आने वाले समय में लंदन के एक लड़के को संत की उपाधि दी जाएगी! लंदन में पैदा हुए एक लड़के को मरणोपरांत संत की उपाधि दी जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि पोप फ्रांसिस ने उसके दूसरे चमत्कार को माना है। 2006 में कार्लो एक्यूटिस की 15 साल की उम्र में न्यूकेमिया से मौत हो गई थी। कैथोलिक चर्च की ओर से पहली बार किसी मिलेनियल को संत की उपाधि दी जाएगा। मिलेनियल एक ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है, जिसका जन्म 1980 से 90 के अंत में हुआ है। इन्हें जेनरेशन Y भी कहा जाता है। कैथोलिक चर्च की ओर से उन्हें 2020 में धन्य घोषित किया गया था। धन्य घोषित करना या बीटिफिकेशन एक मृत व्यक्ति को दी गई मान्यता है। इसके मुताबिक यह इस बात की पुष्टि करता है कि उस मृत व्यक्ति ने एक पवित्र जीवन जीया है और स्वर्ग में प्रवेश कर चुका है। वह लोगों की प्रार्थनाओं को सुन सकता है। यह संत घोषित करने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण कदम है। कहा जाता है कि कई चमत्कार हुए, जो उन्हें संत घोषित करने का कारण है। ब्राजील के एक लड़के मैथ्यूस को एक गंभीर जन्म दोष था, जिसे उन्होंने कथित तौर पर ठीक कर दिया था।
मैथ्यूस के परिवार से जुड़े एक ईसाई धर्मगुरू ने कहा, ‘यह चमत्कार 2014 का है, जिसमें उसने कार्लो के अवशेष को छूने और उल्टी बंद करने को कहा था। इसके बाद लड़के को पूरी तरह ठीक होते देखा गया था।’ दूसरा चमत्कार कोस्टा रिका की एक लड़की से जुड़ा है, जो इटली में पढ़ रही थी। कथित तौर पर वह सिर की चोट से ठीक हो गई। इटालियन बिशप्स कॉन्फ्रेंस (CEI) के दैनिक समाचार पत्र के अनुसार कथित तौर पर उसकी मां ने कार्लो के शव के सामने प्रार्थना की और एक नोट छोड़ा था।
पोप फ्रांसिस ने वेटिकन के संत बनाने वाले विभाग के प्रमुख कार्डिनल मार्सेलो सेमेरारो के साथ एक मीटिंग में कार्लो को दूसरे चमत्कार का श्रेय देने का फैसला किया। कार्लो को अनौपचारिक रूप से ईश्वर के इनफ्लुएंसर के रूप में जाना जता है। बता दें कि कार्लो एक्यूटिस को मरणोपरांत संत की उपाधि दी जाएगी। लंदन में पैदा हुए इटालियन कार्लो की महज 15 साल की उम्र में 2006 में न्यूकेमिया से मौत हो गई थी। कार्लो के दो बड़े चमत्कार करने का दावा किया गया था। कैथोलिक चर्च की ओर उसकी मौत के 18 साल बाद इसको माना गया है। पोप फ्रांसिस ने उसके दूसरे चमत्कार को माना है और फैसला लिया है कि उसे संत की उपाधि दी जाएगा। अपने विश्वास को फैलाने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने वाले कार्लो कैथोलिक चर्च के पहले सहस्राब्दि संत बनेंगे। कार्लो ने अपने जीवन काल में कथित चमत्कारों को ऑनलाइन रिकॉर्ड किया था। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने ईसाई धर्म को बढ़ाने के लिए अपने कंप्यूटर कौशल का इस्तेमाल किया। लंदन में जन्मे कार्लो मिलान में बड़े हुए, जहां उन्होंने कई वेबसाइटें बनाईं। दूसरे चमत्कार का मतलब है कि अब उन्हें संत की उपाधि दी जा सकती है। वेटिकन ने अभी यह नहीं बताया कि ऐसा कब होगा।
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्लो के बारे में दावा किया गया कि उसने चमत्कारिक ढंग से दो जानें बचाई थीं। दोनों चमत्कार उसकी मौत के बाद हुए। पहले चमत्कार में एक्यूटिस ने 2023 में चमत्कारिक ढंग से स्वर्ग से प्रार्थना कर ब्राजील के एक लड़के की जान बचाई थी, जो एक दुर्लभ अग्नाशय रोग से पीड़ित था। बच्चे ने कार्लो के कपड़े छूए थे और उसके माता पिता ने कार्लो से दुआ के लिए कहा था। इसके बाद दावा किया गया कि स्वर्ग से कार्लो ने लड़के को ठीक कर दिया। दूसरा चमत्कार कोस्टा रिका की एक लड़की से जुड़ा है, जो इटली में पढ़ रही थी।कार्लो का जन्म मई 1991 में लंदन में इतालवी माता-पिता के घर हुआ था लेकिन परिवार जल्द ही मिलान चला गया और उन्होंने अपना ज्यादातर जीवन इसी शहर में बिताया। 2006 में कार्लो की मौत हो गई थी। कैथोलिक धर्म के मुताबिक पोप फ्रांसिस जब खुद किसी के दो चमत्कारों को मान्यता दे देते हैं तो वो शख्स संत बन जाता है या उसे संत की उपाधि दी जाती है। अब तक पोप फ्रांसिस ने 912 लोगों को संत घोषित किया है। इसमें से आखिरी संत का जन्म 1926 में हुआ था और अब घोषित हुए संत कार्लोस का जन्म 1991 में हुआ है। 21 साल की लड़की को फ्लोरेंस में रहने के दौरान मस्तिष्क में गंभीर चोट लगी। उसका परिवार उसके लिए प्रार्थना करने के लिए 100 मील दक्षिण में असीसी में कार्लो की कब्र पर गया। इस प्रार्थना के कुछ दिन बाद में वह पूरी तरह ठीक हो गई।