103 को मार गिराया। साथ ही, सभी 36 क्रूज मिसाइलों को भी मार गिराया। सिर्फ 7 बैलिस्टिक मिसाइलों का ही असर इजराइली क्षेत्र पर हुआ।’ इस पर भारतीय उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इजरायल के पास आयरन डोम समेत एयर डिफेंस बाकी सिस्टम्स भी गिना दिए। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘इजरायल के पास आयरन डोम से भी ज्यादा है। उनके पास डेविड स्लिंग नामक एक लंबी दूरी का इंटरसेप्शन सिस्टम है। उनके पास एरो 2 और 3 सिस्टम भी हैं। लेजर का उपयोग करने वाला आयरन बीम भी है। अभेद्य डिफेंस इंटरसेप्शन सिस्टम होना आज आक्रामक हथियारों के जखीरे जितना ही महत्वपूर्ण है।’ महिंद्रा ने भारत में भी बेहद ताकतवर डिफेंस सिस्टम पर फोकस और खर्च बढ़ाने की जरूरत बताई है।
महिंद्रा का कहना सौ फीसदी सही है। भारत भी इजरायल जैसे ही चीन-पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से घिरा है। दोनों ही पड़ोसी देश परमाणु हथियारों से लैस हैं। हमारे पास भी परमाणु हथियार हैं। दरअसल, परमाणु हथियार युद्ध को एक सीमा तक सीमित रखने के लिए होते हैं ताकि संपूर्ण विनाश की नौबत नहीं आए। यही वजह है कि दुश्मन के हमलों को निष्प्रभावी करना ही सर्वोच्च प्राथमिकता होती है, उनके इलाकों में ज्यादा से ज्यादा तबाही मचाना दूसरी। यह स्वाभाविक ही है कि युद्ध की परिस्थिति में दुश्मन को नुकसान पहुंचाने से ज्यादा जरूरी खुद का बचाव करना है। तो सवाल है कि क्या भारत इसके लिए तैयार है? क्या भारत के पास भी आयरन डोम जैसा कोई एयर डिफेंस सिस्टम है जो दुश्मन के हथियारों को हवा में ही मार गिराए?
भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम एक दोहरी प्रणाली है जिसमें दो भूमि और समुद्र आधारित इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं। पृथ्वी वायु रक्षा PAD मिसाइल हाई अल्टिट्यूट पर इंटरसेप्शन जबकि उन्नत वायु रक्षा AAD मिसाइल लो अल्टिट्यूड पर इंटरसेप्शन के लिए है। यह द्वीस्तरीय ढाल 5,000 किलोमीटर दूर से छोड़ी गई किसी भी आने वाली मिसाइल को रोकने में सक्षम है। इस सिस्टम में प्रारंभिक चेतावनी और ट्रैकिंग रडार और कमांड एंड कंट्रोल पदों का एक ओवरलैपिंग नेटवर्क भी शामिल है।अब इसका नाम बदलकर प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर कर दिया गया है। इसे 50 किलोमीटर से ऊपर की ऊंचाई (एक्सो-वायुमंडलीय) पर आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एएडी के साथ भारत की द्वीस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली का हिस्सा है।
भारत के बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम का एक हिस्सा एएडी एक एंटी बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली है जिसे 15-25 किलोमीटर की ऊंचाई पर एंडो एटमॉसफेयर में आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य शहरों और रणनीतिक संपत्तियों को बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से बचाना है।
इनके अलावा, भारत आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली जैसी अन्य प्रणालियों के साथ अपनी मिसाइल रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने पर काम कर रहा है, जिसे 18 हजार मीटर तक की ऊंचाई पर 30 किमी दूर तक विमानों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।इजरायल के पास आयरन डोम से भी ज्यादा है। उनके पास डेविड स्लिंग नामक एक लंबी दूरी का इंटरसेप्शन सिस्टम है। उनके पास एरो 2 और 3 सिस्टम भी हैं। लेजर का उपयोग करने वाला आयरन बीम भी है। अभेद्य डिफेंस इंटरसेप्शन सिस्टम होना आज आक्रामक हथियारों के जखीरे जितना ही महत्वपूर्ण है। आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी निचली और मध्यम ऊंचाई पर लड़ाकू जेट, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर कर सकता है। आकाश को निचली और मध्यम ऊंचाई पर विमानों, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों से बचाव के लिए डिजाइन किया गया है। यह एक साथ कई लक्ष्यों को शामिल करने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है।