आखिर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को क्यों कहा पिंजरे का तोता?

0
90

एक समय ऐसा था जब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे का तोता कहा था! कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आए ही थे। कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था। वह जीत के जश्‍न में झूम रही थी। तभी सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले में तल्‍ख टिप्‍पणी कर उसका पूरा नशा उतार दिया था। कोयला घोटाले की सुनवाई के दौरान उसने सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट देखने पर अदालत तमतमा गई थी। स्टेटस रिपोर्ट में सरकार की ओर से किए गए बदलाव से उसका भाव ही बदल गया था। यूपीए का दूसरा कार्यकाल था और अश्विनी कुमार थे कानून मंत्री। उनके कहने पर ही स्‍टेटस रिपोर्ट में बदलाव किया गया था। कोर्ट इस बात से इतना नाराज हुआ था कि उसे सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता तक कहना पड़ गया था। अश्विनी कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्‍तीफा दे द‍िया। तब सीबीआई ने कोर्ट में एक हलफनामा सौंपा था। इसमें केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया था कि कोयला घोटाले की पड़ताल कर रही स्‍क्रीनिंग कमेटी ने कुछ चार्ट बनाए थे। अश्विनी कुमार ने इन्‍हें हटवा दिया था। उन्‍होंने जांच के संबंध में कुछ वाक्‍यों को भी बदलवाया था। कोलगेट घोटाले में जांच पर सौंपे गए सीबीआई के हलफनामे को पढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट बुरी तरह से नाराज हो गया था। उसने कहा था कि सरकार के सुझाव पर सीबीआई ने घोटाले की रिपोर्ट का सार बदला। तब रंजीत सिन्‍हा सीबीआई के डायरेक्‍टर थे। स्टेटस रिपोर्ट में कानून मंत्री अश्विनी कुमार और अन्य अधिकारियों की ओर से बदलाव किए जाने से सुप्रीम कोर्ट बहुत नाराज हो गया था। गुस्‍से में उसने कहा था कि सीबीआई का काम जांच करना है न कि अलग-अलग मंत्रालयों में जाकर रिपोर्ट दिखाना। कोर्ट ने सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। जस्टिस आरएम लोढ़ा की अगुआई वाली बेंच इस केस की सुनवाई कर रही थी। उसने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता तक कह डाला था। बेंच ने कहा था कि सीबीआई डायरेक्टर के हलफनामे से साबित होता है कि उसके कई मालिक हैं और वह सबसे आदेश लेती है।

कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा तब कहा था कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की तरह है और वही दोहराती है, जो उसके मालिक कहते हैं। अदालत ने पूछा था कि सरकार बताए कि वो सीबीआई की आजादी सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी? कोर्ट ने तब कोयला घोटाले के जांच अधिकारी उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) रवि कांत मिश्रा को आईबी से वापस सीबीआई में भेजने के लिए केंद्र से तुरंत कदम उठाने को भी कहा था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि कोयला घोटाले की जांच कर रहे अधिकारी बाहर के किसी आदमी को रिपोर्ट नहीं कर सकते। न मंत्री, न अफसर और न ही सरकारी वकील रिपोर्ट देख सकते हैं।

पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सुबह इस्तीफा भेजा। उन्‍होंने कहा कि वो पार्टी से बाहर रहकर देश के लिए बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं। उन्होंने अपने इस्‍तीफे में कहा, ‘मैं 46 साल के लंबे जुड़ाव के बाद पार्टी से अलग हो रहा हूं। आशा करता हूं कि ऐसे परिवर्तनकारी नेतृत्व से प्रेरित होकर जनता के लिए अतिसक्रियता से काम करता रहूंगा जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की ओर से दी गई उदारवादी लोकतंत्र की उच्च प्रतिबद्धता की परिकल्पना आधारित हो।’ उन्होंने अतीत में मिली जिम्मेदारियों के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का आभार प्रकट किया और उनकी अच्छी सेहत की कामना की।

वरिष्ठ वकील मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में कानून मंत्री थे। वह 2002 से 2016 तक तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे। वह अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल भी रह चुके हैं। कुमार ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए 20 फरवरी को होने वाले मतदान से कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा दिया है। इससे पहले 25 जनवरी को पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। अश्विनी कुमार का नाम अभी अब कांग्रेस छोड़ने वाले उन प्रमुख नेताओं की फेहरिस्त में जुड़ गया है जो कभी कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका में माने जाते थे। इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए तो लुईजिन्हो फलेरियो, सुष्मिता देव और अशोक तंवर जैसे कुछ नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया।