आखिर क्या है भाजपा से उम्मीदवार देवरिया के मणि परिवार की कहानी?

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आज हम आपको भाजपा से उम्मीदवार देवरिया के मणि परिवार की कहानी सुनाने जा रहे हैं! उत्तर प्रदेश की देवरिया लोकसभा सीट पर भाजपा ने लंबे इंतजार के बाद प्रत्याशी घोषित कर दिया है। पार्टी ने यहां से पूर्व सांसद जनरल श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के बेटे शशांक मणि त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है। स्वभाव से मिलनसार शशांक मणि त्रिपाठी समाजसेवी हैं। वर्तमान में वह जागृति यात्रा और जागृति एंटरप्राइज सेंटर-पूर्वांचल के संस्थापक हैं। शशांक मणि त्रिपाठी के पिता श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने ही 1996 में देवरिया लोकसभा सीट पर पहली बार कमल खिलाया था। कांग्रेस सपा गठबंधन ने यहां से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह को टिकट दिया। जबकि बसपा ने अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। देवरिया जिले के बरपार गांव के मूल निवासी शशांक मणि त्रिपाठी का पारिवारिक बैकग्राउंड काफी मजबूत है। इनके बाबा पंडित सूरत नारायण मणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस रहे हैं। वह कई जिलों के डीएम, काशी विद्यापीठ वाराणसी के वाइस चांसलर और गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्थापक रहे हैं। वह विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं। शशांक के पिता श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी भारतीय थल सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रहे हैं। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली और 1996 में देवरिया लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर सांसद बने। देवरिया सीट की राजनीति में पहली बार उन्होंने ही भाजपा को जीत दिलाकर कमल खिलाया था।

शशांक मणि के परिवार की गिनती प्रदेश के सम्मानित परिवारों में होती है। शशांक मणि त्रिपाठी के चाचा श्रीनिवास मणि त्रिपाठी देवरिया जिले की गौरी बाजार सीट से विधायक रहे हैं। उनकी पहचान तेजतर्रार हिन्दूवादी नेता के रूप में रही है। मणि के तीसरे चाचा श्रीविलास मणि त्रिपाठी आईपीएस अधिकारी रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी भी रह चुके हैं। इनके कई रिश्तेदार भी प्रदेश और केंद्र में अच्छे पदों पर नियुक्त है। शशांक मणि त्रिपाठी ने अपनी स्कूली शिक्षा लखनऊ के कॉल्विन तालुकदार कॉलेज से पूरी की। बाद में उन्होंने आईआईटी दिल्ली से बी.टेक. की डिग्री हासिल की और आईएमडी लुसेन से एमबीए किया है। बैकग्राउंड काफी मजबूत है। इनके बाबा पंडित सूरत नारायण मणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस रहे हैं। वह कई जिलों के डीएम, काशी विद्यापीठ वाराणसी के वाइस चांसलर और गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्थापक रहे हैं। वह विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं।वर्तमान में वह जागृति यात्रा और जागृति इंटरप्राइजेज के चेयरमैन है। शशांक मणि की पहचान इलाके में समाजसेवी और मिलनसार नेता की है। इनको टिकट मिलने पर देवरिया जिले के भाजपा समर्थकों में खुशी की लहर है।

देवरिया लोकसभा सीट से 2019 में भाजपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी को टिकट दिया था। रमापति राम त्रिपाठी चुनाव जीत कर सांसद भी बने। मगर पार्टी ने इस बार उनका टिकट काटकर शशांक मणि त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस सपा गठबंधन ने यहां से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह को टिकट दिया। जबकि बसपा ने अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। देवरिया जिले के बरपार गांव के मूल निवासी शशांक मणि त्रिपाठी का पारिवारिक बैकग्राउंड काफी मजबूत है। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली और 1996 में देवरिया लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर सांसद बने। देवरिया सीट की राजनीति में पहली बार उन्होंने ही भाजपा को जीत दिलाकर कमल खिलाया था।इनके बाबा पंडित सूरत नारायण मणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस रहे हैं।

वह कई जिलों के डीएम, काशी विद्यापीठ वाराणसी के वाइस चांसलर और गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्थापक रहे हैं। बैकग्राउंड काफी मजबूत है। इनके बाबा पंडित सूरत नारायण मणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस रहे हैं। बता दें कि देवरिया जिले के बरपार गांव के मूल निवासी शशांक मणि त्रिपाठी का पारिवारिक बैकग्राउंड काफी मजबूत है। इनके बाबा पंडित सूरत नारायण मणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस रहे हैं। वह कई जिलों के डीएम, काशी विद्यापीठ वाराणसी के वाइस चांसलर और गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्थापक रहे हैं। वह कई जिलों के डीएम, काशी विद्यापीठ वाराणसी के वाइस चांसलर और गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्थापक रहे हैं। वह विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं। विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं।कांग्रेस सपा गठबंधन के तहत देवरिया लोकसभा सीट कांग्रेस को मिली है कांग्रेस नेहा से राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह को टिकट दिया है, जबकि बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।