क्या जाट आरक्षण से सीएम भजनलाल के राज्य में आ सकता है सियासी फ़ेर?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जाट आरक्षण से सीएम भजनलाल के राज्य में सियासी फ़ेर सकता है या नहीं! राजस्थान में लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही समीकरणों की जोड़, गुणा, भाग की गणित लगाने में जुटी हुई है। इस बीच राजस्थान की भरतपुर और धौलपुर करौली लोकसभा सीट काफी सुर्खियों में है। दोनों ही सीटें जाट बाहुल्य हैं लेकिन इस बार जाट आरक्षण आंदोलन की आग ने दोनों सीटों की समीकरणों को प्रभावित किया है। इसमें अब मुख्यमंत्री भजनलाल के गृह जिले भरतपुर के चुनाव परिणाम को लेकर सियासत की नजरें बेसब्री से रुक गई हैं। इस चुनाव में जाट समाज ने आरक्षण की मांग नहीं मानने पर बीजेपी को हराने का अभियान चलाया। ऐसी स्थिति में राजस्थान की भरतपुर और धौलपुर की समीकरणों को जाट समाज ने नहीं बिगाड़ दिया हो, इसको लेकर बीजेपी की चिंता बढ़ी हुई है। राजस्थान की भरतपुर और धौलपुर लोकसभा सीट जाट समाज के बाहुल्य क्षेत्र की हैं। ऐसे में सियासी चर्चा है कि जाट आरक्षण के आंदोलन को देखते हुए दोनों लोकसभा सीटों पर चुनाव परिणाम प्रभावित होने के आसार हैं। जाट आरक्षण समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया कि भजनलाल सरकार ने समाज के साथ वादा खिलाफी की है। इसके कारण समाज ने गांव-गांव घूम कर बीजेपी को हराने का संकल्प लिया। इस दौरान समाज ने धौलपुर और भरतपुर में कांग्रेसी उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन भी दिया है। ऐसे में चर्चा है कि दोनों ही सीटों पर कांग्रेस को जाट आरक्षण के आंदोलन का फायदा मिल सकता है। इस स्थिति में सियासत में धौलपुर और भरतपुर की सीट पर कांग्रेस को काफी मजबूत माना जा रहा है। इधर, फौजदार का दावा है कि दोनों सीटों पर कांग्रेस इस बार जीत हासिल करेगी।

भरतपुर लोक सभा क्षेत्र राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृह जिला है। ऐसे में भरतपुर लोकसभा सीट को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल की भी प्रतिष्ठा दाव पर है। हालांकि, भरतपुर लोकसभा सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां से बीजेपी की तरफ से रामस्वरूप कोली और कांग्रेस की संजना जाटव के बीच जोर आजमाइश हुई। इधर, जाट बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण भरतपुर सीट पर जाट आरक्षण का प्रभाव देखने को मिल सकता है। जाट समाज ने आरक्षण को लेकर यहां गांवों में घूम-घूम कर बीजेपी को हराने का संकल्प दिलाया है। ऐसे में 4 जून को आने वाले चुनाव परिणाम में जाट समाज की भूमिका के कारण बीजेपी के लिए मुसीबत बढ़ सकती है।

जाट आरक्षण समिति के आंदोलन पर संयोजक नेम सिंह फौजदार की अगवाई में भजनलाल सरकार के साथ कमेटी की जयपुर और दिल्ली में वार्ता हुई। इस दौरान समाज को आरक्षण दिए जाने का आश्वासन दिया, लेकिन जाट समाज लोकसभा चुनाव से पहले अपनी मांगे मानने के लिए अड़ा हुआ था। जब समाज की मांग पूरी नहीं हुई, तो जाट समाज की ओर से ऑपरेशन गंगाजल अभियान चलाया गया। जिसके तहत समाज ने धौलपुर, भरतपुर, करौली समेत क्षेत्रों में गांव-गांव घूम कर लोगों को हथेली पर गंगाजल लेकर बीजेपी को वोट नहीं देने की सौगंध दिलाई। इस दौरान जाट समाज ने कांग्रेस के प्रत्याशियों के पक्ष में जाट समाज को प्रेरित भी किया।

जाट आरक्षण का मुद्दा इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को काफी प्रभावित कर सकता हैं। इस दौरान राजस्थान में धौलपुर और भरतपुर के अलावा भी यह मुद्दा राजस्थान से सटी हुई हरियाणा और उत्तर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर अपना असर दिखा सकता हैं, क्योंकि भरतपुर धौलपुर जाट समाज की रिश्तेदारी इन क्षेत्रों में भी हैं। इसको लेकर आरक्षण समिति के संयोजक नेमसिंह फौजदार ने बताया कि उन्होंने आरक्षण के मुद्दों को लेकर मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, फतेहपुर सिकरी और हरियाणा की 10 सीटों पर लोगों से संपर्क किया। ऐसे में उन्होंने उम्मीद जताई है कि इन सीटों पर बीजेपी को जाट समाज का विरोध झेलना पड़ेगा। समाज ने गांव-गांव घूम कर बीजेपी को हराने का संकल्प लिया। इस दौरान समाज ने धौलपुर और भरतपुर में कांग्रेसी उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन भी दिया है। ऐसे में चर्चा है कि दोनों ही सीटों पर कांग्रेस को जाट आरक्षण के आंदोलन का फायदा मिल सकता है। इस स्थिति में सियासत में धौलपुर और भरतपुर की सीट पर कांग्रेस को काफी मजबूत माना जा रहा है।उनका अनुमान हैं कि बीजेपी को इन सीटों से हार का सामना करना पड़ सकता हैं। उन्होंने दावा किया है कि भरतपुर, धौलपुर के अलावा देश के आठ राज्यों में भी जाट समाज के आरक्षण का मुद्दा व्यापक असर दिख रहा हैं।