आखिर कौन सी पार्टी है पैन इंडिया पार्टी, कांग्रेस या बीजेपी?

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आज हम आपको बताएंगे कि कौन सी पार्टी पैन इंडिया पार्टी है कांग्रेस या बीजेपी! क्या बीजेपी वाकई उत्तर भारत या हिंदी बेल्ट की पार्टी है? क्या भाजपा दक्षिण भारत में कांग्रेस के मुकाबले बहुत कमजोर है? कम-से-कम धारणा तो यही है कि बीजेपी सिर्फ उत्तर भारत की पार्टी है, पैन इंडिया पार्टी तो कांग्रेस ही है। लंबे समय से यह नैरेटिव आगे बढ़ाया जा रहा है कि कांग्रेस का पूरे भारत में जनाधार है, लेकिन बीजेपी उत्तर भारत तक सीमित है। नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लोकसभा चुनाव लड़ने से 2014 में बीजेपी के दबदबे वाले राज्यों की लिस्ट बढ़ी और पश्चिमी भारत के प्रदेश भी जुड़ गए लेकिन दक्षिण का किला तो फिर भी अजेय रहा। ऐसा बताने वाले कर्नाटक को अपवाद बताते हैं और कहते हैं कि तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में तो बीजेपी का खाता भी नहीं खुलता है। लेकिन सच्चाई यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण के राज्यों से बीजेपी को 30 सीटें आई थीं जबकि कांग्रेस को 29 सीटें। इस बार के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स के नतीजे जिस ओर इशारा कर रहे हैं, उससे तो यह साफ संकेत मिल रहा है कि बीजेपी का दक्षिण के सभी राज्यों में खाता खुल सकता है। अब आइए पैन इंडिया वाले नैरेटिव की पड़ताल करते हैं। इसके लिए हमने देश के सभी राज्यों को चारों दिशाओं के आधार पर बांटा है। पूरब में कुल 13 राज्य और 153 लोकसभा सीटें हैं। पश्चिम के चार राज्यों में लोकसभा के 101 निर्वाचन क्षेत्र हैं। वहीं, उत्तर भारत के 10 राज्यों में 155 जबकि दक्षिण के नौ प्रदेशों में कुल 134 लोकसभा सीटें हैं। चारों दिशाओं की कुल सीटों को जोड़ें तो लोकसभा की कुल 543 सीटें हो जाती हैं। अब 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में इलाका दर इलाका बीजेपी और कांग्रेस को मिलीं सीटों का आकलन करें तो स्पष्ट हो जाता है कि बीजेपी हर दिशा में कांग्रेस से आगे रही। दक्षिण का इलाका छोड़ दें तो बीजेपी अन्य दिशाओं में कांग्रेस से कई गुना आगे है। मजे की बात है कि जिस कांग्रेस को दक्षिण के राज्यों के आधार पर ही पैन इंडिया पार्टी बताया जाता है, वहां भी उसे बीजेपी के मुकाबले एक सीट कम ही आई थी।

अगर कोई कहे कि दक्षिण भारत में भले ही कांग्रेस से एक सीट ज्यादा लाई हो, लेकिन उसे तो कर्नाटक से ही एकमुश्त सीटें आईं, बाकी प्रदेशों में उसकी मौजूदगी नहीं है। तो यह भी सच है कि कांग्रेस को भी एकमुश्त केरल से ही सीटें आई हैं, उसका भी दक्षिण के अन्य राज्यों में कोई मजबूत मौजूदगी नहीं है। हमने दक्षिण के राज्यों में कुल 10 प्रदेशों को रखा है- कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, आंध्र प्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दादर एवं नगर हवेली, दमन एवं दीव, लक्षद्वीप और पुदुचेरी को रखा है। इन 10 में से कांग्रेस ने छह प्रदेशों मे खाता खोला था तो बीजेपी को तीन प्रदेशों से सीटें आई थीं। बीजेपी ने कर्नाट के साथ-साथ तेलंगाना और दादर एवं नगर हवेली से सीटें मिली थीं। वहीं, कांग्रेस कर्नाटक में एक सीट से सिर्फ खाता खोल पाई थी जबकि तेलंगाना में उस बीजेपी से एक सीट कम मिली थी।

इस तरह उसे सिर्फ केरल और तमिलनाडु में बढ़त मिली जहां बीजेपी का खाता नहीं खुल पाया था। आंध्र प्रदेश में बीजेपी शून्य रही तो कांग्रेस भी जीरो पर ही आउट हुई थी। उसके खाते में दक्षिण का एक अतिरिक्त प्रदेश पुदुचेरी के रूप में जुड़ा जहां लोकसभा की महज एक सीट है। इस तरह सैद्धांतिक तौर पर तो दक्षिण में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस की मौजूदगी दोगुने राज्यों में है, लेकिन हकीकत में सिर्फ दो राज्य केरल और तमिलनाडु ही हैं जहां कांग्रेस को सीटें मिलीं और बीजेपी ऑल आउट रही। तो ये है दक्षिण में कांग्रेस की मौजूदगी और बीजेपी के नदारद रहने के नैरेटिव की सच्चाई। अब अगर एग्जिट पोल के नतीजे 4 जून को असली रिजल्ट्स में तब्दील हो गए तो इस बार केरल, तमिलनाडु से बीजेपी की गैर-मौजूदगी का सिलसिला भी थम जाएगा। लगभग सभी एग्जिट पोल्स बता रहे हैं कि दक्षिण के इन दोनों राज्यों में इस बार बीजेपी का खाता खुल रहा है। कुछ एग्जिट पोल्स तो तमिलनाडु में 5 से 8 जबकि केरल में 2 से 4 सीटें तक दे रहे हैं। ऐसा हुआ तो इन दोनों राज्यों में बीजेपी का खाता खुलना नहीं कहलाएगा बल्कि दमदार मौजूदगी होगी।

अब अगर दक्षिणी राज्यों की बात कर लें तो कांग्रेस आंध्र प्रदेश (25), दादर नागर हवेली और दमन एवं दीव (2) और लक्षद्वीप (1) यानी कुल तीन ऐसे प्रदेशों से नदारद रही जहां कुल 28 सीटें हैं जबकि बीजेपी के लिए यह आंकड़ा क्रमशः 7 और 87 (तमिलनाडु – 39, केरल – 20, आंध्र प्रदेश – 25, अंडमान निकोबार द्वीप समूह – 1, दादर एवं नगर हवेली – 1, लक्षद्वीप और पुदुचेरी -1) हैं। अब पूरे देश की बात करें तो कांग्रेस कुल 120 सीटों वाले 18 प्रदेशों से गायब रही जबकि बीजेपी कुल 11 ऐसे प्रदेशों से गायब रही जहां से कुल मिलाकर 93 सीटे हैं। मतलब, प्रदेशों और लोकसभा सीटों की संख्या, दोनों पैमानों पर बीजेपी की मौजूदगी कांग्रेस से कहीं अधिक है। तो क्या यह नैरेटिव सही है कि कांग्रेस तो पैन इंडिया पार्टी है, लेकिन कांग्रेस नहीं?

ऊपर के आंकड़ों से आप समझ गए होंगे कि कांग्रेस के असल में राष्ट्रीय दल और बीजेपी के उत्तर-पश्चिम तक सीमित रहने की धारणा कितनी गलत है। जहां तक बात 2024 के लोकसभा चुनावों की है तो अधिकतर पोल्स बता रहे हैं कि बीजेपी का भौगोलिक विस्तार और भी बड़ा हो रहा है।