आखिर किसके हाथों होता है परमाणु बम का पावर?

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आज हम आपको बताएंगे कि आखिर परमाणु बम का पावर किसके हाथों होता है! कांग्रेस पार्टी अगर सत्ता में आ गई तो परमाणु बम को डिफ्यूज कर देगी।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस की सोच इतनी खतरनाक हो गई है कि वो आर्टिकल 370 को वापस लाने और नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) को खत्म करना चाहती है। हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस पार्टी चाहती है कि भारत गरीब बना रहे, लोग समस्याओं से घिरे रहें। इसलिए वो दोबारा पुरानी स्थिति ही वापस लाना चाहती है।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया है कि सत्ता में आने पर वह परमाणु क्षमता को खत्म कर देगी जिससे हमारा देश कमजोर हो जाएगा। आइए जानते हैं कि देश में परमाणु हथियारों का प्रबंधन कैसे होता है और क्या कोई सरकार परमाणु हथियारों को नष्ट करने का फैसला ले सकती है? भारत में परमाणु हथियारों का प्रबंधन और संचालन मुख्य रूप से परमाणु कमान प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। NCA की स्थापना 2003 में की गई थी और यह भारत के परमाणु हथियारों के कमान, नियंत्रण और संचालन के निर्णयों के लिए सर्वोच्च निकाय है।

इस परिषद की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार  करते हैं। यह राजनीतिक परिषद को निर्णय लेने के लिए इनपुट प्रदान करता है और राजनीतिक परिषद द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू करता है। संचालित पनडुब्बियां INS अरिहंत और INS अरिघात हैं। ये पनडुब्बियां K-15 मिसाइल से लैस हैं। भारत एक नई पनडुब्बी S-5 क्लास का निर्माण भी कर रहा है। इस पनडुब्बी में आठ मिसाइलें होंगी और इसमें K-4 मिसाइल को इस्तेमाल किया जा सकता है। K-4 की सीमा 3,500 किलोमीटर है, और यह चीन को लक्ष्य बनाने में सक्षम है।परमाणु हथियारों के प्रबंधन और दैनिक संचालन की जिम्मेदारी रणनीतिक बल कमान की होती है, जो एनससीए के तहत काम करता है। एसएफसी परमाणु बलों की तैनाती, रखरखाव और संचालन की तत्परता के लिए जिम्मेदार होता है। यानी, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एनसीए परमाणु हथियारों के निर्णय लेने वाली फाइनल अथॉरिटी है। हालांकि, वास्तविक प्रबंधन और संचालन की जिम्मेदारी एसएफसी के पास है।

बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ ने 2022 में भारत के परमाणु हथियारों के खजाने पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें अनुमान लगाया था कि भारत के पास कम-से-कम 160 परमाणु हथियार हैं जिनमें जल, थल और नभ, तीनों से मार करने की क्षमता है। रिपोर्ट कहती है कि भारत परमाणु हथियारों के लिए एक त्रि-स्तरीय वितरण प्रणाली विकसित कर रहा है, जिसमें हवाई, जमीन और समुद्री प्रक्षेपण प्रणालियां शामिल हैं। भारत की विभिन्न जमीन से प्रक्षेपण प्रणालियों में अग्नि-I, अग्नि-II, अग्नि-III, अग्नि-IV और अग्नि-V शामिल हैं। अग्नि-V मिसाइल, जिसकी सीमा 5,000 किलोमीटर है, चीन को अपने दायरे में लाती है।

भारत के परमाणु हथियारों के लिए मिराज 2000H और जगुआर विमानों को भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, जगुआर विमान पुराने होते जा रहे हैं और उन्हें जल्द ही सेवा से सेवानिवृत्त किया जा सकता है। भारत ने राफेल विमान खरीदे हैं और उन्हें परमाणु हमले के लिए उपयोग किया जा सकता है। भारत के पास दो परमाणु-संचालित पनडुब्बियां INS अरिहंत और INS अरिघात हैं। ये पनडुब्बियां K-15 मिसाइल से लैस हैं। भारत एक नई पनडुब्बी S-5 क्लास का निर्माण भी कर रहा है। इस पनडुब्बी में आठ मिसाइलें होंगी और इसमें K-4 मिसाइल को इस्तेमाल किया जा सकता है। K-4 की सीमा 3,500 किलोमीटर है, और यह चीन को लक्ष्य बनाने में सक्षम है।

भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव लगातार बना रहता है। दोनों देशों के साथ बार-बार झड़पें होती रही हैं और परमाणु युद्ध का खतरा हमेशा बना रहता है। बता दें कि यह राजनीतिक परिषद को निर्णय लेने के लिए इनपुट प्रदान करता है और राजनीतिक परिषद द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू करता है। परमाणु हथियारों के प्रबंधन और दैनिक संचालन की जिम्मेदारी रणनीतिक बल कमान की होती है, जो एनससीए के तहत काम करता है। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद तनाव का एक मुख्य कारण है। भारत परमाणु हथियारों के लिए एक त्रि-स्तरीय वितरण प्रणाली विकसित कर रहा है, जिसमें हवाई, जमीन और समुद्री प्रक्षेपण प्रणालियां शामिल हैं।दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर बार-बार झड़पें हुई हैं। चीन का तेजी से सैन्यीकरण भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। इस कारण, भारत अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ा रहा है।