EVM तोड़ने वाले विधायक के लिए क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने EVM तोड़ने वाले विधायक के लिए एक बयान दिया है! सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी वाईएसआरसीपी के विधायक पिन्नेली रामकृष्णा रेड्डी को फटकार लगाते हुए उनके मतगणना केंद्र पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। एक मतदान केंद्र पर ईवीएम पटकने का विधायक का वीडियो कैमरे में कैद हो गया था। जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने घटना का वीडियो देखने के बाद कहा कि ईवीएम को जमीन पर पटकने का आरोप ‘सिस्टम की खिल्ली उड़ाने’ जैसा है। अदालत ने कहा कि यदि अंतरिम सुरक्षा देने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो यह भी पूरी न्याय प्रणाली का उपहास उड़ाने जैसा होगा। पीठ में जस्टिस संदीप कुमार भी शामिल थे। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में मचेरला विधायक के वकील विकास सिंह द्वारा वाईएसआरसीपी नेता की ओर से दायर उस हलफनामे पर भी विचार किया जिसमें कहा गया था कि वह मंगलवार को मतगणना केंद्र या उसके आसपास नहीं जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से अंतरिम सुरक्षा देने के अपने पूर्व के फैसले से प्रभावित हुए बिना, मामले में अग्रिम जमानत की याचिका पर गुण-दोष के आधार विचार करने के लिए कहा। हाई कोर्ट ने 23 मई को अपने अंतरिम आदेश में मतदान के दौरान ईवीएम पटकने के मामले में 5 जून तक आरोपी विधायक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ टीडीपी के एक पोलिंग एजेंट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि रामकृष्णा रेड्डी के रसूख के दबाव में वीआरओ ने अपनी रिपोर्ट में मतदान केंद्र में ईवीएम को नुकसान पहुंचाने का आरोप अज्ञात लोगों पर लगाया था।

रामकृष्णा रेड्डी वाईएसआरसीपी उम्मीदवार के रूप में पांचवीं बार विधायकी के लिए मचेरला से चुनाव मैदान में हैं। पुलिस ने ईवीएम पटकने का उनका वीडियो वायरल होने के बाद आईपीसी; जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951; और लोक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम (पीडीपीपी) अधिनियम, 1984 की संबंधित धाराओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है। घटना माचेर्ला में 13 मई को मतदान के दिन एक मतदान केंद्र की है। ईवीएम पटकने का वीडियो वायरल होने के बाद चुनाव आयोग ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था। बाद में विधायक के खिलाफ मतदान के दिन हिंसा की साजिश के तीन नए मामले दर्ज किए गए थे।

पीठ ने रेड्डी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा, ‘जब आप वीडियो देखेंगे तो पाएंगे कि यह पूरी तरह से गलत आदेश है। यह न्याय प्रणाली का भद्दा मजाक है।’ पीठ ने रेड्डी को चार जून को माचेर्ला विधानसभा क्षेत्र के मतगणना केंद्र में प्रवेश नहीं करने और उसके आसपास भी न रहने का निर्देश दिया। आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ हुए थे। न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से कहा कि अदालत रेड्डी के खिलाफ छह जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों से संबंधित याचिका पर बिना किसी संकोच के निर्णय ले। रेड्डी को 28 मई को अंतरिम राहत दी गई थी। माचेर्ला विधानसभा क्षेत्र से वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार रेड्डी अपने समर्थकों के साथ 13 मई को मतदान वाले दिन कथित तौर पर मतदान केंद्र में घुसे और वीवीपैट और ईवीएम मशीनों को तोड़ दिया।

शीर्ष अदालत तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के पोलिंग एजेंट शेषगिरी राव नंबूरी की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विधायक को गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम सुरक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी। नंबूरी ने दावा किया कि वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद पुलिस ने विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज न कर, कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। सिंह ने कहा कि वह इन घटनाओं को नहीं बल्कि कथित तौर पर जब ये घटनाएं हुईं तो बूथ पर विधायक की मौजूदगी को चुनौती दे रहे हैं।न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से कहा कि अदालत रेड्डी के खिलाफ छह जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों से संबंधित याचिका पर बिना किसी संकोच के निर्णय ले। रेड्डी को 28 मई को अंतरिम राहत दी गई थी। पीठ ने कहा कि घटना के वीडियो को देखने पर आरोप प्रथम दृष्टया सच प्रतीत होते हैं और इन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, ‘शिकायत में बताया गया कि आठ लोग बूथ के अंदर घुसे और वीवीपैट व ईवीएम ले गए और उन्हें नष्ट कर दिया। अब, अगर हम अग्रिम जमानत आदेश पर रोक नहीं लगाते हैं, तो यह न्यायिक प्रणाली का मजाक होगा।’