हाल ही में आईसीएमआर द्वारा होने वाली बीमारियों को लेकर एक बयान दिया गया है! आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में स्वास्थ्य का ध्यान रखना हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। इसमें आपके खान-पान का भी अहम रोल होता है। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) ने करीब 13 साल के अंतराल पर भारतीयों के लिए भोजन संबंधी गाइडलाइंस को संशोधित किया है। एनआईन ने वैज्ञानिक निष्कर्षों, जीवनशैली में बदलाव, बीमारियों और खान-पान की आदतों को ध्यान में रखते हुए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए है। इसमें भारतीय लोगों को कम तेल, चीनी, प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने की सलाह दी गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बुधवार को बताया कि भारत में 56.4 फीसदी बीमारियों का कारण अनहेल्थी खाने का सेवन करना है। आईसीएमआर ने आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने, मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचने के लिए 17 प्रकार के भोजन का सेवन के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं। आईसीएमआर के तहत कार्यरत राष्ट्रीय पोषण संस्थान एनआईएन ने कहा कि पोषक तत्वों से भरपूर आहार खाने से हृदय संबधित बीमारियों और हाई ब्लड प्रेशन को काफी हद तक कम किया जा सकता है और डायबिटीज से भी बचा जा सकता है।
आईसीएमआर ने कहा कि ‘स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से समय से पहले होने वाली मौत को रोका जा सकता है। एनआईएन ने कम नमक खाने, तेल और वसा का कम मात्रा में उपयोग करने, उचित व्यायाम करने, चीनी और जंक फूड को कम खाने का आग्रह किया है। उसने मोटापे को रोकने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का सेवन करने की सलाह दी है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने भारतीयों को प्रतिदिन 20 से 25 ग्राम चीनी (एक चम्मच लगभग 5.7 ग्राम) का ही सेवन करने की सलाह दी है। इसके साथ ही प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने और तेल का इस्तेमाल कम करने की भी सलाह दी गई है। इसके साथ ही संस्थान ने एयर-फ्राइंग और ग्रेनाइट-कोटेड कुकवेयर को बढ़ावा देने की बात कही है।
NIN ने पहली बार पैकेज्ड फूड लेबल की व्याख्या के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए। ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बुधवार को संशोधित गाइडलाइंस जारी किए। इसमें मुख्य रूप से जो सुझाव दिए गए हैं उनमें खाना पकाने के तेल का इस्तेमाल कम करना बेहद अहम है। वैसे भी नट्स, तिलहन और सी-फूड्स के माध्यम से जरूरी फैटी एसिड मिल जाता है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को लेकर भी गाइडलाइंस दिए गए हैं।
राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) की ओर से 13 साल के अंतराल पर संशोधित आहार संबंधी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बचना ही बेहतर है। इनके फायदे जोखिमों के अनुरूप नहीं हैं। प्रोटीन पाउडर अंडे, डेयरी दूध या सोयाबीन, मटर और चावल जैसे सोर्स से बनाए जाते हैं। एनआईएन ने कहा कि ‘प्रोटीन पाउडर में अतिरिक्त शर्करा, नॉन-कैलोरी स्वीटनर और आर्टिफिशियल फ्लेवर जैसे एडिटिव भी हो सकते हैं। ऐसे में प्रोटीन पाउडर का नियमित इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जा सकती।
एनआईएन ने कहा कि ब्रांच्ड-चेन एमिनो एसिड से भरपूर प्रोटीन गैर-संचारी रोगों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में हाई लेवल प्रोटीन का खास तौर पर सप्लीमेंट पाउडर के रूप में इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जा सकती है। रिसर्च के निष्कर्ष बताते हैं कि स्वस्थ युवाओं में लंबे समय तक रजिस्टेंस एक्सरसाइज ट्रेनिंग (RET) के दौरान डायट प्रोटीन मांसपेशियों की ताकत और आकार में केवल एक छोटी सी बढ़ोतरी से जुड़े हुए हैं। 1.6 ग्राम/किलोग्राम शरीर के वजन/दिन से अधिक प्रोटीन का सेवन आरईटी से जुड़े फायदे में और योगदान नहीं करता है।
गाइडलाइंस तैयार करने वाली समिति की अध्यक्ष, एनआईएन निदेशक डॉ. हेमलता आर ने कहा कि बच्चों को लेकर रिसर्च में चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों का एक बड़ा हिस्सा खराब पोषण की स्थिति से पीड़ित है। इसके साथ ही, अधिक वजन और मोटापा भी बढ़ रहा है, जिससे कुपोषण का दोहरा बोझ पैदा हो रहा। प्रोटीन पाउडर अंडे, डेयरी दूध या सोयाबीन, मटर और चावल जैसे सोर्स से बनाए जाते हैं। एनआईएन ने कहा कि ‘प्रोटीन पाउडर में अतिरिक्त शर्करा, नॉन-कैलोरी स्वीटनर और आर्टिफिशियल फ्लेवर जैसे एडिटिव भी हो सकते हैं। ऐसे में प्रोटीन पाउडर का नियमित इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जा सकती।कुपोषण और मोटापा दोनों एक ही समुदाय और घरों में नजर आ रहे हैं। अनुमान बताते हैं कि भारत में बीमारी को लेकर 56.4 फीसदी अनहेल्थी डाइट ही प्रमुख वजह है। स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि कोरोनरी हृदय की बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर के अनुपात को कम कर सकती है।