Monday, December 23, 2024
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2019 के चुनावी परिणाम से कितना अलग है 2024 का परिणाम?

2024 का परिणाम 2019 के परिणाम से कितना अलग है आज हम आपको बताने जा रहे हैं! लोकसभा चुनाव, 2024 के नतीजे जल्द ही आने लगेंगे। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की ही गिनती की जाएगी। उसके 30 मिनट बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में दर्ज वोटों की ही गिनती शुरू होगी। ये पोस्टल बैलेट चुनाव नतीजों में अहम भूमिका निभाएंगे। माना जा रहा है कि इस बार देश में बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट से मतदान हुआ है। ऐसे में पोस्टल बैलेट की गिनती पर सबकी निगाहें रहेंगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में 8 राज्यों की 9 लोकसभा सीटों पर पोस्टल बैलेट के सहारे ही प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई थी।विपक्ष की यह भी मांग थी कि ईवीएम की ‘कंट्रोल यूनिट’ को सीसीटीवी निगरानी वाले कॉरीडोर से होकर ले जाया जाना चाहिए।मतदान केंद्रों के वीवीपैट पर्ची की रैंडम गिनती भी जरूरी होने से समय लगने लगा तो इस प्रक्रिया में बदलाव कर दिया गया। हाल ही में विपक्ष ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 54-A के मुताबिक वोटों की गिनती कराई जाए, जिसमें कहा गया है कि रिटर्निंग अधिकारी पहले पोस्टल बैलेट गिनेंगे। इससे पहले कांग्रेस नेता अजय माकन ने ‘एक्स’ पर आरोप लगाया कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के मतगणना एजेंटों को सहायक रिटर्निंग अधिकारी की टेबल पर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही। इन सीटों पर जीत के अंतर से ज्यादा पोस्टल बैलेट से वोट पड़े थे।पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान 14 लोकसभा क्षेत्रों की जिन 9 सीटों पर जीत का अंतर 5000 वोट से ज्यादा था, वहां पर यह जीत हासिल हुई थी। ऐसे में यहां पर पोस्टल बैलेट गेमचेंजर साबित हुए थे।

2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में सबसे दिलचस्प वाकया उत्तर प्रदेश की मछली शहर सीट पर देखने को मिला था। जहां भाजपा प्रत्याशी ने बसपा के उम्मीदवार को बेहद कम मार्जिन 181 वोटों से हराया था। वहां पर कुल 2,814 पोस्टल बैलेट से वोट डाले गए थे।  2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की आरामबाग सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी को 1,142 वोटों से हराया था। यहां पर कुल 1,549 पोस्टल बैलेट से वोट पड़े थे।

चुनाव आयोग ने 18 मई, 2019 को नई गाइडलाइन जारी कर दी। इसमें कहा गया था कि पोस्टल बैलेट की गिनती के दौरान ही ईवीएम की भी गिनती हो सकती है। ईवीएम की गिनती पूरी होने के बाद ही वीवीपैट पर्चियों की गिनती पूरी की जा सकती है। आयोग का यह तर्क था कि इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम के जरिये पोस्टल बैलेट की संख्या काफी बढ़ गई थी। इसके अलावा, 5 मतदान केंद्रों के वीवीपैट पर्ची की रैंडम गिनती भी जरूरी होने से समय लगने लगा तो इस प्रक्रिया में बदलाव कर दिया गया। हाल ही में विपक्ष ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 54-A के मुताबिक वोटों की गिनती कराई जाए, जिसमें कहा गया है कि रिटर्निंग अधिकारी पहले पोस्टल बैलेट गिनेंगे। विपक्ष की यह भी मांग थी कि ईवीएम की ‘कंट्रोल यूनिट’ को सीसीटीवी निगरानी वाले कॉरीडोर से होकर ले जाया जाना चाहिए। इससे पहले कांग्रेस नेता अजय माकन ने ‘एक्स’ पर आरोप लगाया कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के मतगणना एजेंटों को सहायक रिटर्निंग अधिकारी की टेबल पर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही। आयोग ने इसका फौरन खंडन करते हुए कहा कि काउंटिंग एजेंटों को रिटर्निंग ऑफिसर या सहायक रिटर्निंग ऑफिसर की टेबल पर जाने की अनुमति दी गई है।

मतों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू होती है। सबसे पहले पोस्टल बैलेट और इलेक्ट्रॉनिक पोस्टल बैलट की गिनती होती है। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 8 राज्यों की 9 लोकसभा सीटों पर पोस्टल बैलेट के सहारे ही प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई थी। इन सीटों पर जीत के अंतर से ज्यादा पोस्टल बैलेट से वोट पड़े थे। यही नहीं जहां भाजपा प्रत्याशी ने बसपा के उम्मीदवार को बेहद कम मार्जिन 181 वोटों से हराया था। वहां पर कुल 2,814 पोस्टल बैलेट से वोट डाले गए थे।  2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की आरामबाग सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी को 1,142 वोटों से हराया था। यहां पर कुल 1,549 पोस्टल बैलेट से वोट पड़े थे। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान 14 लोकसभा क्षेत्रों की जिन 9 सीटों पर जीत का अंतर 5000 वोट से ज्यादा था, वहां पर यह जीत हासिल हुई थी। ऐसे में यहां पर पोस्टल बैलेट गेमचेंजर साबित हुए थे। इसके तुरंत बाद ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू होती है। करीब 1 घंटे बाद रुझान आने शुरू हो जाते हैं।

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