यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या लोकसभा चुनाव में मोदी जी का फैक्टर काम आया या नहीं! लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं। एग्जिट पोल के बाद अब देश को इंतजार है 4 जून का। इस दिन सात चरणों में चली कवायद का परिणाम देश के सामने होगा। एग्जिट पोल में बीजेपी की हैट्रिक की भविष्यवाणी की गई है। ऐसे में सवाल है कि आखिर क्या वजह है कि बीजेपी नीत एनडीए केंद्र में हैट्रिक लगा सकता है। इस बारे में देश के जाने माने चुनाव विश्लेषक और सर्वे एजेंसी एक्सिस माय इंडिया के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. प्रदीप गुप्ता ने बातचीत की। इस दौरान प्रदीप ने एग्जिट पोल, लोकसभा चुनाव में मोदी फैक्टर का असर, राहुल गांधी के ‘खटाखट’ वाले बयान सहित कई मुद्दे पर अपनी खुलकर राय रखी। भाजपा के लिए ‘मोदी फैक्टर’ सबसे ज्यादा बढ़-चढ़कर काम आया है और हमने पाया ‘स्ट्रांग प्रो इनकंबेंसी’ मोदी सरकार के फेवर में है। राहुल गांधी या कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के लिए चुनाव लड़ा है। क्षेत्रीय पार्टियों ने अलग-अलग क्षेत्रों में चुनाव लड़ा है, जैसे तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड में चुनाव वहां की क्षेत्रीय पार्टियों ने लड़ा है। राहुल गांधी ब्रांड के तौर पर तो नजर नहीं आते, कांग्रेस की जहां सरकार है कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश में वहां पर कांग्रेस के मतदाता राहुल गांधी के नाम पर वोट नहीं देते हैं,तमिलनाडु और केरल में इसके बाद भी भाजपा 2-4 सीट ही ला रही है। लेकिन, शुरुआत किसी पार्टी के लिए इसी तरह की होती है। बल्कि वहां की कांग्रेस सरकार सुविधाओं और व्यवस्थाओं के आधार पर वोट मांगती है और स्थानीय लोग इसी पर वोट देते हैं।
चुनाव के दौरान ‘खटाखट-खटाखट’ जैसे कैंपेन और मुहावरे तब काम आते हैं, जब कंटेंट हो और प्रोडक्ट होना चाहिए, तभी उसकी मार्केटिंग की जा सकती है। पैकेजिंग और मार्केटिंग एक अभिन्न हिस्सा है, लेकिन आपके प्रोडेक्ट के बिना मार्केटिंग अमूमन काम नहीं आती है। अंगूर खट्टे वाली बात है, वो उनका अधिकार है, वो किसी भी रूप में सर्वे को ले सकते हैं, उनको खुद को पता है कि कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना में इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में उनको भारी जीत मिली थी तब उनको बहुत अच्छा लग रहा था। ‘आज तक’ के सेट पर अंजना से कांग्रेस के प्रवक्ता कह रहे थे कि प्रदीप गुप्ता आज तो बहुत सुहावने लग रहे हैं। वह रिकॉर्ड निकालकर देख लें, उनको जवाब मिल जाएगा।
एक समय के बाद जनता परिवर्तन चाहती है, दक्षिण की जनता देख रही है पिछले 10 साल में देश के अन्य राज्यों में केंद्र सरकार की योजनाओं का लोगों को लाभ मिला है। भाजपा ने दक्षिण में काफी मेहनत की है। जहां पर वह कमजोर थी, उन्होंने वहां पर अपनी पूरी ताकत और रिसोर्स लगाए। तमिलनाडु और केरल में इसके बाद भी भाजपा 2-4 सीट ही ला रही है। लेकिन, शुरुआत किसी पार्टी के लिए इसी तरह की होती है।
अरविंद केजरीवाल की बात है, हमने 2014 और 2019 के चुनाव में देखा है कि विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की पार्टी अच्छा करती है, इस बार एमसीडी में अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन, मतदाता विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अलग प्रकार से वोट करते हैं, अलग पार्टियों को चुनते हैं और केंद्र में मोदी सरकार है। सभी यह जानते हैं कि जो आम आदमी पार्टी को वोट देंगे तो उससे उनकी सरकार नहीं बनेगी। आज की तारीख में जनता ‘क्लियर कट मेंडेट’ देने में विश्वास रखती है, फिर चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव।क्षेत्रीय पार्टियों ने अलग-अलग क्षेत्रों में चुनाव ल9ड़ा है, जैसे तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड में चुनाव वहां की क्षेत्रीय पार्टियों ने लड़ा है। राहुल गांधी ब्रांड के तौर पर तो नजर नहीं आते, कांग्रेस की जहां सरकार है कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश में वहां पर कांग्रेस के मतदाता राहुल गांधी के नाम पर वोट नहीं देते हैं, बल्कि वहां की कांग्रेस सरकार सुविधाओं और व्यवस्थाओं के आधार पर वोट मांगती है और स्थानीय लोग इसी पर वोट देते हैं। हर व्यक्ति मजबूत सरकार चाहता है, किसी भी पार्टी का गठबंधन न होना यह दर्शाता है कि आपके आपसी मतभेद हैं तो फिर आप किस आधार पर वोट मांग रहे हैं। पश्चिम बंगाल में पिछली बार भाजपा की 18 सीटें आई थी। वहीं, टीएमसी 22 सीटों पर जीती थी। जनता इसी आधार पर वोट डाल रही है कि हम जिसे चुने, उसी की सरकार बननी चाहिए।