यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर गर्मी से निजात कब मिलेगी! राजधानी दिल्ली में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक जाने की संभावना है। आम तौर पर रात का तापमान कम होता है, लेकिन इस बार रात में भी 29.2 डिग्री सेल्सियस गर्मी दर्ज की गई, जो सामान्य से 2.6 डिग्री ज्यादा है। हवा में भी बहुत ज्यादा नमी नहीं है और सुबह साढ़े आठ बजे ये 48 प्रतिशत थी। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी आसमान साफ रहने और तेज हवा चलने की चेतावनी दी है, जिससे गर्मी और बढ़ सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में अगले 3 दिनों तक गंभीर लू का प्रकोप रहने की संभावना है। इस दौरान दिन का पारा 48 डिग्री तक पहुंच सकता है। दिन के साथ रात में भी तापमान 31 डिग्री तक पहुंच सकता है। इस पूरे हफ्ते दिल्ली का अधिकतम तापमान 43 से 46 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है और न्यूनतम तापमान 29 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। हालांकि 31 मई से दिल्ली के लोगों को हल्की राहत मिल सकती है। IMD के अनुसार, 31 मई और 1 जून को दिल्ली में हल्की बरसात होने की उम्मीद है।
दरअसल ये गर्मी पूरे उत्तर और मध्य भारत में फैली हुई है। राजस्थान के फलौदी में तो रविवार को तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। ये जून 2019 के बाद से भारत में दर्ज किया गया सबसे ज्यादा तापमान है, उस समय राजस्थान के ही चूरू शहर में 50.8 डिग्री सेल्सियस गर्मी पड़ी थी। दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में तो गर्मी पड़ ही रही है, साथ ही इस बार पहाड़ों पर भी तापमान हाई है। हिमाचल प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में लू जैसी स्थिति है। हाल ही में हुए चुनावों के दौरान भी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में लोगों को बहुत गर्मी सहनी पड़ी थी। कई मतदान केंद्रों पर पानी, पंखा और कुर्सी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं थीं, जिसकी वजह से कुछ लोगों की तबीयत बिगड़ भी गई थी।
जमीन और सतह पर ज्यादा से ज्यादा निर्माण होने की वजह से दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरी इलाके गर्म हवा के चैंबर बन जाते हैं। इससे गर्मी और बढ़ जाती है। गर्म हवा शहरों के आसपास निचले वातावरण में फंस जाती है, जिससे वहां का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में गर्मी को कम करने के लिए जमीन पर पेड़-पौधे लगाना जरूरी है ताकि धूप की किरणें सोख ली जाएं और गर्मी कम हो। गर्मी ने कई शहरों में पुराने रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस, असम के सिलचर में 40 डिग्री और अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में 40.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचना सामान्य बात नहीं है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में कम से कम 17 जगहों पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा दर्ज किया गया है।
सबसे बुरा हाल राजस्थान में है, जहां तापमान 50 डिग्री तक पहुंच गया है। बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री सेल्सियस, जैसलमेर में 48 डिग्री और बीकानेर में 47.2 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। मई के आखिर तक दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भीषण गर्मी पड़ने का अनुमान है। इतना ही नहीं, हिमाचल प्रदेश, असम और मेघालय की पहाड़ियों पर भी गर्मी का सितम जारी रहने की संभावना है। हरियाणा और पंजाब भी भीषण गर्मी की चपेट में हैं, जहां तापमान सामान्य से काफी ज्यादा बढ़ गया है। हरियाणा में महेंद्रगढ़ में 47 डिग्री सेल्सियस, रोहतक में 46.7 डिग्री और हिसार में 46 डिग्री सेल्सियस गर्मी दर्ज की गई है। इसी तरह पंजाब के अमृतसर में 45.2 डिग्री और लुधियाना में 44.8 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा। दोनों राज्यों की साझा राजधानी चंडीगढ़ में भी 44.5 डिग्री सेल्सियस गर्मी पड़ी। इन इलाकों में गर्मी का कहर 29 मई तक जारी रहने का अनुमान है।
मौसम विभाग ने कई इलाकों के लिए ‘रेड’ अलर्ट जारी किया है, जिनमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। इसका मतलब है कि इन इलाकों में सभी उम्र के लोगों के लिए लू लगने और हीटस्ट्रोक का खतरा बहुत ज्यादा है। मौसम विभाग ने ये भी कहा है कि अगले चार दिनों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में रातें भी गर्म रहने वाली हैं, जिससे गर्मी का असर और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। रात में ज्यादा गर्मी होना खासतौर पर खतरनाक है क्योंकि इससे शरीर का तापमान कम नहीं हो पाता। शहरों में ये समस्या और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि कंक्रीट जंगल की वजह से वहां का तापमान आसपास के ग्रामीण इलाकों से कहीं ज्यादा बढ़ जाता है।
भीषण गर्मी का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ रहा है, इनके घरों में पंखा या कूलर चलाने के लिए बिजली नहीं होती और पीने के पानी की भी कमी होती है। गर्म हवा निकालने की सुविधा ना होने और सही मकान ना होने की वजह से गरीबों के रहने के स्थानों में गर्मी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। बाहर काम करने वाले लोगों, बुजुर्गों और बच्चों को लू लगने और हीटस्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है।