हाल ही में दिल्ली के 100 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकियां मिली थी! दिल्ली-एनसीआर के दर्जनों स्कूलों में अफरा-तफरी मची है। इन स्कूलों में बम रखे होने के ईमेल मिले हैं। प्रशासन जांच में जुटा है तो पैरेंट्स परेशान हैं। ठीक पांच महीने पहले 1 दिसंबर, 2023 को बेंगलुरु और आसपास के जिलों के 60 स्कूलों में बम होने के ईमेल भेजे गए थे। तब भी ऐसी ही अफरा-तफरी मची थी। आखिर बच्चों से बढ़कर क्या है दुनिया में! खतरे की दूर-दूर की आशंका भी पैरेंट्स को पैनिक करने के लिए काफी होती है। फिर यहां तो बम की धमकी मिली। स्कूलों की तरह कभी एयर पोर्ट्स पर तो कभी हवाई जहाज में, कभी रेलवे स्टेशन पर तो कभी ट्रेन में, यहां तक कि राजभवन में बम होने की सूचनाएं दी जाती हैं। कई बार धमकियां मिलती हैं कि ऐसा करो वरना बम से उड़ा देंगे। यह अलग बात है कि ऐसी ईमेल और धमकियां अक्सर फर्जी ही साबित होते हैं, लेकिन यह तो सच है कि हर बार हड़कंप मचता है और सांसें अटक जाती हैं। सवाल है कि लोगों में दहशत फैलाने की ऐसी घिनौनी मानसिकता आती कहां से है और ऐसे लोगों पर क्या शिकंजा कसा भी जाता है? इसी वर्ष जनवरी में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे आईजीआई एयरपोर्ट के कंट्रोल रूम में कॉल आई। कॉलर ने धमकी दी कि दरभंगा से दिल्ली आने वाली स्पाइसजेट की फ्लाइट में बम रख दिया गया है। इसके बाद एयरपोर्ट पर फुल इमर्जेंसी घोषित कर दिया गया।
पिछले वर्ष दिसंबर महीने में रात 11.30 बजे राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए कंट्रोल रूम को एक अनजान कॉल आई। कॉलर ने कहा कि उसने राजभवन में बम रखा है। पिछले वर्ष अगस्त महीने तक मुंबई पुलिस कंट्रोल रूम को 32 हॉक्स कॉल्स मिली थीं। इन मामलों में मुंबई पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया था। एक गिरफ्तार आरोपी ने अकेले पांच महीनों में 89 कॉल्स की थी। 2021 के जनवरी-फरवरी महीने में नोएडा में बम की सूचना दी गई। जहां बम होने की बात कही गई थी, वहां पुलिस और बम निरोधक दस्ते ने जांच की तो वहां से पटाखे मिले जिसे इस तरह से बांधकर रखा गया था कि बम की तरह दिखे। तब एक महीने के अंदर तीन फर्जी कॉल्स आए थे जिनमें विभिन्न अस्पतालों को निशाना बनाए जाने की बात कही गई थी।
ऊपर की घटनाओं से साफ है कि फर्जी कॉल के जरिए हड़कंप मचाने की वारदातें आम हो गई हैं। हर साल दर्जनों, सैकड़ों हॉक्स कॉल्स के जरिए अलग-अलग जगहों पर पैनिक क्रिएट किया जाता है। हर बार पुलिस-प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी होती है। उनका बड़ा रिसोर्स फर्जीवाड़े से निपटने में लगता है तो स्कूल या कोई सार्वजनिक जगहों पर बम जैसी अफवाहों से आम लोगों की भी धड़कनें तेज हो जाती हैं। प्रशासन सूचना या धमकी मिलने के बाद दो तरह से इंगेज होता है। एक तो उसे तुरंत संबंधित स्थल पर तलाशी लेनी होती है, भीड़ का मैनेजमेंट करना होता है तो दूसरी तरफ उसे फर्जी कॉल करने वालों तक पहुंचने के लिए भी लंबी प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।
कई बार प्रशासन दहशत फैलाकर मजा लेने वाले सनकियों तक पहुंच भी जाता है, लेकिन अक्सर छोटे-मोटे मामलों में हीला-हवाली भी हो जाती है। लेकिन बुधवार को जिस तरह दिल्ली-एनसीआर में हड़कंप मचाया गया, वह तो हद से बहुत आगे का मामला है। अगर ऐसी घटनाएं बार-बार हुईं तो न केवल शासन-प्रशासन के लिए चुनौतियां बढ़ेंगी बल्कि आम लोगों के मन में आशंका के बादल घने होने लगेंगे।पांच महीनों में 89 कॉल्स की थी। 2021 के जनवरी-फरवरी महीने में नोएडा में बम की सूचना दी गई। जहां बम होने की बात कही गई थी, वहां पुलिस और बम निरोधक दस्ते ने जांच की तो वहां से पटाखे मिले जिसे इस तरह से बांधकर रखा गया था देश ने पिछले 10 वर्षों में जगह-जगह बम विस्फोट की वारदातों की आशंका से छुटकारा पाया है, अब ऐसी फर्जी कॉल्स से दहशत का वही मंजर क्रिएट किया जाने लगा है। जरूरी है कि हॉक्स कॉल्स करने वाली सनकियों से भी आतंकियों जैसे ही निपटा जाए क्योंकि दोनों की मंशा एक ही होती है- ज्यादा से ज्यादा दहशत फैलाना। असल में बम रखा जाए और वह फट भी जाए तो जितना दहशत फैलता है, उससे कम खौफ फर्जी कॉल्स से नहीं फैलता। इसलिए वक्त आ गया है कि ऐसे सनकियों को पाताल से भी ढूंढकर निकाला जाए और उन्हें ऐसी सजा दी जाए कि दूसरा कोई ऐसी सनक पालने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।