Friday, November 22, 2024
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आखिर मोदी और मुसलमान का कैसा है रिश्ता?

आज हम आपको बताएंगे कि मोदी और मुसलमान का रिश्ता आखिर कैसा है! उनकी गहरी राजनीतिक सूझबूझ को देखते हुए यह मानना सही होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरव्यू में अपने इस दावे के खिलाफ होने वाली प्रतिक्रिया का अनुमान लगाया होगा कि उन्होंने ‘हिंदू-मुस्लिम’ नहीं किया। पहली नजर में, यह एक साहसी दावा था, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के चुनाव अभियान में ‘अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’ राजनीतिक तौर पर मुस्लिम तुष्टीकरण पर हमले हावी रहे हैं, जिनमें से कुछ सबसे आक्रामक दावे उन्होंने खुद किए हैं।यह खास तौर पर दुस्साहसिक था, क्योंकि यह राजस्थान के बांसवाड़ा में 21 अप्रैल को दिए गए उनके विवादास्पद भाषण के महज कुछ हफ्ते बाद आया था, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर देश के संसाधनों को ‘अधिक बच्चे पैदा करने वालों’ और ‘घुसपैठियों’ को सौंपने का आरोप लगाया था। इसे व्यापक रूप से मुसलमानों के संदर्भ में समझा गया, जिन पर बीजेपी की तरफ से लगातार यह आरोप लगाया जाता रहा है कि वे जनसांख्यिकीय संतुलन को अपने पक्ष में करने के लिए कथित षड्यंत्र के तहत अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं। उन्होंने यही कहा था, ‘पहले जब उनकी सरकार थी, उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बाटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे, घुसपैठियों को बांटेंगे। क्या आपके मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये?’ उन्होंने यह भी कहा था, ‘कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है कि वे माताओं और बेटियों के सोने का जायजा लेंगे, और फिर वे उस धन को उन लोगों में बांट देंगे, जिनके बारे में मनमोहन सिंह सरकार ने कहा था ‘धन पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।’ भाइयो और बहनो, यह शहरी नक्सली सोच मेरी माताओं और बहनों के मंगलसूत्र को भी नहीं छोड़ेगी।’

भले ही उन्होंने सीधे तौर पर मुसलमानों का जिक्र नहीं किया, लेकिन जब इसे ‘जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे, घुसपैठियों को बांटेंगे’ के साथ पढ़ा जाए तो यह मुसलमानों की ओर एक छिपा हुआ इशारा था। एक प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवी ने, जो खुलकर सामने नहीं आना चाहते थे, कहा: ‘भले ही बांसवाड़ा में उनके भाषण का कुछ हिस्सा अनुवाद में खो गया हो, लेकिन उससे सीधे-सीधे इनकार करना भी ठीक नहीं।’ हालांकि, अपने एक टीवी इंटरव्यू में मोदी ने जोर देकर कहा, ‘मैंने हिंदू या मुसलमान नहीं कहा। मैंने कहा है कि आपको उतने ही बच्चे पैदा करने चाहिए, जितने का आप पालन-पोषण कर सकते हैं। ऐसी स्थिति न बनाएं कि सरकार को मदद करनी पड़े।’ जब उनसे पूछा गया कि क्या मुसलमान उन्हें वोट देंगे, तो उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि मेरे देश के लोग मुझे वोट देंगे। मैं जिस दिन हिंदू-मुसलमान करूंगा ना, उस दिन मैं सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहूंगा। और मैं हिंदू-मुसलमान नहीं करूंगा। ये मेरा संकल्प है।’

फिर भी, जैसा कि कई लोगों ने खुशी-खुशी बताया, अपने इनकार के 24 घंटे के भीतर ही वे फिर से ‘हिंदू-मुस्लिम’ पर आ गए और कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए केंद्रीय बजट का 15% विशेष रूप से मुसलमानों पर खर्च करने की योजना बनाई थी, लेकिन उनकी पार्टी के विरोध के बाद इसे छोड़ दिया। खास बात ये है कि उनकी टिप्पणियों ने मुसलमानों की तुलना में उदार हिंदुओं में अधिक उत्साह पैदा किया है, जिन्होंने ऐसी बातों को सहजता से लेना सीख लिया है। अधिकांश ने व्यंग्यात्मक मुस्कान और जानबूझकर कंधे उचकाकर प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस बीच, इस लेखक के लिए, इंटरव्यू का सबसे दिलचस्प और रोचक हिस्सा यह था कि मोदी ने पड़ोसियों, दोस्तों और सहकर्मियों के रूप में मुसलमानों के साथ अपनी निकटता को साबित करने के लिए किस हद तक प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वे उन मुसलमानों के बीच पले-बढ़े हैं जो हिंदुओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रहते थे और उन्होंने अपने शुरुआती वर्ष मुसलमानों के साथ तकरीबन रोज मिलते-जुलते थे, बातें किया करते थे। उन्होंने कहा, ‘हमने सभी त्योहार एक साथ मनाए। ईद के दिन हमारे यहां खाना नहीं बनता था, इतना खाना आ जाता है हमारे मुसलमान पड़ोसियों से।’

उन्होंने याद किया कि मुहर्रम के दिन उन्हें और अन्य बच्चों को ताजिया जुलूसों में शामिल होने में बहुत मजा आता था। उन्होंने एक उत्साही मुस्लिम महिला पत्रकार रुबिका लियाकत से बातचीत में कहा, ‘मैं ऐसे माहौल में पला बढ़ा हूं।’ मोदी ने दावा किया कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मुसलमान नियमित रूप से उनकी सरकार की तरफ से उनके जीवन में सुधार के लिए किए जा रहे कार्यों के लिए उन्हें धन्यवाद देते थे।

गुजरात में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द और आलोचकों के ‘दुष्प्रचार’ के बावजूद मुस्लिम समुदाय के उनके प्रति स्नेह के उदाहरण के रूप में मोदी ने अहमदाबाद के प्रसिद्ध मानेक चौक का उदाहरण दिया, जो सुबह सब्जी बाजार, दोपहर में सर्राफा बाजार और रात में व्यस्त स्ट्रीट फूड बाजार में तब्दील हो जाता है।

उन्होंने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद उन्हें ‘बदनाम’ करने की कोशिशों के बाद, उन्होंने मानेक चौक में मुस्लिम मूड का सर्वे करने का आदेश दिया। उन्होंने इस क्षेत्र को इसके अनोखे मिश्रित चरित्र के कारण चुना। उन्होंने बताया, ‘वहां सारे व्यापारी मुसलमान हैं और सारे खरीदार हिंदू हैं। दिवाली में वो खचाखच भरा रहता है।’ उन्होंने कहा कि सर्वे में पता चला कि मुसलमानों में मोदी के प्रति गहरी आस्था है। जब शोधकर्ताओं ने उन्हें मोदी के खिलाफ कुछ कहने के लिए उकसाया तो उन्हें चुप रहने को कहा गया। पीएम ने सर्वे के नतीजों के बारे में बताया, ‘उन्होंने कहा मोदी के खिलाफ कुछ मत कहना, वरना बीवी रात को खाना नहीं देगी। वो इतने खुश हैं कि मोदी के कारण हमारे बच्चे स्कूल जा रहे हैं, उनका जीवन बन रहा है।’

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